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Showing posts from October, 2022

प्रकृति की उपासना और पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है छठ

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कुछ और बातें  🚩 कौन हैं छठी मैया जी ?🚩 लोगों में यह एक आम जिज्ञासा यह रही है कि भगवान सूर्य की उपासना के लोक महापर्व छठ में सूर्य के साथ जिन छठी मैया की अथाह शक्तियों के गीत गाए जाते हैं, वे कौन हैं। ज्यादातर लोग इन्हें शास्त्र की नहीं, लोक मानस की उपज मानते हैं। लेकिन हमारे पुराणों में यत्र-तत्र इन देवी के संकेत जरूर खोजे जा सकते हैं।  पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य और षष्ठी अथवा छठी का संबंध भाई और बहन का है। षष्ठी एक मातृका शक्ति हैं जिनकी पहली पूजा स्वयं सूर्य ने की थी। 'मार्कण्डेय पुराण' के अनुसार प्रकृति ने अपनी अथाह शक्तियों को कई अंशों में विभाजित कर  रखा है। प्रकृति के छठे अंश को 'देवसेना' कहा गया है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी भी है।  देवसेना या षष्ठी श्रेष्ठ मातृका व समस्त लोकों के बालक-बालिकाओं की रक्षिका हैं। इनका एक नाम कात्यायनी भी  है जिनकी पूजा नवरात्रि की षष्ठी तिथि को होती रही है। पुराणों में निःसंतान राजा प्रियंवद द्वारा इन्हीं देवी षष्ठी का व्रत करने की कथा है। छठी षष्ठी का अपभ्रंश हो सकता है।  आज भी छठव्रती छठी मैया से संतानों

शहीद अशफ़ाक उल्ला खां को नमन

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 आज भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी शहीद अशफ़ाक़उल्लाह ख़ान की जयंती है।  उनका पूरा नाम अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत था। पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल जैसे परम मित्र के साथ जेल में फॉंसी की प्रतीक्षा करते अशफ़ाक़उल्लाह ख़ान को अपनी ज़िंदगी की अंतिम रात तक बस इस बात का अफ़सोस रहा कि मातृभूमि पर सर्वस्व न्योछावर करने हेतु मैं एक ही बार पैदा क्यों हो सका।  उनके कुछ विचार- ‘कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएँगे, आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।’ ‘दिलवाओ हमें फाँसी, ऐलान से कहते हैं, खूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।’ चंद और पंक्तियाँ, जिसे मैंने भाव दिया है- बिस्मिल हिन्दू हैं कहते हैं " माँ, मैं मातृभूमि की रक्षा के लिए फिर जन्म लूँगा,  फिर जन्म लेकर भारतमाता को स्वतंत्र कराऊँगा। माँ, मेरा भी मन है पर अपने मजहब की  रीतियों से बंध जाता हूँ, सुना है माँ मुसलमान पूर्नजन्म नहीं लेते अल्लाह से यहीं दुआ है मुझे स्वर्ग के बदले  भारत माँ के सपूत के रूप में  एक और जन्म ही दे दें…. यही जज़्बा भारत को भारत बनाता है।  जय हिंद! जय भारत!! #साकेत_विचार #अशफ़ाक

भारतीय वायु सेना दिवस

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 राष्ट्रीय भाव बोध, संस्कृति,एकता, वैज्ञानिक सोच, अनुशासन, देशहित और राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रसार में भारतीय सशस्त्र सेनाओं  का महत्वपूर्ण स्थान रहा है।  साथ ही सैन्य संस्थानों की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रचार -प्रसार में भी निर्विवाद भूमिका रही है। भारतीय वायु सेना की  90वीं वर्षगाँठ पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई!   आज भारतीय वायु सेना का गीत याद आ रहा है...  गीत का भाव देखें ....  'देश पुकारे जब सबको दुख- सुख बाँटे एक समान नीली वर्दी वालों का दल  बढ़ता आगे सीना ......' जय हिंद ! जय हिंदी!! #long_live_IAF #साकेत_विचार

