Wednesday, March 29, 2023

श्रीरामनवमी की शुभकामना!

आज रामनवमी है। आप सभी को श्रीरामनवमी की बहुत बहुत शुभकामना! वास्तव में श्रीराम भारतीय संस्कृति की उदात्त अभिव्यक्ति हैं । प्रभु ने पृथ्वी पर श्रेष्ठता की, त्याग की भाव भूमि रची। श्रीराम के चरित्र ने यह सिद्ध किया है कि सबसे ऊपर मर्यादा है । इसीलिए अति भौतिकवादियों को कई बार उनका चरित्र काल्पनिक प्रतीत होता है।  आज आवश्यकता है संसार को उनके मर्यादा की, आचरण की, त्याग की। जय श्रीराम ! 

रामनवमी के पावन अवसर पर प्रस्तुत हैं मेरी कविता 'राम' । 

राम 


राम आपके हैं 

राम मेरे है

राम सबके हैं 


राम मन में है

राम तन में है

राम धम्म में है

राम सब में है


राम भूलोक है

राम इहलोक है

राम पारलौकिक है।


राम क्षत्रिय है 

राम भील है

राम शूद्र है 

राम वैश्य है। 

राम भारतवासी है ।


राम वनवासी है

राम सत्ता के स्वामी है। 

 

राम नीति है 

राम नियम है ।

राम मय है सारा संसार 


राम सप्तलोक है 

राम संस्कृति है

राम संस्कार है


राम राम है

हम सब 


©डॉ. साकेत सहाय

आप सभी  को रामनवमी की हार्दिक शुभकामना!

#राम #रामनवमी #भारत #साकेत_विचार

अमर शहीद मंगल पाण्डेय

शहीद मंगल पांडेय द्वारा ब्रिटिश पराधीनता के विरुद्ध वर्ष 1857 में आज के दिन ही विद्रोह का उद्घोष किया गया था।  पहली बार किसी अंग्रेज अफसर को गोली मार कर अमर शहीद मंगल पांडेय ने आजादी की पहली सुनियोजित क्रांति की नींव रखी थी। उनका नारा था, "मारो फिरंगी को"। शहीद मंगल पांडेय का नाम 'भारतीय स्वाधीनता संग्राम' में अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है, जिनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला से ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह हिल गया था।  अपनी हिम्मत और हौसले के दम पर समूची ब्रिटिश हुकूमत के सामने मंगल पांडेय की शहादत ने भारत में क्रांति के बीज बोए थे। 

क्रांतिकारी मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था।  उनके पिता का नाम  दिवाकर पांडेय तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था।  वे कलकत्ता (वर्तमान में कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में "34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री" की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे।  भारत की आजादी की पहली सुनियोजित लड़ाई अर्थात् 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी।  

“मारो फिरंगी को” नारा से भारत की स्वाधीनता का उद्घोष करने वाले क्रांतिकारी “मंगल पांडेय” भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत माने जाते हैं। 1857 की क्रांति के नायक, माँ भारती के वीर सपूत, अमर शहीद मंगल पांडेय जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन ।

#मंगल_पांडेय

#साकेत_विचार

#इतिहास

#भारत

Sunday, March 26, 2023

मेरी कविता-पेड़


 #चिपको_आंदोलन की ५०वीं वर्षगाँठ 

विकास के नाम पर हज़ारों पेड़ की बलि, #जोशीमठ धँसान पर उपजे विचार 


पेड़


नीम

बरगद

और

पीपल

के 


पूरी

सभ्यताओं को 

पनपते

बनते

और समृद्ध 

होते 

देखते हैं। 


बनाते भी हैं

चमकाते भी हैं

इन्हीं 

सभ्यताओं से 

हरी-भरी संस्कृतियाँ 

निर्मित होती है


जहाँ 

सैंधव

मौर्य

गुप्त


अशोक

चंद्रगुप्त

चोल

चालुक्य

हर्ष

शेरशाह

अकबर

पनपे

और शासक

बने। 


माता सीता

को शरण

अशोक 

को 

शांति

बुद्ध 

को ज्ञान

और 

दुनिया को

कल्याण का संदेश


पर 

यही पेड़ जब कटकर गिरते हैं 

तो पूरी सभ्यताएँ मृत

और संस्कृतियाँ 

नंगी नज़र आती हैं।

सब कुछ देकर

भी 

निस्तेज, निःसहाय। 

~

©️डा. साकेत सहाय

    २७ मार्च, २०२३

#कविता  #पेड़

#साकेत_विचार

चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में काव्य संध्या और विशिष्ट अतिथि















चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में काव्य संध्या और विशिष्ट अतिथि


चन्द्रगुप्त साहित्य महोत्सव, पटना में रचनाधर्मिता का हुआ सम्मान । इस अवसर पर आयोजन समिति ने मुझे विशिष्ट अतिथि के रूप में जुड़ने का अवसर दिया।इस हेतु आयोजन समिति का आभार। 

उत्कृष्ट आयोजन एवं मुझे जोड़ने के लिए के लिए अग्रज  प्रो. अरुण कुमार भगत जी, Arun Kumar Bhagat अनुज DrGaurav Ranjan का आभार। 

कवियों के मंच पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जुड़ना मेरे लिए अलग सा अनुभव था।  इस मंच से प्रख्यात सामाजिक उद्दमी व पूर्व राज्यसभा सांसद श्री आर. के. सिन्हा, डॉ. साकेत सहाय ( मुख्य प्रबंधक राजभाषा ), प्रख्यात कवि गजेन्द्र सोलंकी, शंभू शिखर, रुचि चतुर्वेदी एवं आराधना प्रसाद के हाथों नई पौध का सम्मानित होना गौरवपूर्ण क्षण था। आराधना प्रसाद जी की उत्कृष्ट काव्य रचनाएँ मन को छू गयी।  सधी हुई भाषा, काव्य संस्कार से पूर्ण रचना पाठ के लिए आपका आभार। ख्याति प्राप्त कवि भाई गौरव सोलंकी जी ने उत्कृष्ट मंच संचालन के साथ भाषा और राष्ट्र प्रेम को समर्पित अपनी रचनाओं से अलग ही समाँ बांधा। 

प्रस्तुत है मेरे उद्बोधन का अंश जो कवियों के मंच पर पूरा पढ़ न सका। परंतु आज के मंचीय कवियों को इस उद्बोधन को समझने की ज़रूरत है। साहित्य को बाज़ार से अलग देखने की आवश्यकता है। अन्यथा😔


कला, संस्कृति और साहित्य को समर्पित चंद्रगुप्त साहित्य महोत्सव में उपस्थित गुणीजन आज की सांस्कृतिक संध्या के काव्य आस्वादन सत्र में आप सभी को साकेत सहाय का सादर प्रणाम!

अभिव्यक्ति एवं कला का बेहद सशक्त माध्यम है कविता।  हमारे देश में ऋषि-मुनियों ने काव्य व छंदों के माध्यम से कितनी ही गूढ़ बातें कहीं हैं,  साथ ही चौपाई एवं दोहे में भी समृद्ध साहित्य संजोया गया है।  आज के आयोजन के गणमान्य कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी जी, श्री शंभू शिखर जी, श्रीमती रुचि चतुर्वेदी जी, श्रीमती पूनम वर्मा जी, श्रीमती आराधना प्रसाद जी। 

आज के आयोजन की अध्यक्षता कर रहे परम आदरणीय श्री आर के सिन्हा, पूर्व सांसद एवं निदेशक, एसआईएस आप सभी को मेरा सादर प्रणाम, वंदन, अभिनंदन!  


