देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद
अपनी सादगी एवं सरलता से देश की माटी को सुशोभित करने वाले अद्भुत मेधा शक्ति के धनी राजेंद्र प्रसाद जी ने संविधान निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई। बिहार के गौरव डॉ राजेंद्र प्रसाद जी के व्यक्तित्व से नयी पीढ़ी को सादगी एवं सरलता सीखनी चाहिए। राष्ट्रनायकों की जयंती हमें उनके जीवन गाथा से बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती है। गांधीजी को वास्तव में गांधी बनाने में चंपारण सत्याग्रह की बड़ी भूमिका रही और इसकी पृष्ठभूमि में राजेन्द्र प्रसाद की बड़ी भूमिका थी। आजादी के बाद का सर्वप्रथम भारतीय नागरिक जिनकी कॉपी पर अँग्रेज परीक्षक (एक्जामिनर) ने कोई नं. नहीं दिया सिर्फ लिखा Examinee is better than Examiner तब स्कूल एक्जामिशन बोर्ड बहुत विशाल था कि अब उसके टुकड़े में दो देश बन चुके हैं,बंगलादेश व म्यांमार। उस समय इन दो देशों के अतिरिक्त अब के पं.बंगाल,बिहार,उड़िसा,यू.पी.का मैट्रिक का एक ही बोर्ड था। डा०राजेन्द्र प्रसाद इस परीक्षा में फर्स्ट क्लाश फर्स्ट आये थे।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे, देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र बाबू महात्मा गांधी की निष्ठा, समर्पण और साहस से काफी प्रभावित थे। स्वदेशी आंदोलन के अगुआ रहे राजेन्द्र बाबु वर्ष 1928 में कोलकाता विश्वविद्यालय के सीनेटर का पदत्याग कर दिए। गांधीजी द्वारा जब विदेशी संस्थाओं के बहिष्कार का अपील किया गया तो उन्होंने उदाहरण प्रस्तुत करते हुए अपने पुत्र मृत्युंजय प्रसाद, जो एक अत्यंत मेधावी छात्र थे, को कोलकाता विश्वविद्यालय से हटाकर बिहार विद्यापीठ में उनका नामांकन करवाया था। वे कहते थे- जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। -देशरत्न डाॅ राजेन्द्र प्रसाद
भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारी एवं भारतीय संविधान के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले भारत के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की 140वीं जयंती के अवसर पर शत शत नमन🙏
-डॉ साकेत सहाय
#साकेत_विचार
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