2022 में चुनाव

 2022 में चुनाव! 





पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं । चुनावी सर्वेक्षणों की शुरूआत हो चली है। इसमें अधिकांश मीडिया संगठनों, पत्रकारों द्वारा भारतीय समाज को विशेष रूप से हिंदू समाज को जातिगत भेदभाव के आधार पर बांटा जाता है। यह गलत है। मीडिया चैनलों द्वारा यह किया जाना किसी षडयंत्र का हिस्सा लगता है। दलित, ओबीसी, अगड़ों के आधार पर चुनावी मतों का निर्धारण किया जाता है। नेताओं के टिकट तय किये जाते हैं । यह सरासर गलत है। भारतीयता का अपमान है। 

मीडिया जिसे चौथा खंभा माना जाता है वह इस खेल में सबसे आगे शामिल हैं। आज दलित , अगड़ा कोई नही है सब पैसों का खेल हैं । जो संपन्न है वह अगड़ा है और जो वंचित है वह दलित हैं। हमें इस आधार पर हिंदु या किसी भी संप्रदाय को विभाजित नही करना चाहिए । मैं यह सब अधिकांश चुनावों में देखता हूँ । इसका प्रबल विरोध होना चाहिये । विकसित भारत का चुनाव सर्व भारतीय समाज के आधार पर होना चाहिए । न कि दलित, पिछड़ा, ओबीसी, अगड़ी जाति के आधार पर होना चाहिए । भारतीयता की पहचान है -सभी का समावेश । उसमें धर्म, जाति न हो । 

एक भारतीय नागरिक का विकास पहला उद्देश्य हो। भले ही यह सोच धीरे-धीरे विकसित हो पर जोरदार कोशिश तो हो। आजादी के पहले अंग्रेजों ने इस देश को विभाजित सोच के आधार पर बाँटा। बाद में वामपंथी, समाजवादी, दक्षिणपंथी पार्टियों ने भी धर्म-जाति के आधार पर इस देश के चुनावों को प्रभावित किया। फिर मंडल-कमंडल की राजनीति की गई । सेकुलर, भ्रष्टाचार एवं विकास जैसे शब्दों ने भी खूब बेड़ा गर्क किया। 

शीघ्र ही चुनाव होने वाले है। क्योंकि चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के लिए न कोरोना हैं और न ओमिक्रान। चुनाव तो होंगे ही। ऐसे में जनता को जाति- धर्म से अधिक अपनी आंखें खुली रखकर देशहित में निर्णय लेना होगा। बहुत- हुआ सेकुलरवाद, जातिवाद और धर्म की राजनीति । 

हमारा देश 10000 वर्ष पुरानी सभ्यताओं, परंपराओं का देश हैं । जहां सभी कुछ वाचिक आधार पर पुष्पपित-पल्लवित हुई। अतः देश को 74 सालों के आधार पर मत तौलिए। देखिये देश कब-कब विभाजित हुआ। देश में दोमुँहे विरासत वाले कौन है। 

2022 देहरी पर खड़ा है। जिसमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बड़े राज्य तथा अन्य महत्त्वपूर्ण प्रदेशों में लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व आने वाला है। इस महापर्व का स्वागत पूरे जोशो-खरोश के साथ करें । अपनी आंख-कान-नाक खुली रखें । देश को बहुसंख्यक समाज, अपने हितों की खातिर जातिगत आधार पर बांटने वालों तथा सर्व-भारतीयता की पहचान- अल्पसंख्यक वर्ग को चुनावी चश्में से देखने वालों को सबक सिखाए। चुनाव को सेकुलर बनाम नाॅन-सेकुलर में बांटने वालों से प्रश्न पूछें । जनता के लिए प्रदेश के चुनाव भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें तय करने का अवसर देता है कि हम किसे अपना नेतृत्व सौंपे। हमारी गति, नीति को प्रभावित करने वाली अंग्रेजी शासन व्यवस्था ने हमें मूढ़ एवं अंतहीन स्वार्थी बना दिया है। कुछ सालों तक तो हमने अपनी परंपराओं को जिंदा रखा । पर अब धीरे-धीरे वह पीढ़ी भी कमजोर हो रही हैं । बाद की पीढी ने इसे एक हद तक संभाला रखा। पर वर्तमान पीढ़ी अपनी विरासत एवं परंपराओं से उस हद तक परिचित नहीं हैं । ऐसे में यह जरूरी है कि हम इस पीढी को जो सोशल मीडिया की पीढी है और 2022 में पहली बार अपना मत देने को तैयार खड़ी है। उसे लोकतांत्रिक रूप से जागरूक बनाए। 

इसमेें परिवारजनों,  शैक्षणिक संस्थानों एवं मीडिया की भूमिका बढ़ जाती हैं । मीडिया के लिए यह जरूरी है कि वह अपने निदेश, निर्देश एवं रिपोर्टिंग में तटस्थ रहे तथा सर्व-भारतीय समाज के निर्माण के लिए कार्य करें। 

 आंग्ल नव वर्ष-2022 की अग्रिम शुभकामना ! 

 जय हिंद!जय भारत! जय हिंदी ! 

 @डॉ साकेत सहाय 

 hindisewi@gmail.com 

#साकेत_विचार

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