नभ: स्पृशं दीप्तम!

अक्सर हम भारत सरकार के विविध कार्यालयों के ध्येय वाक्य को देखते है। ध्येय वाक्य उस संस्था की प्रतिनिधि ध्वनि होती है। आइए जानते है आज भारतीय वायु सेना के ध्येय वाक्य- नभ: स्पृशं दीप्तम!  के बारे में - 



नभ: स्पृशं  दीप्तम!  

अर्थात् गर्व के साथ आकाश की ऊँचाइयों को छूने का संकल्प। 


भारतीय वायु सेना के ध्येय वाक्य का मूल स्रोत - 


गीता अध्याय-11 श्लोक-24 / Gita Chapter-11 Verse-24


नभ:स्पृशं दीप्तमनेकवर्णं

व्यात्ताननं दीप्तविशालनेत्रम् ।

दृष्ट्वा हि त्वां प्रव्यथितान्तरात्मा

धृतिं न विन्दामि शमं च विष्णो ।।24।।


हे विष्णो[1] ! आकाश को स्पर्श करने वाले, देदीप्यमान, अनेक वर्णों से युक्त तथा फैलाये हुए मुख और प्रकाशमान विशाल नेत्रों से युक्त आपको देखकर भयभीत अन्त:करण वाला मैं धीरज और शान्ति नहीं पाता हूँ ।।24।।


Lord, seeing your form reaching the heavens, effulgent, multi-coloured, having its mouth wide open and possessing large flaming eyes, I, with my inmost self frightened, have lost self-control 

साभार- भारतकोश


संकल्पना- डॉ साकेत सहाय

#साकेत_विचार

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