Posts

Showing posts from January, 2022

गणतंत्र दिवस की शुभकामना!

Image
आज का दिन हम सभी के लिए बेहद खास हैं क्योंकि आज ही के दिन यानि 26 जनवरी,1950 को हमने अपना संविधान अपनाया और राष्ट्र निर्माण की तरफ अपने कदम बढ़ाए। आइए, आज हम अपने संविधान निर्माताओं द्वारा किए गए महान कार्य और उनकी दूरदर्शिता को नमन करें। 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार सदियों की पराधीनता के बाद दुनिया के समक्ष भारत एक संप्रभुताशाली, समाजवादी, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अस्तित्व में आया। गणतंत्र दिवस का अवसर हमें देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले महान शहीदों की याद दिलाता है। पहली बार 21 तोपों की सलामी के बाद राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी, 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घो‍षणा की। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति ने देश के पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर नागरिकों को जारी अपने संदेश में

खिचड़ी

खिचड़ी का इतिहास काफी पुराना है। इतना कि वेद और पुराण में भी इसका वर्णन मिलता है। लेकिन सबसे पहले इसे बिहार प्रदेश के भागलपुर के कोहलग्राम ( आज का कहलगांव) में पकाने के प्रमाण मिलता हैं।  कथा कुछ यूं है - ऋषि कोहल ने कोहलग्रम में तपस्या की थी और यह स्थान उनके सात्विक प्रभाव के कारण काफी वैभवशाली हो गया।  इसकी मान्यता पहले काशी एवम् कैलाश के बराबर थी।  फिर,ऋषि दुर्वासा ने यहां अपना आश्रम बनाया। पुराण कथाओं के अनुसार देव - असुर संग्राम दस हजार वर्षों तक चला और असुरों से लड़ते - लड़ते देवता कमजोर होने लगे। तो वे सभी दुर्वासा ऋषि के आश्रम में आए क्योंकि शिव भूमि होने के कारण वहां असुर प्रवेश नहीं कर सकते थे। उसी समय,देवताओं को तुरंत भोजन कराने के उद्देश्य से ऋषि दुर्वासा ने सभी अनाजों (दालों सहित) और सब्जियों को मिलाकर जल में पकाकर खिलाया था। सब कुछ मिश्रित होने  के कारण इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा गया और उस दिन संक्रांति भी थी। तब से ,संक्रांति के दिन खिचड़ी खाने की प्रथा चल पड़ी और आज भी यह व्यंजन अपनी पौष्टिकता में अव्वल बना हुआ है। संकलन एवं संशोधन-लेखक

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस

Image
जय हिंद!  सच में इतिहास जनता लिखती है न कि इतिहासकार। नेताजी का भारत की जनता में स्वीकृति और स्मरण इसका स्पष्ट उदाहरण हैं । नेताजी भारत के जीवंत यौद्धा है। भले ही षडयंत्रकारी परिस्थितियों में उनका अवसान करार दिया गया, पर उनकी पूरी जीवनी त्याग, बलिदान, बुद्धिमता और शौर्य से भरपूर रहा। उनके लिए 'देश पहले' सर्वोच्च प्राथमिकता में सदैव शामिल रहा। उनके लिए पद, पैसा, रसूख से पहले देश रहा; पर देश उनके साथ पर्याप्त न्याय करने में असफल रहा।  गुलामी के प्रतीक जॉर्ज पंचम की मूर्ति के स्थान पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने के निर्णय हेतु सरकार का अभिनन्दन!  यूं तो भारत 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश पराधीनता से आजाद हुआ लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर, 1943 को ही भारत को आजाद घोषित किया था। उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी को अस्वीकार करते हुए भारत में वैकल्पिक सरकार बनाई । नेताजी ने 1943 में स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार स्थापित की थी। नेताजी आजाद हिंद फौज के प्रमुख थे और उन्होंने अंडमान-निकोबार द्वीप में भारत का झंडा लहराया था। भले ही नेताजी निर्वासित सरकार

लाल बहादुर शास्त्री जी देशभक्त के साथ निष्ठावान ग्राहक भी रहे

Image
जय जवान! जय किसान!  पुण्यतिथि पर शत शत नमन!  एक रोचक संस्मरण  प्रधानमंत्री बनने के बाद भी शास्त्री जी के पास अपनी कार नही थी। जब वे फिएट कार खरीदने गए तो उनके पास 7000 रुपए थे,जबकि कार का मूल्य 12000 रुपये था तो उन्होंने भारत के स्वदेशी बैंक पंजाब नैशनल बैंक से शेष 5000 रुपए का ॠण लिया। बैंक के इस ॠण को लाल बहादुर शास्त्री जी के असामयिक निधन के बाद उनकी धर्मपत्नी ललिता शास्त्री जी ने चुकाया। उनकी पत्नी ने अपनी पेंशन से कार की सारी किस्तें लौटा दी।  यह उनके ईमानदार ग्राहक होने का भी शानदार उदाहरण प्रस्तुत करता हैं !

