जम्मू-कश्मीर में धार्मिक आतंकवाद



आज फिर जम्मू कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवाद तथा स्लीपर सेल की मदद से भारतीयों की नृशंस हत्या कर दी गयी। आतंकवादियों ने तीन गैर स्थानीय लोगों को गोली मारी जिससे दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि एक गंभीर रूप से घायल है। मीडिया के मुताबिक, मूल रूप से बिहार के रहने वाले तीनों लोगों पर आतंकियों ने कुलगाम के वानपोह इलाके में अंधाधुंध फायरिंग की। इस आतंकी घटना में 2 गैर स्थानीय लोगों की मौत हो गई और 1 घायल हो गया। इससे पूर्व भी कश्मीर में बीते सप्ताह सनातन पंथ से जुड़े दो शिक्षकों की हत्या आतंकवादियों ने की थी। यह सब करके आतंकवादी कश्मीर में पुनः भय और आतंक का राज कायम करना चाहते है। 

दरअसल कश्मीर समस्या एक प्रायोजित समस्या है, जिसका समाधान मात्र घाव पर मरहम लगाने, विकास अथवा मुस्लिमों की खुशामद करने से नही होगा। इसका एकमात्र उपाय है भारतीय बनकर सोचना। उस जहर को नष्ट करना जिसे औरंगजेब जैसे शासक द्वारा मजहब की आड़ में बोया गया बाद में अंग्रेज़ों ने 'फूट डालो, राज करो की कुनीति के तहत इसे सींचा और इसी को सर सैयद अहमद ने आगे बढ़ाया फिर जिन्ना, इकबाल ने हिंदुस्तान के बंटवारे का बीज बोया। आज भी इसी नीच विरासत पर पाकिस्तान कश्मीर पर अपना हक जताता है, इसी कुत्सित सोच के तहत कुछ लोग कश्मीर में आतंकवाद का समर्थन करते है । जब तक पाकिस्तान और स्लीपर सेल के इस जहर को नष्ट नहीं किया जाएगा तब तक कश्मीर जलता रहेगा। 370 की समाप्ति एक बेहतर कदम है। पर अब सरकार को इससे आगे बढकर कठोर नीति अपनानी होगी। वहाँ के स्थानीय जिहादियों का विनाश करना होगा। यथाशीघ्र सरकार कश्मीर पर जमीनी हकीकत को समझते हुए कठोर और गंभीर बने, आवश्यकता है मरहम से अधिक कूटनीति से चलने की, पूरा कश्मीर हमारा है इसका मजबूती से उद्घोष करने की । 

पाकिस्तान का जन्म इस देश के लिए बहुत बड़ा चूक था, अब यह जहर फैलता जा रहा है, वोट नीति इस जहर को फैला रही है। सरकार से अनुरोध है कि कश्मीर में स्थानीय पुलिस, प्रशासन को मजबूत करे और भारतीयता की आस्था में विश्वास करने वाले कश्मीरियों को बढ़ावा दे। 

एक और महत्वपूर्ण बात यह कि सरकार को यथाशीघ्र कश्मीर में विदेशी हस्तक्षेप के संबंध में भी नीति बनानी होगी। भारत कश्मीर के मामले में एक बेहद कमजोर लोकतंत्र साबित हो रहा है। कश्मीर के संबंध में भारतीय मीडिया की नीति भी दोयम दर्जे की है। 

मीडिया से अनुरोध है कि वह सरकार का समर्थन या विरोध से अधिक थिंक टैंक की तरह कार्य करें और देशहित में सरकार एवं भारतीयता को मजबूत करें। उसे भावनाओं या टीआरपी से अधिक नीतिगत विरोध करने की जरूरत है। 

कश्मीर के मामले में भारत कथित मानवाधिकार संगठनों एवं चीन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की विरोधी नीतियों से भी प्रभावित है। जिन्हें मूल्यों से कोई मतलब नही है उनका एकमात्र एजेंडा है- भारत विरोध। 

यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत अंतरराष्ट्रीय राजनय एवं वैश्विक मंचों पर अपने बल पर प्रभावी हो रहा है। इस प्रभावी बढ़त का इस्तेमाल कर भारत इस धार्मिक आतंकवाद के जहर का विनाश करें । इसके लिए कश्मीर में समावेशी विकास के साथ ही उसे घर और बाहर में पाक-चीन समर्थित विचारधारा से भी निपटना होगा। अन्यथा यह जहर पाक, बांग्लादेश से आगे देश को कमजोर करेगा। कश्मीर धार्मिक आतंकवाद से जूझ रहा है और इसका समाधान नीति, नियम, प्रशासन, कूटनीति, संतुलन और कठोरता से ही करना होगा।

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#साकेत_विचार

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