बुद्ध पूर्णिमा -वैशाख पूर्णिमा की समस्त मानव समाज को शुभकामना!
बुद्ध पूर्णिमा -वैशाख पूर्णिमा की समस्त मानव समाज को शुभकामना!
मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम को वर्तमान बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। इसी उपलक्ष्य में बुद्ध पूर्णिमा आयोजित की जाती है।
इसे संयोग कहें या ईश्वर कृपा भगवान को ज्ञान की प्राप्ति भी मोक्ष नगरी, भगवान विष्णु की प्रिय नगरी गयाजी में हुई। ५६३ ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल के लुंबिनी, शाक्य प्रदेश में हुआ था। यह भी संयोग है कि पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में वर्तमान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ‘कुशनारा' में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था।
आज भगवान बुद्ध की वाणी, मत वैश्विक स्तर पर सशक्तता के साथ स्थापित है। भगवान बुद्ध ने ज्ञान, ध्यान, चिंतन, अहिंसा के माध्यम से भारतीयता को विश्व भूमि पर जीवंत किया।
उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। इनके जीवन दर्शन से हमें प्रेम, शांति, सद्भाव, सत्य, अहिंसा एवं संयम जैसों गुणों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है। उनका जीवन हम सभी के लिए आदर्श है । भगवान बुद्ध के बताये हुए आष्टांगिक मार्ग पर चलकर मनुष्य सम्यक् और संतुलित जीवन-यापन करने में सक्षम हो सकता है।
भगवान बुद्ध का संदेश हमें सत्य, अहिंसा, प्रेम, करुणा और शांति के मार्ग पर चलकर मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देता है । आज विश्व समुदाय जिन अनेकानेक समस्याओं का सामना कर रहा है उनका समाधान भी भगवान बुद्ध के दर्शन एवं उपदेशों में निहित है।
मानव को अहिंसा, सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाने वाले महान समाज सुधारक, भगवान विष्णु के नवें अवतार को नमन करने के विशेष अवसर पर आप सभी को आत्मीय मंगलकामना! आइए, हम सब भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात् कर सामाजिक समरसता में अहम् योगदान देने का संकल्प लें और आपसी प्रेम एवं सद्भाव की भावना को और अधिक मजबूत करें।
©डॉ. साकेत सहाय
भाषा-संचार विशेषज्ञ
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