गुरु गोविन्द सिंह जयंती

Image
आज गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती है। हम भारतवासियों को उनके कृतित्व पर गर्व है। गुरु गोविन्द सिंह जी ने भारत में औपनिवेशिक अत्याचार के विरूद्ध तथा देश में सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षार्थ सर्वोच्च बलिदान दिया। उनके बलिदान के प्रति सनातन समाज सदैव कृतज्ञ रहेगा। कभी स्वामी विवेकानन्द ने प्रत्येक भारतवासी का आह्वान करते हुए महावीर हनुमान और गुरु गोविन्द सिंह का आदर्श अपनाने के लिए कहा था। धार्मिक स्वतंत्रता को बनाए रखने के उनके दृष्टिकोण को शत-शत नमन! खालसा पंथ की स्थापना के द्वारा उन्होंने भारतीय सभ्यता-संस्कृति को अतीतगामी होने से बचाया और हम सभी को प्रेरित करने के लिए एक अद्वितीय विरासत छोड़ी। 🙏 #गुरुपर्व #साकेत_विचार

प्रेमचन्द और वैचारिक साहित्य

Image
प्रेमचन्द और वैचारिक साहित्य इस विषय पर बहुत कम चर्चा होती है। इसी शीर्षक से मेरा आलेख बिहार सरकार, राजभाषा विभाग की भाषा-साहित्य-संस्कृति की हिंदी त्रैमासिकी 'राजभाषा' के अंक : २, वर्ष: ३५, जुलाई-सितम्बर, २०२१ में प्रकाशित हुआ है। आप सभी पढ़कर विचार देंगे। प्रेमचन्द विशेषांक के रूप में बेहद संग्रहणीय अंक प्रकाशित करने हेतु मंत्रिमंडल सचिवालय (राजभाषा) विभाग का विशेष आभार। मेरा आलेख प्रेमचन्द जी के विराट लेखकीय व्यक्तित्व पर केंद्रित है। मैं अक्सर लिखता हूँ जो स्थान महात्मा गाँधी का आधुनिक भारतीय राजनीति में हैं वहीं स्थान आधुनिक भारतीय साहित्य में मुंशी प्रेमचंद जी का है । मुंशी प्रेमचंद लिखते हैं " मैं एक मजदूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं।" वास्तव में लेखन के प्रति उनका यह समर्पण ही उन्हें भारतीय साहित्य में विशिष्टता प्रदान करता हैं । प्रेमचन्द जी ने हर प्रकार के साहित्य का सृजन किया, इसलिए वे साहित्य- शिल्पी कहे गए। सर्जनात्मक साहित्य के साथ-साथ प्रेमचंद का वैचारिक साहित्य बेहद समृद्ध है। हिंदी पत्रकारिता में हंस के

कमलेश्वर जी की जयंती

Image
आज महान कथाकार कमलेश्वर जी की जयंती हैं । कमलेश्वर जी से मिलने का सौभाग्य वर्ष 2006 में केंद्रीय हिंदी संस्थान, दिल्ली केंद्र द्वारा आयोजित भाषा, मीडिया एवं साहित्य विषयक संगोष्ठी में इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में प्राप्त हुआ था। कमलेश्वर जी सच्चे अर्थों में हिंदी को जीते थे। हिंदी की प्रयोजनमूलकता के सच्चे समर्थक । ‘सारिका’ के संपादन द्वारा उन्होंने हिंदी में साहित्यिक पत्रकारिता को समृद्ध किया। दूरदर्शन पर जबरदस्त रूप से सफल धारावाहिक 'चंद्रकांता' उन्होंने ही लिखा। मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हिंदी की सशक्त आवाज़ को स्थापित करने में उनका बहुमूल्य योगदान है। पर बाद में वे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भूमिका विशेष रूप से भाषा एवं सामाजिक गिरावट को लेकर बेहद व्यथित थे। वे इस हेतु स्व-नियंत्रण यानी रिमोट के प्रयोग की बात करते थे। बाद में भी उनका आशीर्वाद मिला।   उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को नमन !  #साकेत_विचार

खस्ताहाल श्रीलंका से सबक

Image
खस्ताहाल श्रीलंका से सबक कथित विकास की चमक से दूर रहने की सीख लेनी चाहिए विशेष रूप से दक्षिण एशिया के छोटे देशों को। याद कीजिए कभी अमेरिका के चलते पाकिस्तान के, कभी चीन के कारण श्रीलंका के विकास के कसीदे पढें जाते थे। आजकल बांग्लादेश के कसीदे पढें जा रहे है । पर भारत विरोध की हथियार पर चीन के ये दोस्त अपनी संप्रभुता खोते जा रहे हैं । कोरोना संकट के कारण श्रीलंका बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चीन के कर्ज, कोरोना से प्रभावित पर्यटन उद्योग के कारण श्रीलंका की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमराई है। इस बीच सरकारी व्यय में बढ़ोत्तरी तथा करों में कटौती ने अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया। बहरहाल, श्रीलंका की सेना इस अनियंत्रित स्थिति को संभालने की कोशिश कर रही है । भारत सरकार भी संवेदनशील है। यह हम सभी के लिए एक सबक है । मीडिया और विपक्षी नेताओं की हर समय आलोचना की शिकार रही भारत की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन जी बधाई की पात्र हैं । उन्होंने इस विपरीत परिस्थिति में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अपने काम को अनुशासित तरीके से संभाला है। सरकार की कुशल नीति यह रही कि इतनी बड़ी आबादी वाला राष्

जीवन के अहम् हिस्सों का रिकॉर्ड रखता कैलेंडर

Image
 'जीवन के अहम् हिस्सों का रिकॉर्ड रखता कैलेंडर'  आज अमृत विचार के सभी संस्करणों में दिनांक 02.01.2022  धन्यवाद  #साकेत_विचार  नव वर्ष की मंगलकामना, बेहतर स्वास्थ्य एवं समृद्धि की कामना के साथ 🙏  #ncert   #education