Friday, May 31, 2024

विश्व धूम्रपान निषेध दिवस




आज विश्व धूम्रपान निषेध दिवस है ।   धूम्रपान से बचें और स्वस्थ रहें । तम्बाकू से होने वाले नुक़सान को देखते हुए वर्ष 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाने का निर्णय किया। इस दिवस का उद्देश्य धूम्रपान उद्योग, स्वास्थ्य के लक्ष्यों को व्यावहारिक होने की दिशा में रुकावट, धूम्रपान उद्योग के मुक़ाबले में धार्मिक मान्यताएं, धूम्रपान को रोकना सबकी ज़िम्मेदारी, धूम्रपान के विस्तार के मुक़ाबले में विधि पालिका, न्याय पालिका और कार्यपालिका की ज़िम्मेदारी और अंततः धूम्रपान की अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों को बंद किया जाये जैसे विषयों की समीक्षा की जाती है ताकि इस मार्ग से धूम्रपान के सेवन में कमी और आम जनमत के स्वास्थ्य में वृद्धि की दिशा में महत्त्वपूर्ण क़दम उठाया जा सके। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक़ तम्बाकू या सिगरेट का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर की होने की आशंका 50 गुना ज़्यादा होती है। तम्बाकू में 25 ऐसे तत्व होते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पादों (पैकेजिंग और लेबलिंग) नियम 2008 में संशोधन करके 13 अप्रैल 2020 को जारी जीएसआर 248(ई) के माध्यम से सभी तंबाकू उत्पाद पैक के लिए निर्दिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी के नए सेट अधिसूचित किये हैं। 


#विश्व_धूम्रपान_निषेध_दिवस 

#साकेत_विचार

Tuesday, May 28, 2024

भांग -एक लघु कथा

 भांग 



वो सामने वाली बर्थ पर था..  अचानक बड़े उत्साह से उसने पूछा.. आप मुस्लिम हो..?! लगते तो नहीं। 

मैंने पूछा कैसे … उसने कहा कोई दाढ़ी, टोपी नहीं। 

उसने फिर पूछा अच्छा कहाँ से हैं मैंने कहा- छोड़िए न। अब वह अपनी रौ में आ गया, अरे! हमारी बड़ी ख़राब स्थिति है। हमारे लोगों को मारा जा रहा है? हमें दोयम दर्जे का समझा जाता है। इस सरकार में तो हमारी हर जगह यही स्थिति है। 

मैंने कहा- जो मारे गये वे तो अपराधी थे। उन्होंने सैकड़ों निर्दोषों का खून किया था, फिर आपका क्या रिश्ता? सरकार को अपना काम करने दीजिये। सरकार तो सबके लिए काम करती है। उसके द्वारा किए गए विकास कार्य का फ़ायदा तो सबको मिलता है। 

उसने ग़ुस्से में मुझे देखा और कहा लगता है आप काफिर हो। इस सरकार ने तो हमारा जीना हराम करके रखा है। 

मैंने कहा सरकार के  अच्छे और बुरे कार्य का मूल्यांकन धर्म और जाति के आधार पर करना बेहद ग़लत है। यह देश को बाँटने की नापाक साज़िश है। मैं भी मुस्लिम, अंसारी, सैयद, पठान से पहले एक भारतीय के रूप में सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करता हूँ।  

उसका चेहरा उतर गया था..वो ग़ुस्से में बहुत कुछ बुदबुदा रहा था..जो मुझे साफ सुनाई दे रहा था..

" कैसा पागल है, धर्म, जाति के नाम पर भी अलग दिख रहा है। देश और समाज की बात कर रहा है । क्या ऐसे लोग रहते तो पाकिस्तान बना होता…"

मैं सोच में पड़ गया, कहाँ जा रहे हैं हम🥲☺️😒

( डॉ साकेत सहाय )

Friday, May 24, 2024

करतार सिंह सराभा



आज अमर शहीद करतार सिंह सराभा जी की जयंती है ।  आप देश की स्वाधीनता की खातिर 16 नवम्बर, 1915 ई. को हँसते-हँसते फांसी की बलिवेदी पर चढ़ गए ।  फांसी पर झूलने से पूर्व सराभा जी के शब्द – ‘हे भगवान मेरी यह प्रार्थना है कि मैं भारत में उस समय तक जन्म लेता रहूँ, जब तक कि मेरा देश स्वतंत्र न हो जाये।‘ 

जज ने उनके मुकदमे का निर्णय सुनाते हुए कहा था, "इस युवक ने अमेरिका से लेकर हिन्दुस्तान तक अंग्रेज़ी शासन को नष्ट करने का प्रयास किया। सराभा को जब और जहाँ भी अवसर मिला, अंग्रेज़ी शासन को हानि पहुँचाने का प्रयत्न किया। इसकी अवस्था बहुत कम है, किन्तु अंग्रेज़ी शासन के लिए बड़ा भयानक है।" यह उद्धरण उनके देशप्रेम के बारे में बहुत कुछ कहता है। 

आपको शत शत नमन 🙏🌺

#करतार_सिंह_सराभा

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Wednesday, May 22, 2024

बुद्ध पूर्णिमा -वैशाख पूर्णिमा की समस्त मानव समाज को शुभकामना!


