महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक अव्यवस्था
विनम्र श्रद्धांजलि!
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की आज पुण्यतिथि है। उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक आंइस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी थी। स्वर्गीय वशिष्ठ नारायण सिंह इस देश व विशेष रूप से बिहार प्रदेश की दुर्व्यवस्था के शिकार होकर 40 वर्षों से अधिक मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रहे और असमय ही यह देश उनकी प्रतिभा, ज्ञान के उपयोग से वंचित रहा। इसे किसका दुर्भाग्य माना जाए? अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक। अति पिछड़ा या महादलित। कांग्रेस या राजद बीजेपी या जेडीयू। इस हमाम में सभी नंगे खड़े नज़र आयेंगे।
उनकी अकाल मृत्यु इस देश की व्यवस्था में व्याप्त अनैतिकता एवं असमानता पर बहस एवं विरोध की मांग करती है। शिक्षा में इलीट समझे जाने वाले लोग किस प्रकार से कमजोर व दलित (कृपया इसे किसी जाति समूह से न जोड़े) लोगों का शोषण करते है उनकी ' मृत्यु गाथा" 🥲 इस ओर इशारा करती है। वक्त की मांग है कि शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप एवं वर्गभेद समाप्त हो। सभी को समान अवसर मिले। साथ ही देशी भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने हेतु हम सभी अपने अपने स्तर पर कार्य करें । प्रदेश की सरकार केवल विभाजनकारी राजनीति न करें। अब तो विद्यालय भी जातिगत आधार पर बिहार सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं।
हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में किताबें लिखी जाएं । इस देश की लचर शिक्षा व्यवस्था जो वर्षों से भगवान भरोसे है। उच्च शिक्षा व्यवस्था जुगाड़ एवं जुगाली के भरोसे चल रही है। दिल्ली एवं तमाम विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के खेल में व्याप्त खेल से हम सब दशकों से वाकिफ है। महान गणितज्ञ को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि अब कोई और वशिष्ठ नारायण शोषित न हो।
क्षमा सहित आपको नमन🙏
सादर,
डाॅ साकेत सहाय
hindisewi@gmail.com
#साकेत_विचार
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