अमिताभ होने का अर्थ


हिंदी फिल्मों के महान अभिनेता अमिताभ बच्चन 79 वर्ष के हो गए। कभी अमिताभ बच्चन के पिता, हिंदी के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन ने छायावाद के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर सुमित्रानंदन पंत के सुझाव पर ही अपने पुत्र का नाम ‘अमिताभ’ रखा, जिसका अर्थ है कभी न मिटने वाली आभा। आज हम सभी इस आभा से परिचित हैं। अपने जीवंत अभिनय, सरल, सहज भाषा, व्यवहार के कारण सदी के महानायक के रुप में ख्यात अमिताभ बच्चन बीते आधी सदी से भी अधिक समय से भारतीय सिनेमा को सशक्तता प्रदान कर रहे है। जब बच्चन साहब को भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, उसी समय से जुड़ा एक उद्धरण आप सभी से साझा करता हूँ। वे कहते हैं 'मैंने स्वयं से पूछा कि क्या दादासाहेब फाल्के पुरस्कार फिल्मी जीवन की सक्रियता से सेवानिवृत्ति का संकेत है तो यह गलत है मुझे अभी और बेहतर करना है।' -अमिताभ बच्चन सच में यही जिजीविषा किसी नायक को सदैव कुछ अप्रतिम करने की प्रेरणा देती है। आप सभी याद करें दिनांक 29.12.2019 का दिन, जब उन्हें भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ, जो अपने क्षेत्र का सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है, पर इसकी प्राप्ति के बाद भी उनमें अजीब-सा आत्मसंतोष का भाव दिखा । साथ ही बेहतर करने का उत्साह भी दिखा। यह बेहतर करने का उत्साह ही अमिताभ को 'अमिताभ' बनाता है। उसके बाद भी वे लगातार सक्रिय है। कोरोना काल में भी लगातार सक्रिय रहे। संगम नगरी, प्रयागराज में जन्मे अमिताभ बच्चन के पिता, डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन ने आरंभ में भले इनका नाम इंकलाब रखा था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग किए गए प्रेरक वाक्यांश 'इंकलाब जिंदाबाद' से लिया गया था। जब पिता हरिवंश राय ने इनका नाम ‘इंकलाब’ रखा होगा तो पता नहीं क्या सोचा होगा ? पर एक बात तो जरूर है कि 'यथा पिता तथा पुत्र'। अमिताभ बच्चन ने अपने कार्यों से फिल्मी दुनिया के इतिहास में एक इंकलाबी पड़ाव का अध्याय तो जरूर लिख दिया है। जहां तक पहुंचने का ख्वाब विरले ही देख पाएंगे। यह भी सच है प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत द्वारा दिए नाम ‘अमिताभ’ के अनुरूप वे भारतीय फिल्म इतिहास के ‘अमिताभ’ साबित हुए। यह बहुत कम इंसान के सौभाग्य में होता है जब वह अपने कार्यों से अपने नाम की सार्थकता को उजागर करें। ‘अमिताभ’ बनना बहुत मुश्किल होता है। सदियां लग जाती है, शायद यहीं कारण है सिने प्रेमियों ने इन्हें 'महानायक' का दर्जा दिया। अभिनय के प्रति इनकी निष्ठा, लगन, इनकी सक्रियता, रचनात्मकता, निरंतरता इन्हें अरबों में एक बनाती है। यह उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विनम्रता है कि वे अपनी हर सफलता में ईश्वर कृपा, माता-पिता का आशीर्वाद, अपने निर्माता-निर्देशकों एवं सह-कलाकारों के योगदान को जरूर गिनाते है और सबसे अधिक भारत की जनता का स्नेह और निष्ठापूर्ण प्रेम। अमिताभ बच्चन का राज अपनी सहज अभिनयशीलता एवं दमदार संवाद अदायगी से करोड़ों लोगों के दिलों पर बरसों से कायम है। उनकी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्में हैं- अभिमान, मिली, शोले, दीवार, मैं आजाद हूँ, जंजीर, शक्ति, आनंद, सिलसिला, ब्लैक,बागबां, पा तथा पिंक आदि। आप स्वस्थ एवं अभिनय के फलक पर निरंतर सक्रिय रहे। ईश्वर आपको दीर्घायु दें । परमपिता से यही कामना है । क्योंकि आज के दौर में आपसे बहुतों को सीख मिलता है, आपकी कार्य निष्ठा एक संदेश है। जो बहुत बड़ी आबादी को प्रेरित करती है । आप अपनी भाषा, संस्कृति एवं लिपि के प्रति बेहद सजग है। 'अमिताभ' होने का यही अर्थ है । ©डॉ. साकेत सहाय

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