न्यायालय की भाषा
आज सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, देश के विधि मंत्री द्वारा न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर देने की बात पर मन में यह विचार आया कि क्या हम हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं में परस्पर सद्भाव के बिना इस महत्वपूर्ण विमर्श को साकार कर सकते है? इस हेतु यह ज़रूरी है ……
देश में भाषिक समुन्नति हेतु भारतीय भाषाओं की परस्पर एकता को सुदृढ़ किया जाए। हमारी ‘फ़िज़ूल’ की भाषिक लड़ाई का अक्सर फ़ायदा अंग्रेज़ी उठातीं रही है। इस परस्पर वैमनस्य का सबसे बड़ा लाभ अंग्रेज़ी भाषा ने उठाया है। अंग्रेज़ी के बारे में दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य यह है कि औपनिवेशिक दासता की मूल भाषा होने के बावजूद देश के नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, मीडिया में इसके प्रति शून्य नकारात्मकता मौजूद है। जिससे यह भाषा बड़ी तेज़ी से हमारी अपनी भाषाओं की जगह हड़प रही है। इस दिशा में सोचा जाना बेहद ज़रूरी है।
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