संत रविदास
आज संत रविदास जयंती हैं । माघ पूर्णिमा के अवसर उनकी जयंती मनाई जाती है। संत रविदास सनातन एवं समन्वय की संस्कृति के प्रतीक है। संत रविदास ‘रैदास’ के नाम से भ भी जाने जाते हैं । उनका एक दोहा -
ऐसा चाहूँ राज मैं
जहाँ मिलै सबन को अन्न ।
छोट बड़ो सब सम बसै ,
रैदास रहै प्रसन्न ।।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि तुर्क-मुग़ल-ब्रिटिश एवं उसके बाद के सत्ता वर्ग ने अपना हित साधने के लिए गौतम बुद्ध , महावीर, कबीर , गुरुनानक महाराज, गुरु गोविन्द सिंह महाराज , दयानंद सरस्वती , विवेकानंद, अंबेडकर , ज्योतिबा फुले आदि तमाम सामाजिक - धार्मिक रहनुमाओं को जाति - धर्म के सांचे में बांधकर उनके विचारों को सीमित या बांधने का अनथक प्रयास किया। जबकि कभी जाति व सभी प्रकार के मिथ्याचारों के विरोधी और सनातन धर्म के ध्वज वाहक संत रविदास ने सिकन्दर लोदी के प्रलोभन का उत्तर यूँ दिया था:
"प्राण तजूँ पर धर्म न देऊँ
तुमसे शाह सत्य कह देऊँ"
"वेद धरम त्यागूँ नहीँ
जो गल चलै कटार"
संत रविदास महाराज सनातन संस्कृति के आदर्श पुरुष है। सनातन संस्कृति के नायक हैं। ऐसे ही महापुरुष भारतीयता के प्रतीक माने जाते हैं ।
जय हिंद ! जय भारत !! जय सनातन !!!
© डॉ . साकेत सहाय
#रविदास
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