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Showing posts from January, 2024

सुभाषचंद्र बोस और हिंदी

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जय हिंद! सच में इतिहास जनता लिखती है न कि इतिहासकार। नेताजी का भारत की जनता में स्वीकृति और स्मरण इसका स्पष्ट उदाहरण हैं ।  नेताजी भारत के जीवंत यौद्धा है। भले ही षडयंत्रकारी परिस्थितियों में उनका अवसान करार दिया गया, पर उनका पूरा जीवन त्याग, बलिदान, बुद्धिमता और शौर्य से भरपूर रहा। उनके लिए 'देश पहले' सर्वोच्च प्राथमिकता में सदैव शामिल रहा। उनके लिए पद, पैसा, रसूख से पहले  देश रहा; पर देश उनके साथ पर्याप्त न्याय करने में असफल रहा।  गुलामी के प्रतीक जॉर्ज पंचम की मूर्ति के स्थान पर इंडिया गेट पर  नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित हुई, इस हेतु सरकार का अभिनन्दन! सुभाष बोस स्वदेश प्रेम, दृढ़ता, त्याग, आत्मबल के साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं । नेताजी भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपना नारा भी जय हिंद के रूप में अपनाया। आजाद हिंद फौज के सेनानियों को वे हिंदी में संबोधित करते थे। उनकी जयंती के अवसर पर उनके हिंदी प्रेम की बानगी प्रस्तुत करता उनका एक संबोधन जो   कलकत्ता से प्रकाशित ‘विशाल-भारत’ के जनवरी 1929 अंक में प्रकाशित हुआ था।  इसे हमने ओपिनियन पोस्ट स

राम पधारें अपने घर-आँगन

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आज के पावन अवसर पर मैं 🪷 भाव-विह्वल हूँ और अपने कुछ भाव आप सभी से साझा कर रहा हूँ।  शीर्षक-  रामलला पधारें अपने घर-आँगन कितनी आँखें बाट जोहती,  कितने कान सुनने को तड़पें,  कितने मन आस लगाए थे,  कितने मन रहे उदास !  अब जा के भक्तों के मन की पूरी हुई मुराद  जब विराजे दशरथ पुत्र राम इसी के संग गूंज रही  कौशल्यापुत्र सियावर राम नाम की धुन गूंज रहा है अखिल विश्व में मर्यादा पुरुषोत्तम का का नाम।  रामलला जो पांच सदी से वंचित थे अपने घर-आँगन से। आज अधिष्ठित हुए हैं भक्ति-भाव, आदर से। आइए प्रार्थना करें, संकल्प करें    सब पढ़े, सब आगे बढ़े, और मिलकर समृद्ध भारत गढ़े। ©️डा. साकेत सहाय 22 जनवरी, 2024, पौष शुक्ल पक्ष, द्वादशी, विक्रम संवत्, 2080  #साकेत_विचार #रामलला #श्रीराम #धर्म #सनातन #कविता #लिखना #भाषा #संस्कार #संस्कृति #परंपरा

मौलाना मजहरूल हक़

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हिन्दू हों या मुसलमान,  एक ही कश्ती के मुसाफिर हैं,  डूबेंगे तो साथ,  पार उतरेंगे तो साथ।  मौलाना मजहरूल हक का यह कथन आज भी देश के लिए उतना ही प्रासंगिक है, जितना यह उस समय था।  देश के समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक मौलाना मजहरुल हक जी की आज पुण्यतिथि है।  आपने असहयोग आन्दोलन, चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण योगदान दिया।  आपने इंग्लैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद छपरा से वकालत शुरू की।  छपरा आपकी कर्मभूमि रही।  बिहार विद्यापीठ, बिहार नेशनल कॉलेज और प्रसिद्ध सदाकत आश्रम के स्थापना का श्रेय आपको है।  आपका जन्म 22 दिसम्बर, 1869 को पटना जिले के मनेर थाना के ब्रह्मपुर गाँव  में हुआ था। जहाँ बहुत से भूमि उनके रिश्तेदारों द्वारा दान की गई । वर्ष 1900 में तत्कालीन छपरा(सारण) जिला के फ़रीदपुर गांव में वे बस गए। उन्होंने गांव में एक घर का निर्माण किया और इसका नाम ‘आशियाना’ रखा। वर्ष 1927 में पंडित मोतीलाल नेहरु, 1928 में श्रीमती सरोजनी देवी, पं मदन मोहन मालवीय, के.एफ. नरिमन, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद ने फरीदपुर में इनके घर ‘आशियाना’