शिव-शक्ति प्वाइंट और शिव
शिव-शक्ति प्वाइंट
आज देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने चंद्रमा के जिस स्थान पर भारत द्वारा प्रक्षेपित चन्द्रयान-3 #Chandrayaan3 उतरा, उसे ‘शिव शक्ति' प्वाइंट का नाम देकर राष्ट्र व समाज के आडंबरविहीन सनातन आस्था के प्रतीक भगवान ‘शिव-शंकर’ के प्रति उचित ही आस्था व श्रेष्ठ सांस्कृतिक परंपराओं का निर्वहन किया है। अंतरिक्ष मिशन के संपर्क बिंदु को एक नाम दिए जाने की वैज्ञानिक परंपरा रही है। अत: चंद्रमा के जिस हिस्से पर हमारा चंद्रयान उतरा है भारत ने उस स्थान के भी नामकरण का निर्णय लिया है। जिस स्थान पर चंद्रयान 3 का मून लैंडर विक्रम उतरा है, अब उस प्वाइंट को ‘शिव शक्ति’ के नाम से जाना जाएगा।
शिव राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना के महादेव हैं। यह नाम पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा थोपे गए विश्व इतिहास को विस्मृत कर भारत के स्वर्णिम अतीत, राष्ट्रीय चरित्र, पुरा पुरुष को जागृत करने का संकल्प सिद्ध होगा।
भगवान शिव सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार इस समस्त जगत के आदि कारक माने जाते हैं। उन्हीं से ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। जगत के प्रारंभिक ग्रंथों में से एक 'वेद' में इनका नाम रुद्र है। वे व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी है। हमारे यहाँ तो शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है।
वैसे भी चंद्रमा भगवान शिव के ललाट पर निवास करते हैं। इस प्रकार यह नाम हमारी आस्था और परंपराओं का विशिष्ट सम्मान है। दुर्भाग्य हैं हमारी विकृत इतिहास परंपराओं का जो अपने चारित्रिक नायकों से सीख न लेकर उन्हें ग्रंथों में या परंपराओं में सिमटा रही हैं । यह नाम हमारी सदियों की आध्यात्मिक विरासत को जागृत करेगा। यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि हम सदियों की गुलामी के कारण ध्वंस और अतिक्रमण की पीड़ा से त्रस्त होकर इन सभी से विस्मृत है।
भगवान शिव मृत्यु में भी उत्सव का सीख देते हैं । नीलकंठेश्वर तमाम बाधाओं के बीच सकारात्मक रहने की सीख देते हैं। इस प्रकार के प्रयास अपने स्वर्णिम अतीत से जुड़ने का संकल्प देता है। भगवान शिव से जुड़ी एक कथा हैं-
'एक बार माँ काली क्रुद्ध अवस्था में थीं। देव, दानव और मानव सभी उन्हें रोकने में असमर्थ थे। तब सभी ने माँ काली को रोकने हेतु भगवान शिव का सामूहिक स्मरण किया। शिवजी ने भी यह अनुभव किया कि माता काली को रोकने का एकमात्र मार्ग है -प्रेम और वे माँ काली के मार्ग में लेट गए। माँ काली ने ध्यान नहीं दिया और उन्होंने उनकी छाती पर पैर रख दिया। अभी तक महाशक्ति ने जहाँ-जहाँ कदम रखा था, वह जगह नष्ट हो गया था। पर यहां अपवाद हुआ । माँ काली ने जब देखा उनका पैर भगवान शिव की छाती पर हैं, वे पश्चाताप करने लगीं। इस कथा का सार यहीं हैं कि हर कठिन कार्य का सामना आत्म बल के साथ किया जा सकता हैं। चंद्रयान-३ की सफलता भी यही दिखाती है।
भारत ने अपने ध्वंस को कई बार देखा हैं । परंतु दुनिया का सांस्कृतिक पालना कहा जाने वाला भारत बार-बार उठ खड़ा हुआ है। भारतवर्ष ने ज्ञान, संस्कृति, भाषा में दुनिया को राह दिखाई हैं। कामना हैं शिव-शक्ति के इस उद्घोष से भारत के माध्यम से पूरे विश्व में शांति, कला, प्रतिष्ठा का मार्ग प्रशस्त हो ।
इस नाम का कुछ लोग विरोध करेंगे तो उनके लिए कहा जा सकता है- शिव सनातन है, सबके हैं। भले हम किसी भी धर्म को माने। भारतीय संस्कृति में शिव देवों के देव महादेव के रूप में पूजे जाते है। वे सभी को प्रिय है। उर्दू के महान कवि नज़ीर अकबराबादी (1735-1830) ने शिव की शान में बेहद ख़ूबसूरत नज़्में लिखी हैं। उनकी नज़्म- महादेव का ब्याह.
पहले नाम गनेश का, लीजै सीस नवाय।
जासे कारज सिद्ध हों सदा महूरत लाय॥
बोल बचन आनन्द के, प्रेम पीत और चाह।
सुन लो यारो, ध्यान धर महादेव का व्याह॥
जोगी जंगम से सुना, वह भी किया बयान।
और कथा में जो सुना, उसका भी परमान॥
सुनने वाले भी रहें, हंसी ख़ुशी दिनरैन।
और पढ़ें जो याद कर, उनको भी सुख चैन॥
और जिसने इस व्याह की, महिमा कही बनाय।
उसके भी हर हाल में शिव जी रहें सहाय॥
ख़ुशी रहे दिन रात वह, कभी न हो दिलगीर।
महिमा उसकी भी रहे, जिसका नाम ‘नज़ीर’॥
Courtesy: HINDI version from Kavita Kosh. Picture from Rekhta.
इस देश के ज्ञान-परंपरा के पुनर्जीवन हेतु अभी बहुत से कार्य शेष हैं । फिर भी यह कहा जा सकता हैं, जो सभी समर्पित देशप्रेमियों को समर्पित है -
"झुकी-दमित, दबी आंखें अब आशावान हो रही है,
जिन सुरखी-चुने की मजबूत दीवारों पर
आपने अविश्वास और झूठ की नोनी लगाई थी
वो अब भरभरा रही है,
एक दिन सब धूल-धक्कड में उड़ जाएंगे।
धीरे-धीरे सैकड़ो साल पुराने झूठ, भ्रांतियों के अवशेष।
जय शिव-शंकर!
©डा. साकेत सहाय
Hindisewi@gmail.com
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