बुद्ध पूर्णिमा -वैशाख पूर्णिमा की समस्त मानव समाज को शुभकामना!   

मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा के दिन ही गौतम को वर्तमान बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। इसी उपलक्ष्य में बुद्ध पूर्णिमा आयोजित की जाती है।  

इसे संयोग कहें या ईश्वर कृपा भगवान को ज्ञान की प्राप्ति भी मोक्ष नगरी, भगवान विष्णु की प्रिय नगरी गयाजी में हुई।  ५६३ ई.पू. बैसाख मास की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल के लुंबिनी, शाक्य प्रदेश में हुआ था। यह भी संयोग है कि पूर्णिमा के दिन ही ४८३ ई. पू. में ८० वर्ष की आयु में वर्तमान उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ‘कुशनारा' में उनका  महापरिनिर्वाण हुआ था।

आज भगवान बुद्ध की वाणी, मत वैश्विक स्तर पर सशक्तता के साथ स्थापित है।  भगवान बुद्ध ने ज्ञान, ध्यान, चिंतन, अहिंसा के माध्यम से भारतीयता को विश्व भूमि पर जीवंत किया।

उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायी है। इनके जीवन दर्शन से हमें प्रेम, शांति, सद्भाव, सत्य, अहिंसा एवं संयम जैसों गुणों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है।  उनका जीवन हम सभी के लिए आदर्श है ।  भगवान बुद्ध के बताये हुए आष्टांगिक मार्ग पर चलकर मनुष्य सम्यक् और संतुलित जीवन-यापन करने में सक्षम हो सकता है। 

भगवान बुद्ध का संदेश हमें सत्य, अहिंसा, प्रेम, करुणा और शांति के मार्ग पर चलकर मानवता की सेवा करने की प्रेरणा देता है ।  आज विश्व समुदाय जिन अनेकानेक समस्याओं का सामना कर रहा है उनका समाधान भी भगवान बुद्ध के दर्शन एवं उपदेशों में निहित है।  

मानव को अहिंसा, सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाने वाले महान समाज सुधारक, भगवान विष्णु के नवें अवतार को नमन करने के विशेष अवसर पर आप सभी को आत्मीय मंगलकामना!  आइए, हम सब भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात् कर सामाजिक समरसता में अहम् योगदान देने का संकल्प लें और आपसी प्रेम एवं सद्भाव की भावना को और अधिक मजबूत करें। 

©डॉ. साकेत सहाय

भाषा-संचार विशेषज्ञ

#बुद्ध_जयंती

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Thursday, May 16, 2024

माता सीता

 जीवन का पाथेय यदि भगवान श्रीराम हैं तो उन तक पहुँचने का मार्ग केवल माता सीता हैं।  वह श्रीराम की लीला सहचरी हैं।  माता के चरणों की वन्दना करते हुए मानस में कहा गया है -





सती सिरोमनि सिय गुनगाथा।  

सोइ गुन अमल अनुपम गाथा।। 


सीता जी के कर्म और धर्म के संतुलन में समन्वय और सहयोग के कारण ही श्रीराम ने जीवन में नायक की मर्यादा स्थापित की। प्रभु श्रीराम सदैव ही विश्वास करने योग्य हैं। वह मर्यादा के प्रतिमान है इसलिए भगवान है।  जबकि माता स्वतंत्र हैं विदेह सुता हैं।  इसलिए वह भगवती हैं।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की अर्द्धांगिनी माता सीता को धार्मिक गाथाओं में सौभाग्य की देवी और माता लक्ष्मी का अवतार भी कहा गया है।  शक्ति, सेवा, संयम, समर्पण एवं सद्भाव से परिपूर्ण माता सीता का जीवन नारी सशक्तीकरण एवं आदर्श का प्रतीक तथा संपूर्ण मानव जाति के लिए प्रेरणा का स्रोत है।  

माँ जानकी भारतीय नारी का आदर्श तथा त्याग, तपस्या, संयम, साधना, धैर्य और प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं।  माता सीता ने जीवन की चुनौतियों, संघर्षों एवं क्लेशों का साहसपूर्वक सामना करते हुए अपने सभी कर्तव्यों का पालन पूर्ण समर्पण के साथ किया। उनकी सत्यानिष्ठा, चरित्रनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता और पवित्रता हमारे लिए प्रेरक हैं।  सीता नवमी के दिन जनकनन्दिनी माँ जानकी का प्राकट्य हुआ था। भूमिजा वैदेही माँ सीता के प्राकट्य दिवस पर हार्दिक मंगलकामना! कामना है माता जानकी सभी का कल्याण करें। 🙏

