मातृ दिवस





माँ, पिता और गुरु  इस धरा पर भगवान के  भेजे हुए दूत हैं।  आज हम सभी जो कुछ भी है उसमें  इन तीनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।  आज मातृ दिवस माँ, पिता और गुरु  इस धरा पर भगवान के  भेजे हुए दूत हैं।  आज हम सभी जो कुछ भी है उसमें  इन तीनों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।  आज मातृ दिवस पर माँ को नमन्। वैसे तो भारतीय संस्कृति में माँ, पिता और गुरु के लिए कोई विशेष दिन नहीं होता क्योंकि इस धरा पर हम सभी का अस्तित्व ही इन तीनों से है और हम भारतीय तो माँ-बाप दोनों को अभिन्न मानते है। हर दिन इन्हीं का है।  हमारे शास्त्रों में कहा गया है। 

श्लोक-

पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता। 

मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।। 

अर्थात् माता सर्वतीर्थमयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं अत: हम सभी को सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए। जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।

आइए दिखावे से इतर माँ-बाप का सम्मान करें। उन्हें प्रेम और अधिकार दें। अन्यथा मातृ दिवस का नाटक बंद करें।  इस अवसर पर मातृ दिवस और वृद्धाश्रम के अंतर्विरोध को समझें। मातृ दिवस की सार्थकता इसी में है कि हम वृद्धाश्रम को समाप्त करें। 

आज मेरे ८ वर्षीय बेटे सौमिल सहाय ने अपनी माँ को अपने बाल स्नेह से निर्मित शुभकामना पत्र दिया, अंग्रेजी में इसे देखकर मैंने हिंदी में भी बनाने की बात कही। तुरंत ही उसने हिंदी में बनाया। मेरे लिए सुखद यह रहा कि उसने एक छोटी-सी बाल कविता माँ के  ऊपर हिंदी में लिखी। संसार की पहली शिक्षिका के नमन दिवस पर इससे बड़ी संस्कार की शिक्षा क्या हो सकती है आप राष्ट्रभाषा को समृद्ध करें। कहा भी गया है -

अक्षर जुड़ते हैं तो बनता हैं शब्द ।

शब्द देता है अक्षरों को अर्थ ।

आइए अक्षरों की तरह हम आपस में जुड़ते जाएं। 

मिलकर दें अपनी संस्कृति को नई पहचान। 

जय हिंद! जय हिंदी 

इस दिवस पर कई पोस्ट लोग लिख रहे है कि एक संकल्प लें कि कोई भी पुरुष माँ के नाम पर गाली न दें।  मेरा मानना है असली संकल्प हो न माँ के नाम पर, न बाप के नाम पर। गाली देना एक मानसिक विकृति है और आजकल तो उत्तर आधुनिक महिलाएँ भी गाली दे रही है, अब इस गिरावट पर किसे कोसें?निहितार्थ यहीं है इन सभी दिवसों को हम सभी बाज़ारवाद से अधिक संस्कार पोषण दिवस के रूप में अधिक देखें। 

#साकेत_विचार






#mothersday2022

Comments

सारगर्भित,संग्रहणीय, अभिनंदनीय
Anonymous said…
आभार आपका

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