इस्म्त चुगताई उर्दू और देवनागरी लिपि




 २१ अगस्त, १९१५ को जन्मी हिंदी-उर्दू की प्रसिद्ध लेखिका इस्मत चुगताई ‘इस्मत आपा’ के नाम से मशहूर उर्दू भाषा प्रयोग पर कहती थीं ‘वक़्त के साथ उर्दू दम तोड़ देगी अगर इसके साहित्य को देवनागरी में नहीं लिखा गया।’

अनुभवी बात कही थीं, उन्होंने। वास्तव में हिंदी-उर्दू एक है। कहा भी जा सकता है “उर्दू भाषा की देशी लिपि ‘देवनागरी’ है। देवनागरी लिपि में भी यदि उर्दू को लिखा जाए तो यह तथ्य प्रमुखता से स्थापित होगा कि हिंदी-उर्दू एक है और धीरे-धीरे षड्यन्त्र के तहत स्थापित की गई भाषिक द्रोह की दीवार भी  टूटेगी।  

वैसे भी भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना के साथ-साथ उर्दू भाषा का विकास भी शुरू होता  है । यह भाषा दक्षिण में जाकर दक्खिनी का नाम लेती है और फिर  उत्तर में आकर रेख्ता के नाम से प्रचलित हो  जाती है। यहाँ से साहित्यिक उर्दू भाषा का विकासक्रम शुरू हो जाता है। भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से उर्दू और हिंदी दोनों एक भाषा है। आधुनिक युग में अंग्रेजों ने शैक्षिक और राजनीतिक कारणों से उर्दू भाषा को हिंदी से अलग देखने का यत्न किया । 


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जय हिंद! जय हिंदी!!

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