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हनुमान जयंती

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 आज हनुमान जयंती है। हनुमानजी सर्वप्रिय देवता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में आप सर्व पूजनीय है। आज ही के दिन माता अंजनी की गोद में बजरंग बली बालरूप में प्रकट हुए थे। यह अद्भुत संयोग है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी पर प्रभु श्रीराम जन्मे और उनके अनन्य भक्त पूर्णिमा की तिथि को।  राम भक्त हनुमान जी निर्भयता, विश्वास के देवता हैं। यह उनका स्वयं एवं प्रभु के ऊपर विश्वास ही था जो पृथ्वी की जीवन धारा के प्रतीक सूर्य को मुंह में रख लेने से लेकर समुद्र लांघने, ताड़का वध तक के काम उनसे करवा देता है। डर के आगे जीत है। डर को जीतने की कला में वे निपुण हैं। हनुमान जी से यह सीखा जा सकता है कि जिसने भी उनके मन में भय पैदा करने की कोशिश की, लेकिन वे अपनी बुद्धि और शक्ति के बल पर उनको हरा कर आगे बढ़ गए। डर को जीतने का पहला प्रबन्धन सूत्र हनुमान जी से सीखा जा सकता है कि अगर आप विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ना चाहते हैं तो बल और बुद्धि दोनों से काम लेना आना चाहिए। जहां बुद्धि से काम चल जाए वहां बल का उपयोग नहीं करना चाहिए।  रामचरित मानस के सुंदरकांड का प्रसंग है “सीता की खोज मे

शब्द यात्रा

 *आज  "नैहर", "पीहर" और  "मायका" शब्दों  से  मिलिए, आपको गुज़रा ज़माना याद करके अच्छा  लगेगा*  ! . . .नैहर  . . 'नैहर' का मतलब होता है- ' पिता का घर'  यानी  मायका  ! नैहर शब्द संस्कृत के 'ज्ञातिगृह'  से बना है ! ' ज्ञा'  धातु में  'क्तिन' प्रत्यय लगने से  'ज्ञातिगृह'  बना  जिसका अर्थ होता है -  पितृ-गृह, जान-पहचान वाले, सगे-संबंधी,  नाते-रिश्तेदार आदि आदि ! ‘ज्ञा’  धातु  में  ‘ जानने ‘  का भाव निहित है, मतलब  कि  जिसके बारे में हमें ‘ ज्ञात’ है यानी  जो हमारे लिए  ‘ अज्ञात’  या  ‘अंजान’ नहीं है ! इस  ‘ ज्ञान',  जानकारी, में व्यक्ति, स्थान, वस्तु,  से लेकर ज्ञानेन्द्रियों  से होने  वाले  ‘एहसास’  भी शामिल  होते हैं ! तात्पर्य  यह है कि ‘ज्ञाति ‘  शब्द में वे  सब चीजे  आती है,  जिन्हें हम भलीभाँति जान  चुके है ! जब यह शब्द ‘ गृह’  शब्द का जुड़  कर प्रयोग  में आया तो,  इसका  अर्थ  उन  व्यक्तियों के समूह से माना  गया, जो  हमसे  विशेषरूप से  सम्बन्धित  है, जो हमारे  रिश्तेदार है और  एक  ही ‘ घर’ मे रहते  हैं !