माता सीता
जीवन का पाथेय यदि भगवान श्रीराम हैं तो उन तक पहुँचने का मार्ग केवल माता सीता हैं। वह श्रीराम की लीला सहचरी हैं। माता के चरणों की वन्दना करते हुए मानस में कहा गया है -
सती सिरोमनि सिय गुनगाथा।
सोइ गुन अमल अनुपम गाथा।।
सीता जी के कर्म और धर्म के संतुलन में समन्वय और सहयोग के कारण ही श्रीराम ने जीवन में नायक की मर्यादा स्थापित की। प्रभु श्रीराम सदैव ही विश्वास करने योग्य हैं। वह मर्यादा के प्रतिमान है इसलिए भगवान है। जबकि माता स्वतंत्र हैं विदेह सुता हैं। इसलिए वह भगवती हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी माता सीता को धार्मिक गाथाओं में सौभाग्य की देवी और माता लक्ष्मी का अवतार भी कहा गया है। शक्ति, सेवा, संयम, समर्पण एवं सद्भाव से परिपूर्ण माता सीता का जीवन नारी सशक्तीकरण एवं आदर्श का प्रतीक तथा संपूर्ण मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
माँ जानकी भारतीय नारी का आदर्श तथा त्याग, तपस्या, संयम, साधना, धैर्य और प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। माता सीता ने जीवन की चुनौतियों, संघर्षों एवं क्लेशों का साहसपूर्वक सामना करते हुए अपने सभी कर्तव्यों का पालन पूर्ण समर्पण के साथ किया। उनकी सत्यानिष्ठा, चरित्रनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता और पवित्रता हमारे लिए प्रेरक हैं। सीता नवमी के दिन जनकनन्दिनी माँ जानकी का प्राकट्य हुआ था। भूमिजा वैदेही माँ सीता के प्राकट्य दिवस पर हार्दिक मंगलकामना! कामना है माता जानकी सभी का कल्याण करें। 🙏
#सियाराम
—डॉ साकेत सहाय
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