*हिंदी के व्यंग्य लेखक स्व शरद जोशी जी का आज जन्म दिवस*
*हिंदी के व्यंग्य लेखक स्व शरद जोशी जी का आज जन्म दिवस*
"कविताएं जो आरंभ में कोमल लगती हैं, बाद में शस्त्र बन जाती हैं। मोटे उपन्यास खोपड़ी पर ईंट की तरह टूटते हैं और लंबी कहानियां बरछी की तरह। लोग अपने संकलनों को दीवार पर टंगे शस्त्र का आदर देते हैं। समीक्षा ब्रह्मास्त्र है। उसके आतंक के आगे कौन ठहर सका है ? साहित्य सेवा का शुद्ध अर्थ हाथ में तलवार लेकर चलना और दूसरों की गर्दनें उड़ाना है। परम लक्ष्य है मैदान में अकेले बचे रहना और मुर्दों पर हंसना। दूसरों को काटना, काटते रहना ही साहित्य में जीवन की सार्थकता है।
मारो, मारो ! अपना पराया जो भी हो, मारो ! गुट बनाकर दूसरे गुट को मारो ! विजय के बाद अपने गुट के सदस्यों को मारो ! सेमिनार एक दूसरे को घायल करने के सामुदायिक मोर्चे हैं। विचार-विमर्श का अर्थ है युद्ध का नक्शा बनाना। साहित्य में कोई खुद नहीं मरता। दूसरे के मारे मरता है। हर शव पर पैर रखकर किसी ने तस्वीर खिंचवाई है। उस तस्वीर खिंचवाने वाले को किसी और ने मारा है। कोई सुरक्षित नहीं। साहित्य में हर चीज़ शस्त्र है, हर स्थिति स्ट्रेटेजी। केवल मारना ही कर्म है।
-- स्व शरद जोशी 🎂🙏
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