हिंदी अपमान नहीं सम्मान की भाषा
सोशल मीडिया में दो चुटकुले अक्सर दिखते हैं -
1. भारत के भाषिक गुलाम और अंग्रेजी के अंध अनुचर हिंदी शब्दावली को कठिन कहकर इसे हास्य-व्यंग्य का हिस्सा बनाकर खुद को ही मसखरा सिद्ध करते है। उन्हें स्वयं को पता होना चाहिए कि वे अपनी ही भाषा की अपमान कर रहे है । जो उनके देश की, राष्ट्र की, बाबा साहब के संविधान की भाषा है। जिसे जन व नीति निर्माताओं ने राष्ट्रभाषा से राजभाषा बनाया। तो क्या हिंदी का अपमान भारतीय संविधान, स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और बाबा साहब और राष्ट्रपिता का अपमान नहीं है।
अक्सर हिंदी द्रोही ट्रेन के लिए लौहपथगामिनी जैसे निरर्थक शब्दों का प्रयोग करते है। पता नहीं ऐसे मूर्ख कौन-से विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करके आए हैं? यह हिंदी का शाब्दिक अपमान तो हैं ही, उस भाव का भी अपमान है जिस भाव के तहत हिंदी ने सबको एक सूत्र में पिरोया। क्या यह पिरोना बिना हिंदी की सहजता और सरलता के संभव था? आज भी गांव में लोग ट्रेन को पटरी गाड़ी कहते हैं । फिर किस षड्यंत्र के तहत इस प्रकार की शब्दावली गढ़ी गयी।
तथ्य यह है कि लौह पथ गामिनी जैसे शब्द हिंदी के किसी भी शब्दकोष में तशामिल नहीं हैं । यह मात्र भाषिक मजाक का हिस्सा भर है । सच तो यह है कि हिंदी में दूसरी भाषाओं को पचाने की अद्भुत क्षमता हैं और उसके पास संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं का अपूर्व शब्द भंडार है । वास्तव में रेलगाड़ी संकर शब्द हैं । हिंदी में ऐसे बहुत से शब्द हैं जो शब्द के चार रूप के अंतर्गत नहीं आते। इन्हें संकर या द्विज शब्द कहा जा सकता है । रेलगाड़ी (अंग्रेजी +हिंदी) मालगाड़ी (अरबी +हिंदी) राजमहल (हिंदी +अरबी)। आदि ।
दूसरा इसी प्रकार हिंदी के साहित्य की बिक्री को किलो में लोग दिखाते है क्या ऐसा अंग्रेजी में नहीं होता ? आप दिल्ली के किसी भी मैट्रो में चले जाए आपको अंग्रेजी का साहित्य कुड़े के भाव मिल जाएगा। क्या यह साहित्य का अपमान नहीं है । सच यह है कि साहित्य कोई भी हो सभी का सम्मान होना चाहिए । पर देश की भाषा सबसे ऊपर है और हिंदी तो भारत का सिरमौर है।
आइए हिंदी पर गर्व करें । संविधान का सम्मान करें । कभी सोचिएगा ।आज सोशल मीडिया पर यह संदेश दिखा
हिंदी*
हमारी *हिंदी*
राष्ट्र भाषा है *हिंदी*
हिन्द देश की आन है *हिंदी*
संस्कृत की लाडली बेटी है *हिंदी*
हिंदुस्तान की तो मातृभाषा है *हिंदी*
हमारा मान,सम्मान,अभिमान है *हिंदी*
हिंदुस्तान के माथे की तो बिंदी है यह *हिंदी*
सुंदर, मीठी, सरल और सहज भाषा है *हिंदी*
हम सबकी एकता की अनुपम परंपरा है *हिंदी*
सब जन को एकसूत्र में पिरोने वाली डोर है *हिंदी*
काल को जीत लिया वो कालजयी भाषा है *हिंदी*
स्वतंत्रता की अलख जगाने वाली भाषा है *हिंदी*
जिसके बिना हिंद थम जाए वो भाषा है *हिंदी*
गुलामी की जंजीर तोड़ने वाली थी *हिंदी*
हिंदुस्तान की तो जीवन रेखा है *हिंदी*
वीर सपूतों की लाडली थी *हिंदी*
स्वतंत्रता की कहानी है *हिंदी*
पराई नहीं अपनी है *हिंदी*
आपकी भी है *हिंदी*
मेरी भी है *हिंदी*
सबकी *हिंदी*
हिंदी *हिंदी*
*हिंदी*
आज १४ सितंबर *विश्व हिंदी दिवस* की शुभकामना 🙏
#साकेत_विचार
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