Wednesday, January 29, 2025

प्रयागराज कुंभ हादसा-एक अनहोनी थी, जो घट गई।

 प्रयागराज कुंभ हादसा-एक अनहोनी थी, जो घट गई।


प्रयागराज में जो हुआ दुखद है, अत्यंत दुखद। प्रयागराज कुंभ में भगदड़ मचने की वजह से असमय ही कुछ लोग काल-कवलित हो गए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।  लेकिन महाकुंभ जैसे अपार जनभागीदारी वाले आयोजन को जिस सुव्यवस्थित तरीके से अब तक आयोजित किया गया, उसे किसी अनहोनी से कमतर नहीं करार दिया जा सकता। अगलगी और फिर भगदड़ के मामले को जिस तीव्रता से नियंत्रित कर स्थिति को सामान्य बनाया गया, यह भी तो गौरतलब है। 

मैं जहाँ पदस्थापित हूँ उस सुदूर दक्षिण से कई मेरे परिचित सपरिवार महाकुंभ गए, ट्रेन से गए, वहां ठहरे और स्नान संपन्न कर लौट आए। वे सभी उत्साह से परिपूर्ण थे। उन्होंने कहा,  करोड़ों लोगों की आवाजाही के बावजूद कुम्भ नगरी की सफाई व व्यवस्था चकित करती थी। उनके लिए सबसे उल्लेखनीय प्रशासन व पुलिस का सहयोग था, जो किसी भी छोटे-बड़े सहयोग के लिए तत्पर दिखते थे।

इतने बड़े आयोजन में, दुनिया भर में अनेकों ऐसे उदाहरण है जहाँ अनियंत्रित या अज्ञात भय से अव्यवस्था मची, यहाँ भी भगदड़ मचने की वजह से कुछ लोगों की मौत हुई, जिसे प्रशासनिक चूक या अनहोनी दोनों के अंतर्गत रखा जा सकता है जो जांच का विषय है।  परंतु मेरा निवेदन है महाकुंभ में घटित आपदा में राजनीतिक या सामाजिक अवसर न खोजे जाए।  यदि कुंभ में खामियां ही खामियां हैं तो अब तक उनके अनुसार लाख असुविधा के बावजूद श्रद्धा और पुण्य की त्रिवेणी में करोडों श्रद्धालुओं ने कैसे डुबकी लगाई? श्रद्धालु कभी शिकायत नहीं करते। शिकायत सदैव पर्यटकों को होती है। परेशानी तो घर से निकलते ही होती है, परंतु वैसी परेशानियों को यदि हम लेकर चले तो जीना मुश्किल हो जाएगा।

प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार संगम में जिस ओर जाने की मनाही थी, उसी ओर भीड़ बढ़ी, हालांकि बैरिकेडिंग पर्याप्त था।  फिर भी जिस तरफ स्नानार्थी सोये हुए थे, उसी दिशा में बैरिकेडिंग टूटने की वजह से भीड़ भरभराती हुई सोये हुए स्नानार्थियों पर गिर पड़ी और उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ गई।  यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार की परिस्थितियों को पर्याप्त जागरुकता व सतर्कता से ही बचाया जा सकता है। इसी के साथ यह भी कहा जा सकता है कि मीडिया को भी सकारात्मक या नकारात्मक दोनों ही स्थितियों में अतिवादी रिपोर्टिंग से बचना चाहिए।  सायरन बजा कर रात 1 बजे जिन चैनलों ने खबर को ब्रेक किया यह दिखाता है भारत का मीडिया कितना गैर-जिम्मेदाराना है।

प्रशासन की तत्परता एवं व्यवस्था के साथ ही श्रद्धालुओं के संयम व अनुशासन की भी प्रशंसा की जानी चाहिए।  कल तक न किसी के कुंभ में जाने से कोई समस्या थी न ही कोई स्थिति अनियंत्रित थी।  लोग 12 किमी के फैले क्षेत्र में उत्साहपूर्वक स्नान करते रहे, कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई।  लेकिन ईश्वर ने जो लिख दिया है उसे तो होना ही है। यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था जिसे प्रशासनिक सतर्कता से नियंत्रित कर लिया गया है।  

इतने बड़े आयोजन में हमें किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार का हिस्सा बनने से भी बचना चाहिए।  क्योंकि इस विशाल आयोजन में इस प्रकार की घटनाएं होने की संभावनायें हमेशा से बनी रहती है। यह भी कहा जा सकता है कि बचाव दल त्वरित गति से सक्रिय हुआ और उपलब्ध हुआ। अंत में प्रार्थना है जो असमय काल-कवलित हो गए उनकी आत्मा को शांति और परिजनों को इसे सहन करने की शक्ति दें।भगवान भोलेनाथ सब पर कृपा करें, सबकी रक्षा करें।

डा. साकेत सहाय

भाषा-संचार विशेषज्ञ

#कुंभ #भगदड़

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