गुणीजनों साहित्य जीवन है, उत्साह है, रंग है, उमंग है।  मानव को मानव बनाने में साहित्य सबसे बड़ा पक्ष है।  हम सभी को जिंदगी रोज ही नए रंग देती है। यह रंग हमें जीवन के विविध यात्राओं के माध्यम से जीवन यात्रा को देखने, महसूस करने का अवसर देती है।  वास्तव में हम सभी एक यात्री के रूप में इस सफर को महसूस करते है और साहित्य इस यात्रा को जीवंत बनाता है।

औपनिवेशिक प्रभाव से ग्रसित होकर अक्सर हम लोग भाषा एवं साहित्य के अर्थ, इसकी उपयोगिता एवं सम्बन्धों को सीमित कर बैठते हैं।  जबकि साहित्य वही सफल होता है जो समाज को प्रतिबिंबित करता हैं ।  कहा भी गया है जिस प्रकार जड़ के बिना पौधा सूख जाता है, उसी प्रकार मूल के अभाव में लिखा हुआ साहित्य भी निरर्थक होता है। दुर्भाग्यवश, अब लोग बिना मूल को जाने ही केवल अपनी उद्भभावना को ही सर्वांग सत्य मानने लगे है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि भारत के आधुनिक साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, वैज्ञानिक ज्ञान एवं सार्थक समझ के साथ अपनी मूल परंपरा, विरासत को जाने-समझे। जिस प्रकार जड़ का अस्तित्व पौधे से पहले होता है उसी प्रकार साहित्य का स्थायित्व भी उसके मूल पर टिका हुआ है। तभी वह भावी पीढ़ी को मार्गदर्शित करने में सक्षम हो सकेगा। नकारात्मकता राष्ट्र, समाज की गति को बाधित करती है। आइए साहित्य की सशक्त भूमिका को समझे। यह आयोजन साहित्य एवं भाषा का महत्व, इसकी व्यापकता को समझने का अवसर देता है ।  कामना है यह आयोजन ‘भारतीय दृष्टि, सम्यक सृष्टि’ के भाव बोध को सशक्तता प्रदान करने में सफल हो। यही इस आयोजन का उद्देश्य भी है और संकल्प भी।    

आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अपने निबंध ‘साहित्य की महत्ता’ में कहते है –‘ज्ञान-राशि के संचित कोष का ही नाम साहित्य है। ‘  इन्हीं गुण-तत्त्वों के कारण भारतीय परंपरा एवं इतिहास में साहित्य को विशिष्ट स्थान प्राप्त है।  हमारा इतिहास, ज्ञान-विज्ञान, कला, तर्क आदि सभी कुछ साहित्य का ही नाम है।  


साहित्य वहीं सफल होता है जिसकी पृष्ठभूमि में मनुष्यता है, संवेदना है, सच्चाई है।  एक साहित्यकार कालजयी होता है। तुलसीदास जी ने मर्यादा और कर्तव्य बोध को सबसे ऊपर रखा।  यहीं तुलसीदासजी के साहित्य के स्थायी अमरता का तत्त्व बोध है।  साहित्य हमें व्यापक दृष्टि देता हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम ऐसे साहित्य का सृजन करें जो सार्वकालिक हो, समदृष्टि रखें।  हमारी संस्कृति को व्यापक दृष्टि प्रदान करता हो।  भावी पीढ़ी को दिशा देने हेतु इस साहित्य का अनुसरण किया जाना बेहद जरूरी है।  


इस मंच से यह कहना जरूरी है कि आज साहित्यकारों, इतिहासकारों को यह जानने-समझने की आवश्यकता है कि साहित्य देश एवं संस्कृति को जानने-समझने का सशक्त माध्यम है।  जिसमें संतुलन हो, समग्रता हो, सशक्तता हो, भावी पीढी के जानने-समझने की सोच हो। भारत अपनी समृद्ध परंपरा, संस्कृति के बल पर ही सदियों से दुनिया को राह दिखाता रहा है अब इसे मजबूत रखने की ज़िम्मेदारी हम सभी की है।  


मैं, आयोजकों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ कि आपने इस आयोजन से मुझे जोड़ा।  मैं कोई कवि नहीं हूँ और फिर भी आप सभी प्रतिष्ठित कवियों के समक्ष मैं अपनी कविता पढ़ने के लोभ से अपने को रोक नहीं पा रहा हूँ जिसे मैंने विश्व कविता दिवस के अवसर पर लिखा था।  


