भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा
खबर है कि अब अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE ) ने इंजीनियरिंग की डिग्री सात भारतीय भाषाओं में पढ़ने-पढ़ाने की इजाजत दी है। ये भाषाएँ हैं : हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम। यह इसी २०२०-२१ के सत्र से लागू होगा। यह स्वागत योग्य कदम है। आशंकाएं तो होंगी लेकिन कभी पहला कदम तो उठाना ही पड़ेगा।
वास्तव में यदि भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाना है तो हमें प्राथमिंक कक्षाओं के साथ ही, उच्च शिक्षा पर भी ध्यान देना होगा। लोग उच्च शिक्षा को लक्ष्य करके ही स्कूली शिक्षा में भाषा माध्यम चुनते हैं। अगर अपनी भाषा में पढ़कर तकनीकी डिग्रियां उच्च शिक्षा में मिलेंगी और उनकी उपयोगिता सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरी या प्रतियोगिताओं में भी होंगी, तो लोग स्कूली शिक्षा में भी अपनी भाषा का चयन करने लगेंगे। अभी तो यह सोचते हैं कि हिंदी माध्यम से पढ़ा भी लिया तो क्या फायदा? आगे तो अंग्रेजी माध्यम में ही जाना पड़ेगा।
इस कदम को यदि गुणात्मक रूप से लागू किया गया तो देश के गरीब , वंचित एवं मध्यमवर्गीय बच्चों की प्रतिभा, रचनात्मकता सामने आएगी। संविधान का आदर करते हुए सभी इसमें सहयोग करें तभी इसमें सफलता मिलेगी। स्वाधीनता के बाद से ही अंग्रेज़ी क़ो एकमात्र सत्ता और रोज़गार की भाषा मानने वाला वर्ग ने अप्रत्यक्षत: लोकतंत्र को कमजोर ही किया है। इस कदम से नई शिक्षा नीति के संकल्प वैज्ञानिक चेतना और तर्क शक्ति को पूरे दमखम से आगे बढ़ाया जाएगा को साकार करना फलीभूत होगा।
Now, engineering courses in Hindi & 7 other languages
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