भारत कोकिला लता मंगेशकर जी को अंतिम प्रणाम
भारत कोकिला लता दीदी राष्ट्र, समाज, संस्कृति को समर्पित अपने नश्वर देह को त्याग कर आज अनंत में विलीन हो गयी। कहते हैं लता जी के कंठ में साक्षात् वाग्देवी निवास करती थीं। जिसे कई पीढ़ियों ने अनुभूत किया। कल माँ वाग्देवी की पूजा थी, आज माँ विदा हो रही हैं तो इस क्षण में वृहत्तर भारतीय समाज को ऐसा लग रहा है जैसे माँ इस बार अपनी प्रिय कलापुत्री को ले जाने स्वयं आयी थीं।
इस धरा का सबसे अमिट, अटल सत्य है मृत्यु । जो आया है वो जाएगा। मृत्यु बहुधा इस चराचर जगत में पूर्णता का भी प्रतीक है। लता दीदी ने भरपूर जीवन जिया। 93 वर्ष का वैशिष्ट्य एवं विविधतापूर्ण जीवन जीनेे वाली लता जी को लगभग पाँच पीढ़ियों ने मंत्रमुग्ध होकर सुना है। जब उनकी गुुुुड़़ियों के साथ खेलने का उम्र थीं, तभी उनकेे पिता ने अपने अंतिम समय में घर की बागडोर उनके हाथों में थमाई थी। तेरह वर्ष की अल्पायु मेंं ही लता दीदी के कंधे पर चार छोटे भाई-बहनों के लालन-पालन की जिम्मेवारी थी। लता जी ने अपना समस्त जीवन इन चारों के कल्याण में समर्पित कर दिया।
कला के प्रति प्रतिबद्धता एवं समर्पण का परिणाम है भारतरत्न लता दीदी का विशिष्ट व्यक्तित्व । व्यक्ति अपने जीवन में इन्हीं सब कुछ का तो आकांक्षी रहता है। भारतीय जनमानस की रगों में बीते सात दशकों से लता दीदी के गीतों का रस झंकृत हो रहा है। सुख-दुख, हर्ष-विषाद, भक्ति-अध्यात्म, राष्ट्रप्रेम सभी रंग, सभी भाव में । सही मायनों में लता दीदी भारत कोकिला रहीं । भारत उनके 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत से जाग उठता था, राष्ट्रीय भक्ति-भाव से परिष्कृत हो उठता था।
संगीत ही उनके लिए जीवन था। कोई उनके घर जाता तो उसे वे अपने माता-पिता की तस्वीर और घर में बना अपने आराध्य का मन्दिर दिखातीं थीं। बस इन्ही चीजों से उन्हें लगाव था। स्वर कोकिला लता दीदी ने 28 से अधिक भाषाओं में 80 वर्ष तक देश को अपनी आवाज के जादू से मोहित किया। "तुम अगर जाओ, कभी जाओ, कहीं वक़्त से कहना ज़रा वो ठहर जाए वहीं वो घडी वहीं रहे, ना जाए ना ना जिया लागे ना" इस प्रकार के भावपूर्ण गीत से लता जी ने न जाने कितने संगीत प्रेमियों को जागृत किया।
लता दीदी ने कभी अपने एक साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता के यह पूछे जाने पर कि 'क्या वे फिर से लता मंगेशकर के रूप में दुबारा जन्म लेना चाहेंगी?' तो लता दीदी ने उत्तर में कहा था कि वे इस धरती पर दुबारा नहीं आना चाहेंगी। आज वे अनंत में विलीन हो गयी।
देश की जनता, आपको यूँ ही न भूला ना पाएगी, लता दीदी, आप युगों तक जीवंत रहेेंगी, आपकी हर गीत, आपकी मधुर आवाज हम सभी को आपको याद करने पर मजबूर करेगी।
भारत रत्न लता मंगेशकर को अंतिम प्रणाम 🙏🌷
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