#सियाराम

—डॉ साकेत सहाय

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Saturday, May 4, 2024

फाँसी की बलिवेदी पर चढ़ने वाले बिहार के प्रथम शहीद रामदेनी सिंह



आज शहीद रामदेनी सिंह जी का शहीदी दिवस है।  वर्ष 1904 में मलखाचक, दिघवारा, सारण में जन्मे रामदेनी सिंह जी की काकोरी कांड में महत्वपूर्ण भूमिका रही।  आप बिहार के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी हैं जिन्हें फांसी की सजा हुई थी।  सरदार भगत सिंह ने आपकी बहादुरी की सराहना करते हुए उन्हें  सारण का एरिया कमांडर मनोनीत किया था।  आपको शत शत नमन !


साभार- दैनिक भास्कर ०४.०५.२०२०

जरा याद करो कुर्बानी: बिहार के प्रथम शहीद थे सारण के रामदेनी सिंह

भारत माता का जयघोष कर फांसी के फंदे को चूम कर झूल जाने वाले रामदेनी सिंह थे

“वहां न कोई तुरबत है और न इंकलाबे-मशाल। उनके मजारों पर दिलकश नजारा है ‘

राणा परमार’ 

जो वतन के साथ मक्कारी की और आज है माला माल जी हां सारण के दिघवारा प्रखंड का मलखाचक गांव भी नहीं जानता कि बिहार में इंकलाब जिंदाबाद! वंदेमातरम!! भारत माता की जय का जयघोष कर फांसी के फंदे को चूम कर झूल जाने वाला और कोई नहीं सारण शेर ठाकुर रामदेनी सिंह था।

लाहौर षड्यंत्र, चौराचौरी कांड, काकोरी षड्यंत्र से उद्वेलित ठाकुर रामदेनी सिंह के धमनियों का लहू उबलने लगा और अपने मित्र व वैशाली एरिया कमांडर योगेन्द्र शुक्ल के साथ मिलकर धन संग्रह की योजना बनायी ताकि उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा को बल मिले। बहरहाल, हाजीपुर रेलवे स्टेशन ट्रेन में डाका डाला गया, गार्ड व स्टेशन मास्टर को मार कर खजाना लूट लिया गया और रकम लेकर हाजीपुर पुल पार कर सारण की सीमा में प्रवेश करना ही चाह रहे थे कि सारण व वैशाली पुलिस ने पुल के पूरब पश्चिम घेर लिया।

लिहाजा, दोनों साइकिल सवार वीर साइकिल सहित गंडक नदी में कूद पड़े और साइकिल सहित पटना साहिब घाट पर जा निकले। ब्रिटिश सरकार ने रामदेनी सिंह की गिरफ्तारी के लिए इनाम घोषित की और एक ग्रामीण गद्दार की गद्दारी से गंगा स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दे रहे सिंह सुरमा को जाल फेंक कर पकड़ लिया, पुलिस ने। मुजफ्फरपुर जेल में एक विशेष अदालत गठित की गई।

4 मई 1932 को वीर रामदेनी सिंह को फांसी दे दी गई

अपील का अवसर दिए बिना 4 मई 1932 को वीर रामदेनी सिंह को फांसी दे दी गई । बिहार के पहले शहीद में शुमार रामदेनी सिंह की कोई न तस्वीर है उनके वंशजों के पास न कोई समाधि । अखाड़ा घाट मुजफ्फरपुर में ब्रिटिश शासन ने शव दाह कर दी।

सरदार भगत सिंह ने उनकी बहादुरी की सराहना करते हुए सारण का एरिया कमांडर मनोनीत कर दिया

1904 में दिघवारा प्रखंड के मलखाचक गांव में एक कृषक क्षत्रिय परिवार में जन्मे रामदेनी सिंह 1921 में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े । तब मलखाचक गांधी कुटीर नरम दल व गरम दल के नेताओं की शरण स्थली थी। सरदार भगत सिंह 1923 में अपने साथियों सहित ‘हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन ‘ की विचारधारा को प्रसारित करने आए थे । स्वर्गीय स्वतंत्रता सेनानी लालसा सिंह ने 2003 में बताया था कि सरदार भगत सिंह और बबुआन रामदेनी सिंह की कुश्ती भी हुई थी और सरदार भगत सिंह ने उनकी बहादुरी की सराहना करते हुए सारण का एरिया कमांडर मनोनीत कर दिया ।

सुब्रह्मण्यम भारती जयंती-भारतीय भाषा दिवस

आज महान कवि सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती है।  आज 'भारतीय भाषा दिवस'  भी है। सुब्रमण्यम भारती प्रसिद्ध हिंदी-तमिल कवि थे, जिन्हें महा...