एक बार फिर अवतार लें प्रभुनाथ राम


अभी दशहरा बीता ! काफी कुछ रावण के समर्थन में लिखा गया। पर राम को समझना इतना आसान नहीं। क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम सब नहीं बन सकते। इसीलिए ईश्वर कहलाए। राम वास्तव में अपेक्षा, लोभ, स्वार्थ, काम, क्रोध, सांसारिक मोह से परे कर्तव्य और मर्यादा से बंधे पुरषोत्तम है। श्रीराम की गाथा मानव के 'मानव' बनने का इतिहास है। रामगाथा 

 राम ! 

 आपकी गाथा, 

 आपकी पताका, 

 आपका शौर्य, 

 आपका मान, 

 हमारा अभिमान 

 आपका सम्मान 

 हमारा मान 

 आपकी मर्यादा

 हमारा अभिमान 

 भारत की शान 

 राम आपकी गाथा

 किताबों से परे 

हमारे संस्कार-संस्कृति 

राम 

हमारे भावों से 

आत्मा से

 कैसे विलुप्त हो गए? 

क्या आपका विलुप्त होना 

 भारतीयता का

 संस्कार का 

 संस्कृति का 

मर्यादा का

 नष्ट होना नहीं ? 

 राम आप तो चक्रवर्ती सम्राट थे। 

आपने दशानन को विजित किया 

वहीं दशानन जो 

संसार का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति था

 पर अहंकारी था

 लोग कहते है कि 

 आपने दशानन का वध किया

 पर मुझे लगता है आपने

 उसके अहंकार का शमन किया! 

 इस कलियुग में आपके एक और अवतार की आवश्यकता है प्रभु!

 क्योंकि आपके पुत्र अपनी मूल प्रकृति को भूल चुके है!

 #साकेत_विचार

 ©डॉ. साकेत सहाय

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