कुँवर नारायण कवि, लेखक

 



सत्य, जिसे हम सब इतनी आसानी से अपनी-अपनी तरफ मान लेते हैं, सदैव विद्रोही सा रहा है। 

-कुँवर नारायण    

आज प्रसिद्ध कवि, लेखक पद्यभूषण स्वर्गीय कुंवर नारायण जी की जयंती है। आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं-चक्रव्यूह, तीसरा सप्तक, परिवेश, हम-तुम, आत्मजयी, आकारों के आसपास, वाजश्रवा के बहाने, इन दिनों आदि । आप ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य आकदमी पुरस्कार, व्यास सम्मान आदि से सम्मानित रहे हैं। कुंवर नारायण अपने लेखन मे जिजीविषा की तलाश करते हैं।  वे कहते हैं ‘मनुष्य की जो जिजीविषा है, जो जीवन है, वह बहुत बड़ा यथार्थ है।’

उनकी स्मृति को नमन करते हुए उनकी एक कविता

 ‘घर पहुँचना’

हम सब एक सीधी ट्रेन पकड़ कर

अपने अपने घर पहुँचना चाहते

हम सब ट्रेनें बदलने की

झंझटों से बचना चाहते

हम सब चाहते एक चरम यात्रा

और एक परम धाम

हम सोच लेते कि यात्राएँ दुखद हैं

और घर उनसे मुक्ति

सचाई यूँ भी हो सकती है

कि यात्रा एक अवसर हो

और घर एक संभावना

ट्रेनें बदलना

विचार बदलने की तरह हो

और हम सब जब जहाँ जिनके बीच हों

वही हो घर पहुँचना


आपकी स्मृति को नमन🙏



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