स्वामी विवेकानंद
उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता। -स्वामी विवेकानंद
आज महान भारतीय संत, दार्शनिक और राष्ट्रवादी स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि है। स्वामीजी ने भारत के युवाओं में राष्ट्रीय चेतना जगाई और भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर पहुंचाया। स्वामी विवेकानन्द महज 39 साल जिए, पर इस दौरान हजारों वर्षों का काम कर गए। उन्होंने भारत को आध्यात्मिक रूप से जागृत किया। स्वामीजी का जीवन समस्याओं एवं संघर्षों के पहाड़ के बीच बीता। स्वामी विवेकानंद पश्चिमी दर्शन सहित विभिन्न विषयों के ज्ञाता होने के साथ-साथ एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह भारत के पहले हिंदू सन्यासी थे, जिन्होंने हिंदू धर्म और सनातन धर्म का संदेश विश्व भर में फैलाया। उन्होंने विश्व में सनातन मूल्यों, हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति की सर्वोच्चता स्थापित की। स्वामी विवेकानंद को आधुनिक भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रणेता माना जाता है। स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएँ ज्ञान का खजाना हैं। वे आत्मविश्वास, ज्ञान की खोज, आत्म-सुधार, दूसरों की सेवा और सार्वभौमिक भाईचारे के महत्व पर जोर देते हैं। उनका आदर्श वाक्य, "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए," आज भी दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
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