मेरी कविता जिसका शीर्षक है -“साहित्य की आत्मा है कविता”


(मेरी यह कविता जीवन के रंगमंच पर समर्पित सभी कवियों को समर्पित है। 


साहित्य की आत्मा है कविता


 


साहित्य की आत्मा है कविता


मन और आत्मा का मिलन है कविता


जीवन का भाव-बोध है कविता


कविता चेतना है


कविता जीवन है


………………….,,


कविता पशुता में मानवता का रंग है


समाज की संवेदना है कविता


दिलों की अरमान है कविता


जीवन के पंख की उड़ान है कविता


 


………………….,,..,,


 


रिश्तों की उड़ान है कविता


माँ के लिए उसके बच्चों की उड़ान का नाम है कविता


देश के लिए उसके निवासियों की पहचान है कविता


पिता के लिए अपने परिवार की समृद्धि का नाम है कविता


भाई के लिए बहन की खुशी का नाम है कविता


बहन के लिए भाई की समृद्धि का नाम है कविता


……………………..,,,,


पति के लिए पत्नी का प्यार


पत्नी के लिए पति की खुशी


कविता जीवन है


……………


पत्थर से पत्थर रगड़ कर हुई आग


के आविष्कार का नाम है कविता


कृषक के पसीने से


सिंचित फसल का नाम है कविता


चिकित्सक के शोध का


भाव बोध है कविता


……………


प्रभु द्वारा शबरी के जूठे बेर का


प्रेम बोध है कविता


श्रीकृष्ण और सुदामा की


मित्रता का नाम है कविता


विक्रम और वैताल के


धैर्य और चातुर्य का मेल है कविता


अकबर के प्रश्न


बीरबल के समाधान का नाम


है कविता


……………


कविता रंग है


कविता भाव है


कविता जीवन बोध है।


*********


©डॉ साकेत सहाय


धन्यवाद, प्रणाम , नमस्कार ।

#साकेत_विचार

#हिन्दी #लिखना #कविता

Tuesday, March 21, 2023

साहित्य की आत्मा है कविता

 


वर्ष 1999 में फ़्रांस की राजधानी पेरिस में हुए यूनेस्को के 30वें अधिवेशन में यह तय किया गया कि प्रतिवर्ष  21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। अभिव्यक्ति एवं कला के इस सशक्त माध्यम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया था। हमारे देश में ऋषि-मुनियों ने काव्य व छंदों के माध्यम से कितनी ही गूढ़ बातें कहीं हैं,  साथ ही चौपाई एवं दोहे में भी वृहत साहित्य संजोया गया है।

इसी क्रम में यूनेस्को का मानना है कि कविताएँ भाषाओं को संरक्षित करने का भी बड़ा माध्यम है। यह कहा जा सकता है 21 मार्च का यह दिन विश्व कविता दिवस के रूप में मानव सभ्यता में विद्यमान भाषाओं की विविधता का भी उत्सव है। इस अवसर पर प्रस्तुत है मेरी कविता जिसका शीर्षक है -“साहित्य की आत्मा है कविता” मेरी यह कविता विश्व कविता दिवस के अवसर पर जीवन के रंगमंच पर समर्पित सभी कवियों को समर्पित है। 


