हिन्दुस्तानी ज़बान युवा पत्रिका अंक ( अक्टूबर- दिसम्बर 21) खेल विशेषांक में मेरे लेख 'खेल की दुनिया के किंवदंती पुरूष- मेजर ध्यानचंद को जगह देने के लिए बड़े भाई Sanjiv Nigam जी का आभार । जब मैंने एक पोस्ट के रूप में इसे फेसबुक पर लिखा था तो उनका फोन आया। इसे थोड़ा बड़ा करके हमारी पत्रिका के लिए भेज दीजिए । मेरी लेखनी का सम्मान बढ़ा । क्योंकि यह पत्रिका एक ऐतिहासिक संस्थान से सम्बद्ध हैं । यह पत्रिका राष्ट्रभाषा के प्रबल समर्थक महात्मा गाँधी द्वारा स्थापित ‘हिन्दुस्तानी प्रचार सभा’ से जुड़ी है। जिसकी स्थापना सन् 1942 में महात्मा गाँधी ने की थी। यह संस्था हिन्दुस्तानी (सरल हिन्दी) के साथ-साथ गाँधीजी के उसूलों के प्रचार-प्रसार में भी यह संस्था कार्यरत है। संस्थान की वेबसाइट से पता चलता है कि इस महान संस्थान को डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुलकलाम आज़ाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. ज़ाकिर हुसैन, आचार्य काकासाहेब कालेलकर, श्री बाला साहेब खेर, डॉ. ताराचंद, डॉ. ज़ाफर हसन, प्रो. नजीब अशरफ नदवी, श्री श्रीमन्नारायण अग्रवाल, श्रीमती पेरीन बहन कैप्टन, श्रीमती गोशीबहन कैप्टन, पंडित सुन्दरलाल, पंडित सुदर्शन, श्री सीताराम सेक्सरिया, श्री अमृतलाल नानावटी, श्री देवप्रकाश नायर जैसी बड़ी-बड़ी हस्तियों का सहयोग मिला । आइए हम सब इन महानायकों के कृतित्व को नमन करते हुए हिंदी को इस देश की सांस्कृतिक, सामाजिक, वैज्ञानिक प्रगति का सूत्रधार बनाए। आलेख पढ़कर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देंगे। #साकेत_विचार
हिंदी विश्व में भारतीय अस्मिता की पहचान है। हिंदी भारत की राजभाषा,राष्ट्रभाषा से आगे विश्वभाषा बनने की ओर अग्रसर है।
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