हिंदी पत्रकारिता दिवस की बधाई!

 हिंदी पत्रकारिता दिवस। 





भारतीय भाषाई पत्रकारिता के लिए ऐतिहासिक दिन ! जब मध्यदेशीय में बांग्ला भूमि से उदंत मार्तण्ड की शुरूआत हुई। 1827 में बंद | हिंदी व भारतीय पत्रकारिता की ऐतिहासिक नींव । लिपिबद्ध होकर पत्र के रुप में लोगों तक पहुंची #हिंदी_पत्रकारिता में तकनीक का प्रारंभ।

आज ही के दिन आज से 197 वर्ष पूर्व 30 मई, 1826 को ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता यानी आज के भारत के भाषायी वर्गीकरण के हिसाब से ग क्षेत्र से राष्ट्रभाषा हिंदी के पहले समाचार पत्र  'उदन्त मार्तंड की शुरुआत पं. युगल किशोर शुक्ल ने की थी. तब से अब तक हिंदी पत्रकारिता ने ऐतिहासिक सफर तय किया है. 

ब्रिटिश पराधीनता काल से ही हिंदी पत्रकारिता देशी संपर्क एवं भाषाओं, बोलियों  की आवाज बनकर उभरी है. हालांकि आज इसमें गिरावट आई है. मैंने अपनी पुस्तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया :भाषिक संस्कार एवं संस्कृति  में इन तथ्यों को उठाने का प्रयास किया है. कैसे हिंदी राष्ट्रभाषा से राजभाषा, स्वतंत्रता, समानता, साहित्य,  संस्कृति, संस्कार की भाषा का सफर तय  करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के सहारे ज्ञान-विज्ञान, अर्थ, व्यापार,  संपर्क की भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है.  

तब से अब तक हिंदी पत्रकारिता ने ऐतिहासिक सफर तय किया है।  ब्रिटिश पराधीनता काल से ही हिंदी पत्रकारिता देशी संपर्क एवं भाषाओं, बोलियों  की आवाज बनकर उभरी है। हालांकि आज इसमें गिरावट आई है। मैंने अपनी पुस्तक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया :भाषिक संस्कार एवं संस्कृति  में इन तथ्यों को उठाने का प्रयास किया है। जिसे समीक्षको ने सराहा भी। पुस्तक दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, संस्कृति मंत्रालय द्वारा साहित्य श्री कृति सम्मान से सम्मानित भी हुई।यह पुस्तक यह रेखांकित करता है कि कैसे हिंदी राष्ट्रभाषा से राजभाषा, स्वतंत्रता, समानता, साहित्य,  संस्कृति, संस्कार की भाषा का सफर तय  करते हुए इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता के सहारे ज्ञान-विज्ञान, अर्थ, व्यापार,  संपर्क की भाषा के रूप में स्थापित होने का सफ़र तय किया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सहारे हिंदी ने एक नई भाषिक संस्कृति को जन्म दिया है। हालाँकि इसकी सकारात्मकता, नकारात्मकता पर विमर्श हो सकते है। पर यह सही है कि मीडिया ने मजबूत राष्ट्रीय संस्कृति के निर्माण में योगदान दिया है। जिसकी परिकल्पना हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने की थी। इस पत्रकारिता की नींव उद्दंत मार्तंड ने रखी थी।  पुस्तक हेतु आप सभी लेखक से संपर्क कर सकते हैं। 

यह प्रीतिकर है कि गत वर्ष हिंदी को अंतराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार प्राप्त हुआ ।  इस वर्ष भी विनोद कुमार शुक्ल जी की कृति को अंतराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। इन सभी से से हिंदी विश्व मंच पर सम्मानित हुई, यह उल्लेखनीय है।

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर मंच से हिंदी की सशक्त्तता को स्थापित कर रहे है।  वे गर्व से अपनी भाषा में बात करते हैं। प्रधानमंत्री दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों से स्वाभिमानपूर्वक हिंदी में बात करते हैं और सब उन्हें आदरपूर्वक सुनते हैं क्योंकि भाषा नहीं बोलने वाले में दम होना चाहिए। नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में हिंदी का बहुमूल्य योगदान हैं । उन्होंने इस तथ्य को व्यापकता प्रदान की है कि हिंदी के सहारे पूरे देश में पताका फहराई जा सकती है। 

यह हिंदी ही है जो सबको सत्ता देती है। पर सत्ता पाने के बाद अधिकांश लोग इसे भूल जाते है। मैं इस दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से अपील करूँगा कि आप हिंदी की व्यापकता को एक नया फलक दें  तथा हिंदी जो दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में  प्रथम पायदान पर खड़ी है।  यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के निवासियों के लिए गर्व का विषय है, पर हिंदी बतौर राजभाषा अकादमिक या अन्य स्तरों पर इस तथ्य से महरूम है। तो आइए हिंदी पत्रकारिता दिवस पर हम हिंदी तथा इसकी लिपि को देशी भाषाओं के समन्वय रूप में स्थापित करें और संविधान के अनुच्छेद-३५१ की मूल भावना को स्वर देते हुए राष्ट्रभाषा हिंदी को सशक्त करें। 

इस दिवस पर मैं पूर्व में प्रकाशित आलेख साझा कर रहा हूँ। 

#हिंदी_पत्रकारिता_दिवस की सभी हिंदी प्रेमियों को बधाई। 

पढ़े #स्वराज में वर्ष २०२१ में प्रकाशित आलेख, 

https://twitter.com/swarajyahindi/status/1398935710846001156?s=21

#साकेत_विचार


जय हिंद! जय हिंदी!!


©डा साकेत सहाय


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