व्याख्यान-हिंदी साहित्य और सिनेमा का अंतरसंबंध
दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में 23 अक्तूबर को हिंदी साहित्य और उसका सिनेमाई रूपांतरण विषय पर मेरा वक्तव्य रहा। आधार वाक्य साहित्य और सिनेमा के इस परस्पर संबंध को हिंदी सिनेमा ने समय-समय पर यथार्थ रूप प्रदान किया है। जो हिंदी कभी भारतीय सिनेमा की प्राण तत्व मानी जाती थी उसका स्थान अब हिंग्लिश ने ले लिया है। जिसका असर सिनेमा और हिंदी भाषा पर भी पड़ा है। ऐसे में आवश्यकता है कि हिंदी सिनेमा को शिखर पर ले जाने वाले साहित्य को पुष्पवित-पल्लवित करने की। अनेक विद्वान वक्ताओं से यादगार भेंट हुई- श्री अजित राय, श्री रविकांत, प्रोफेसर सत्यकेतु सांकृत आदि। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर रमा मैम का कुशल संयोजन एवं सान्निध्य मिला। विजय कुमार मिश्र, महेंद्र प्रजापति, प्राध्यापक एवं महाविद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं, शोधार्थियों का आभार! एक सार्थक विषय पर सराहनीय आयोजन हेतु हार्दिक बधाई!
©डॉ. साकेत सहाय
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