शीर्षक

साहित्य की आत्मा है कविता


साहित्य की आत्मा है कविता

मन और आत्मा का मिलन है कविता

जीवन का भाव-बोध है कविता

कविता चेतना है

कविता जीवन है

………………….,,

कविता पशुता में मानवता का रंग है

समाज की संवेदना है कविता

दिलों की अरमान है कविता

जीवन के पंख की उड़ान है कविता


………………….,,..,,


रिश्तों की उड़ान है कविता

माँ के लिए उसके बच्चों की उड़ान का नाम है कविता

देश के लिए उसके निवासियों की पहचान है कविता

पिता के लिए अपने परिवार की समृद्धि का नाम है कविता

भाई के लिए बहन की खुशी का नाम है कविता

बहन के लिए भाई की समृद्धि का नाम है कविता

……………………..,,,,

पति के लिए पत्नी का प्यार

पत्नी के लिए पति की खुशी

कविता जीवन है

……………

पत्थर से पत्थर रगड़ कर हुई आग 

के आविष्कार का नाम है कविता

कृषक के पसीने से 

सिंचित फसल का नाम है कविता

चिकित्सक के शोध का 

भाव बोध है कविता

……………

प्रभु द्वारा शबरी के जूठे बेर का 

प्रेम बोध है कविता

श्रीकृष्ण और सुदामा की 

मित्रता का नाम है कविता

विक्रम और वैताल के 

धैर्य और चातुर्य का मेल है कविता

अकबर के प्रश्न 

बीरबल के समाधान का नाम 

है कविता 

……………

कविता रंग है

कविता भाव है

कविता जीवन बोध है।

*********

©डॉ साकेत सहाय

२१ मार्च, २०२३


Friday, March 17, 2023

साहित्य की सार्थकता और बाज़ार





हर जगह साहित्य-सिर्फ़ होर्डिंग, बैनर तक। सिस्टम और बाजार का घालमेल। किसी को साहित्य से कहाँ मतलब, सब कुछ पद, पैसा, रसूख़ के लिए। कहीं कोई दृष्टि बोध नहीं। जो जितना दिखा, वो उतना बिका। जिन्हें साहित्य और भाषा का अर्थ तक नहीं पता, वे भी आज बड़े लेखक है। सब कुछ इवेंट होता जा रहा है। सब कुछ तात्कालिक । 

साहित्य वहीं सफल होता है जो समाज को प्रतिबिंबित करता हैं ।  कहा भी गया है जिस प्रकार जड़ के बिना पौधा सूख जाता है, उसी प्रकार मूल के अभाव में लिखा हुआ साहित्य भी निरर्थक होता है। दुर्भाग्यवश, अब लोग बिना मूल जाने ही केवल अपनी उद्भभावना को  ही स्वार्गं सत्य मानने लगे है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि भारत के आधुनिक साहित्यकार, लेखक, पत्रकार ज्ञान एवं सार्थक समझ के साथ अपनी मूल परंपरा, विरासत को जाने-समझे। अंत में जिस प्रकार जड़ का अस्तित्व पौधे से पहले होता है उसी प्रकार साहित्य का स्थायित्व भी उसके मूल पर टिका हुआ है। तभी वह भावी पीढ़ी को मार्गदर्शित करने में सक्षम हो सकेगा। नकारात्मकता राष्ट्र, समाज की गति को बाधित करता है। आइए साहित्य की सशक्त भूमिका को समझे। 

इन्हीं संदर्भों पर मुझे अपनी एक कविता 'इतिहास'  का स्मरण हुआ। जो साहित्य पर भी लागू होता है। 


                                                  इतिहास ..........


इतिहास

भारत की जहालत का

बदनामी का

संपन्नता का

विपन्नता का

................................ 

कौन-सा?

कुभाषा का

कुविचारों का

या अपने को हीन मानने का

..............................


सौहार्दता की आड़ में

अपने को खोने का

विश्व नागरिक बनने की चाह में

भारतीयता को खोने का

....................................


समरसता की आड़ में 

अपने अस्तित्व को कमज़ोर मानने का

इतिहास है क्या

सिकंदर को महान बनाने का

या

समुद्रगुप्त से ज्यादा नेपोलियन को

या

फिर स्वंय को खोकर

दूसरों को पाने का

या 

दूसरों को रौंदकर अपनी पताका फहराने का


...............................


आधुनिकता की आड़ में 

पुरातनता थोपने का ।

समाज सुधार आंदोलनों को 

धर्म सुधार आंदोलन का नाम देने का  

या

कौमियत को धर्म का नाम देने का 


.............................


क्या धर्म को विचार का नाम देना ही आंदोलन है 

या फिर 

अंग्रेजी दासता को श्रेष्ठता का नाम देना 

या फिर सूफीवाद की आड़ में

भक्तिवाद को खोने का


..........................

