इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और लोकतंत्र
लोकतंत्र की वास्तविक सार्थकता तभी सत्य सिद्ध होती है जब जनता और शासन व्यवस्था के बीच बेहतर संवाद कायम हो। इस संवाद को बेहतर तरीके से निष्पादित करने का कार्य संचार माध्यम करते है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने में संचार माध्यमों की बड़ी भूमिका है। संचार माध्यमों ने भारत के संसदीय जीवन में निर्णायक भूमिका निभाई है। विशेष रूप से 1990 के दशक के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने लोकतंत्र को बहुत ही अधिक प्रभावित किया है। इस माध्यम ने प्रेस के दोनों मुख्य पहलूओं यथा सूचना उद्योग के एक भाग के रूप में तथा दूसरा- जनमत तैयार करने के एक कारक के रूप में अत्यंत प्रभावी और विश्वसनीय तरीके से कार्य किया है। हालांकि इस विश्वसनीयता पर विवाद हावी हो चला है, जिससे विवाद से मीडिया को सत्य के साथ संतुलन बनाते हुए आगे आना होगा। इन्हीं सब बिंदुओं को रेखांकित करता मेरा आलेख “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और लोकतंत्र” को जगह मिली है प्रतिष्ठित पत्रिका “अपनी माटी” के मीडिया विशेषांक में…
शोध आलेख : इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं लोकतंत्र / डॉ. साकेत सहाय | https://www.apnimaati.com/2022/03/blog-post_35.html
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