आर्थिक सुधारों के नरसिंहा


आज पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पी वी नरसिंह राव (पामुलपर्ति वेंकट नरसिंह राव) जी की पुण्यतिथि है।  आज ही के दिन 23 दिसंबर, 2004 को उनका निधन हुआ था। 

भाषा प्रेमी नरसिंहा राव अब तक के एकमात्र प्रधानमंत्री रहे जिन्हें 17 भाषाओं का ज्ञान था।  उनका जन्म 28 जून, 1921 को वर्तमान तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले में हुआ था । 1991 से 1996 तक प्रधानमंत्री पद संभालने वाले वे कांग्रेस पार्टी से पहले गैर हिंदी-भाषी शख्स बने । गैर नेहरू-गांधी परिवार से होने के बावजूद वे पांच साल तक सत्ता में रहने वाले  पहले प्रधानमंत्री  रहे । लाइसेंस राज को खत्म करने सहित कई आर्थिक सुधारों का उन्होंने सूत्रपात किया । उनके वित्तमंत्री रहे मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था के उदारीकरण युग की शुरुआत की । बाद के प्रधानमंत्रियों ने उनकी आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाया । 

वर्तमान समय तक कांग्रेस पार्टी से मूल रूप से संबंधित रहे एक प्रकार से वे अंतिम प्रधानमंत्री रहे । नरसिंहा राव जी भारत में उदारीकरण के जनक माने जाते हैं । साथ ही उन्हें मनमोहन सिंह जी को राजनीति में लाने का श्रेय भी दिया जाता है। उन्होंने ऐसे समय में पदभार संभाला, जब भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर मानी जा रही थी। आज देश को उनके द्वारा किए गए मजबूत आर्थिक सुधार एवं अन्य उल्लेखनीय योगदान हेतु उन्हें याद करने की आवश्यकता है।  

उनके पदभार संभालने के समय देश आर्थिक मोर्चे पर निराशाजनक स्थिति का सामना कर रहा था। आयात और निर्यात का असंतुलन चरम पर था। ऐसे समय में उन्होंने अर्थव्यवस्था को उदार बनाने के उपाय शुरू किए। लाइसेंस राज, लालफीताशाही कम करने और भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने हेतु उनके सुधार उल्लेखनीय माने जाते हैं । सरकार के हद से ज्यादा नियंत्रण कम किए जाने लगे। हालाकि इसकी विवेचना अलग है। प्रांरभ में आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद वे जरूरी बदलावों के साथ आगे बढ़ते रहे। 

उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्विक, विशेष रूप से पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ एकीकरण की नींव रखी। वे एक महान आर्थिक सुधारक थे और चाहते थे कि भारत बदलती दुनिया से सीख लेकर आगे बढ़े । देश उन्हें निकाय सुधार, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक सुधार, इसरायल से संबंध स्थापित करने के लिए सदैव याद रखेगा। श्री नरसिम्हा राव जी राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा के लिए भी जाने जाते हैं। वर्ष 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद उनकी भूमिका को स्वीकारते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था, "बम तैयार था, मैंने केवल इसे विस्फोट किया"।  

भारत उल्लेखनीय विदेश नीति के लिए सदैव उन्हें याद करेगा । इसरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना बेहद ऐतिहासिक रहें । 

एक भाषा सेवी होने के नाते मैं उनके हिंदी एवं भारतीय भाषा प्रेम हेतु भी नमन करता हूँ । 

नरसिंहा राव जी बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी रहे। वे 17 भाषाओं के ज्ञाता थे। हिंदी, मराठी, उर्दू, संस्कृत, बंगाली, गुजराती, ओडिया, तमिल, कन्नड़, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, फारसी, अरबी और स्पेनिश सहित कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में कुशल थे। पर खेद है देश ने उन्हें वो सम्मान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे। भारतीय मीडिया उन्हें Accidental PM मानती थीं । पर मेरे विचार से यह सुघटना साबित हुई। 

नमन। #विनम्र श्रद्धांजलि 

#नरसिंहा_राव 


✍©डॉ. साकेत सहाय

संपर्क: 

hindisewi@gmail.com

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