अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस - कुछ विचार

 कल बड़ी ख़ामोशी के साथ एक दिवस आया और चला गया। हर विषय पर मुखर रहने वाला सोशल मीडिया भी मौन रहा। अंध मुखरता के कारण यह वर्ग बड़ी खामोशी के साथ खुद को बदनाम महसूस कर रहा है। जैसे सरकार ने एक नकारात्मक भय से किसान कानून निरस्त कर दिया । खैर यहाँ हम बात कर रहे है अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस की। वैसे खुशी इस बात की है कि अन्य दिवसों की भांति इस मूक मजदूर वर्ग के लिए कोई तो दिवस बना। अन्यथा, यह वर्ग तो अपनी झूठी शान में जी रहा है। समाज में आधी से अधिक आबादी का हिस्सा इस तथाकथित अत्याचारी समाज से अपील है कि अपनी कमियों को पहचाने, अपनी खूबियों को जाने। आप समाज के महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप निर्माता नहीं, पर निर्माण के स्तंभ जरूर हैं । समाज आपके बिना चल नहीं सकता। क्योंकि वर्तमान में समाज के बड़े हिस्से की अंधभक्ति में हम भावी पीढ़ी के लड़कों का हश्र वहीं न कर दें जो आज से तीन सदी पूर्व लड़कियों के साथ होता था। आज का यथार्थ यह है कि लडकें भी शोषण का शिकार हो रहे हैं। समाज का मूल स्वभाव है 'सख्तर भक्तों, निर्ममों यमराज'। वैसे अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 2021 का मुख्य प्रसार उद्देश्य पुरुष-स्त्री के बीच बेहतर संबंध, सामंजस्य का निर्माण करना है। वर्ष 1999 के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप में सार्वजनिक आयोजनों की शुरुआत हुई । इस दिवस का मूल उद्देश्य जीवन में पुरुष के रूप में स्थापित हुए संबंध यथा, भाई, पिता, पति, दोस्त के साथ दिल और दिमाग़ में रिश्ता बैठाकर उनके साथ समय बिताना, उनकी समस्याएं जानना। साथ ही उन्हें इस बात का भी अहसास दिलाना कि वे अपने आसपास के लोगों के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, उनके जीवन को कैसे समृद्ध करते हैं। यहीं सार्थकता है इस दिवस की। हालांकि इस प्रकृति के अनुसार पुरुष का पौरुष और स्त्री का स्त्रीत्व बना रहे, यही प्रार्थना है।


#साकेत_विचार 



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