हिंदी और आत्मबल

#हिंदी #आत्मबल आज सुबह ट्विटर पर जब एक ट्वीट पढा कि 'अंग्रेजी मोह से ग्रसित चैनल के पत्रकार महोदय जब अपना सवाल ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता से अंग्रेजी में पूछते है तो इस पर नीरज चोपड़ा कहते हैं, सर! हिंदी में प्रश्न पूछिए। यह खबर बहुत बड़ी है। क्योंकि यह देश के निवासियों के भाषाई आत्म बल को जगाता है। उनके भाषाई प्रेम को दर्शाता है। आज नीरज चोपड़ा को कौन नहीं जानता है? वे खेल क्षेत्र के लिए आशा की नयी किरण हैं । उनकी यह पहल बहुत बड़ा संदेश हैं । हालांकि आप सभी को यह बात अतिश्योक्ति से भरी लगेगी, पर मेरे जैसे हिंदी प्रेमी के लिए इस घटना ने इसी बहाने जाने-अनजाने महात्मा गाँधी की याद दिला दी। 'जब आजादी के बाद बीबीसी पत्रकार उनसे अंग्रेजी में प्रश्न पूछता हैं तो वे कहते हैं जाओ जाकर दुनिया को कह दो गाँधी को अंग्रेजी नहीं आती । गांधीजी जैसा जिगरा सबका नहीं । फिर भी नीरज ने दुनिया को बहुत बड़ा संदेश दिया है । भाषा केवल संवाद या रोजगार का जरिया मात्र नहीं बल्कि देश के आत्म बल का प्रतीक भी होता है। आज यदि देखें तो हर स्...