लोकसभा में पहला हिंदी भाषण और नेहरू जी का हस्तक्षेप

लोकसभा में पहला हिन्दी भाषण हिन्दी-दिवस तो मना लिया, परन्तु आज यदि किसी से पूछा जाए कि भारत की पहली लोकसभा में सर्वप्रथम हिन्दी में भाषण किसने किया था, तो शायद कोई विरला ही मिले जो इसका उत्तर दे सके। मुझे आश्चर्य है कि इसका उत्तर गूगल पर भी दर्ज नहीं है। ऐतिहासिक तथ्य है कि लोकसभा में सबसे पहले हिन्दी में भाषण करने वाले प्रातः स्मरणीय,परम पूज्य, स्व. पंडित रघुनाथ विनायक धुलेकर जी थे। पंडित धुलेकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी, झांसी से लोकसभा के प्रथम सदस्य तथा भारतीय संविधान सभा के सदस्य थे। वे उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष और विधानसभा के स्पीकर रह चुके थे। आचार्य पंडित धुलेकर ख्यातिलब्ध वकील और अंग्रेजी में उच्च शिक्षा प्राप्त होते हुए भी राष्ट्रभाषा हिंदी और आयुर्वेद पद्धति के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने झांसी में बुन्देलखण्ड आयुर्वेद महाविद्यालय की स्थापना की जो आज राजकीय संस्थान है। उनका संकल्प झांसी में आयुर्वेद विश्वविद्यालय स्थापित करने का था, जो पूर्ण नहीं हो सका। झांसी में लोग प्यार से आचार्य पंडित धुलेकर को कक्का धुलेकर कहा करते थे। मेरी सरकारी सेवा का प्रारम्भ वर्ष-1980 में पंडित धुलेकर जी द्वारा स्थापित संस्था बुन्देलखण्ड राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय से ही हुआ था। दुर्भाग्य से मैं उनका दर्शन नहीं कर सका था। मेरे ज्वाइन करने से एक महीने पहले ही पूज्य कक्का धुलेकर का निधन हो चुका था। परन्तु पूज्य कक्का के सुयोग्य पुत्र आदरणीय (स्व.) डा. शिवाजी राव धुलेकर मेरे विभागाध्यक्ष थे। उनसे तथा अन्य शिक्षकों और झांसी की जनता से कक्का के संस्मरण सुनने को मिलते रहते थे। कक्का सिध्दांतों के पक्के, सत्याग्रही और जिद्दी भी थे। जहां तक हिन्दी की बात है तो, पहली लोकसभा में सबसे पहला हिन्दी भाषण करने वाले पंडित धुलेकर जी ही थे। इसका पूरा विवरण वर्ष 1980 या1981 के काल में उस जमाने की लोकप्रिय पत्रिका "धर्मयुग" के "हिन्दी विशेषांक" में प्रकाशित हुआ था। वह पूरा विवरण मैंने पढ़ा था, जिसमें उल्लेख था कि- जब पहली लोक सभा में पंडित धुलेकर ने पहली बार हिन्दी में भाषण शुरू किया तो दक्षिण भारतीय सांसदों के अतिरिक्त भी बहुत से सांसद विरोध में चिल्लाने लगे। शोर मचने लगा- Please Speak in English- Speak in English... परन्तु कक्का हिन्दी में ही बोलते रहे, तब प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने धीरे से हस्तक्षेप किया और कहा- Mr. Dhulekar please speak in English. This is Parliament House and not ground of Jhansi. Should I believe that you are unable to speak in English ? पंडित नेहरू के धीरे से टोकने को सार्वजनिक करते हुए कक्का धुलेकर हिन्दी में बोले कि प्रधानमंत्री जी मुझे टोक रहे हैं और पूछ रहे हैं कि क्या मैं अंग्रेजी नहीं बोल सकता हूं ? " मैं सदन को बताना चाहता हूं कि मैंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक उपाधि प्राप्त किया है। अंग्रेजी के समर्थन में जो शोर मचा रहे हैं, उनसे अच्छी अंग्रेजी बोल सकता हूं। परन्तु देश आजाद हो चुका है, हिन्दुस्तानी होने का गर्व है, हिन्दी भाषा पर गर्व है और हिन्दी में ही बोलूंगा। कक्का झुके नहीं और हिन्दी में अपना व्याख्यान पूरा किया।" मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसे ऐतिहासिक विवरण, क्यों आम जनता की जानकारी में प्रसारित नहीं है। क्यों गूगल के नालेज बैंक में भी यह दर्ज नहीं है..

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