Sunday, July 20, 2025

एक कविता-सच

 जो अपनी 

सोच से, ताक़त से 

पद से, पैसा से, झूठ से, 

जुगाड़ से 

संसार 🌍 चलाना चाहते थे 

वे सब हो गये खाक 

क्योंकि दुनियां में

नाम उन्ही का अमर है 

जो हैं मर्यादा, अनुशासन नैतिकता, निष्ठा, ज्ञान, सहजता-सरलता की प्रतिमूर्ति 

प्रभु श्रीराम 🙏

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