मुंशी प्रेमचन्द की पुण्यतिथि पर स्मरण

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  हिंदी भाषा और साहित्य के रत्न तथा उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की  पुण्यतिथि पर उन्हें कोटिशः नमन। 💐🙏💐 मुंशी प्रेमचंद की लेखनी आम आदमी, गाँव, समाज, व्यवस्था को समर्पित रहीं।  व्यवस्था, गाँव-देहात की सच्चाई तथा मानवीय मूल्यों का उन्होंने जिस प्रकार से अपनी रचनाओं में सजीव चित्रण किया, वह आज भी प्रासंगिक है। सामाजिक सरोकारों पर उनकी लेखनी विश्व साहित्य की अमूल्य धरोहर और अनुकरणीय है। आज से 100 साल पहले भी जो उन्होंने लिखा, वह आज भी प्रासंगिक है। उनकी हर रचना ऐसे लगती है जैसे आज की कहानी है। नमक का दारोगा, बड़े घर की बेटी, गोदान, गबन... हर रचना जाग्रत।  जिस युग में प्रेमचंद ने कलम उठाई थी, उस समय उनके पीछे ऐसी कोई ठोस विरासत नहीं थी और न ही विचार और न ही प्रगतिशीलता का कोई मॉडल ही उनके समक्ष था। हिन्दी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद जी का कद काफी ऊंचा है और उनका लेखन कार्य एक ऐसी विरासत है, जिसके बिना हिन्दी के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। भारतीय साहित्य का बहुत-सा विमर्श जो बाद में प्रमुखता से उभरा, चाहे वह दलित साहित्य हो या फिर नारी साहित्य, उसकी जड़ें प्रेमचंद के साहित्य में दिख

दशहरा और प्रभु श्रीराम

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  आज दशहरा है।  हर बार की तरह इस बार भी ‘घनघोर स्मार्ट’ काफी कुछ  रावण के समर्थन में  लिख रहे है।  इस प्रकार की कुत्सित सोच के वाले लोगों के लिए रावण, महिषासुर आदर्श हो सकते हैं। अब तो महात्मा गांधी भी इन लोगों के लिए खलनायक है।  दशहरा स्मरण कराता है जन जन के आदर्श श्रीराम की मर्यादा को समझने का। श्रीराम को समझना इतना आसान नहीं, क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम सब नहीं बन सकते। इसीलिए वे ईश्वर कहलाए। राम वास्तव में अपेक्षा, लोभ, स्वार्थ, काम, क्रोध, सांसारिक मोह से परे कर्तव्य और मर्यादा से बंधे पुरुषोत्तम है। उनकी संपूर्ण गाथा मानव के 'मानव' बनने का इतिहास है। #रामगाथा राम !  आपकी गाथा,  आपकी पताका,  आपका शौर्य,  आपका मान,  हमारा अभिमान  आपका सम्मान  हमारा मान  आपकी मर्यादा  हमारा अभिमान  भारत की शान राम  आपकी गाथा किताबों से परे हमारे  संस्कार-संस्कृति से बंधे है। राम  आप हमारे भावों से  आत्मा से  कैसे विलुप्त हो गए? क्या आपका विलुप्त होना  भारतीयता  का  संस्कार का  संस्कृति का मर्यादा का  नष्ट होना नहीं ? राम आप तो चक्रवर्ती  सम्राट थे। आपने दशानन को विजित किया वहीं दशानन जो संसार

पर्व-त्यौहार पर ख़रीद और छोटे दुकानदार

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  इस त्यौहारी मौसम में इनसे खरीदना न भूलें।  ये भारत के असंगठित क्षेत्र की रीढ़ हैं जिनसे भारत के असंख्य परिवारों में मुस्कुराहट आती है, रोटियाँ मिलती है। यहीं भारत को मंदी में भी भारत बनाते है। यही उद्यमशीलता है। जिसे एमएसई क्षेत्र कहते है ।  भारत की बुनियाद इनसे भी है।  आइए इनकी मेहनत को सलाम करें और इनसे ख़रीदारी करें, मोल-तोल भी करें, पर इनकी हंसी के साथ।  आप सभी को दशहरा, दीपावली, छठ की हार्दिक शुभकामना!  #साकेत_विचार #एमएसएमई #MSME