या फिर

इतिहास है अतीत के पन्नों पर

खुद की इबारत जबरदस्ती लिखने का

या 

शक्तिशाली के वर्चस्व को स्थापित करने का  


........................


कहते है भारत सदियों से एक है 

तो फिर जाति-धर्म के नाम पर 

रोटी सेंकना कौन-सा इतिहास है?

क्या देश की सांस्कृतिक पहचान नष्ट करना 

इतिहास है?

...................


यदि यह इतिहास है ?

तो जरूरत है इसे जानने-समझने की

इतिहास है तटस्थता का नाम

तो फिर यह एकरूपता क्यूँ

क्या इतिहास दूसरों के रंगों में रंगने का नाम है

या दूसरों की सत्ता स्थापित करने का ।

©डॉ. साकेत सहाय

    17 मार्च, 2023


#साकेत_विचार #साहित्य

#हिंदी #बाज़ार #कविता

Sunday, March 12, 2023

मेरी कविता- लिखना ज़रूरी है …

मैं बहुत कम कविताएँ लिखता हूँ, आज एक उपहार लिफाफ़े पर इस सुंदर हस्तलेखनी को देखा तो मन में कुछ भाव आए, सोचा आप सभी से साझा कर लूँ । साथ में सुंदर हस्तलेखन का नमूना भी संलग्न है। इस सुंदर हस्तलेखन से उपजी कविता का शीर्षक है - 


लिखना ज़रूरी है….


°°°


लिखना ज़रूरी है 

खूब लिखिए 

कागज और कलम की 

बुनियाद 

मज़बूत कीजिए। 

क्योंकि

लिखना ज़रूरी है…


°°°


भाव के लिए

विचार के लिए

संवाद के लिए

जुड़ाव के लिए


°°°


प्रसार के लिए 

प्रस्तुति के लिए

प्रभाव के लिए

प्रमोद  के लिए

प्रमाण के लिए


°°°


लिखना भाषाओं को 

आत्मीयता देता हैं

लिपियों को 

जीवंतता 


°°°


व्याकरण को भाव 

और भाषा को परिधान

परिष्कार

और संस्कार

और अनुशासन भी 


°°°


खूब लिखिए

जो लिखेगा 

वो जागेगा

जो जागेगा 

वो जगाएगा


°°°


जो जगाएगा 

वो सुंदर , मधुर

और सुखद होगा


°°°


सुंदर, मधुर और सुखद 

भाव के संयोग से 

समृद्ध विचार 

जाग्रत होते हैं


°°°


लिखना 

सुखद अहसास

देते हैं


°°°

क्योंकि 

जब तक लेखनी है

तब तक हम और आप 

आदमी हैं। 


©️डा. साकेत सहाय

    12 मार्च, 2023

#साकेत_विचार

#कविता #लिखना #भाषा #लिपि

दूरदर्शन बिहार पर मेरा साक्षात्कार





दूरदर्शन, बिहार के प्रशंसित एवं चर्चित कार्यक्रम ‘बिहार बिहान’ में डॉ साकेत सहाय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित जो भाषा, संचार, साहित्य और संस्कृति को लेकर समर्पित रहा है से जुड़े विविध आयामों पर आधारित साक्षात्कार इस वीडियो में 

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रेणु के उपन्यासों में देशकाल

 





कवि रामनरेश त्रिपाठी


‘ हे प्रभु आनंद-दाता

हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये,
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए,

लीजिये हमको शरण में, हम सदाचारी बनें,
ब्रह्मचारी धर्म-रक्षक वीर व्रत धारी बनें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

निंदा किसी की हम किसी से भूल कर भी न करें,
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूल कर भी न करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

सत्य बोलें, झूठ त्यागें, मेल आपस में करें,
दिव्या जीवन हो हमारा, यश तेरा गाया करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

जाये हमारी आयु हे प्रभु लोक के उपकार में,
हाथ डालें हम कभी न भूल कर अपकार में,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

कीजिए हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा,
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

प्रेम से हम गुरु जनों की नित्य ही सेवा करें,
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

योग विद्या ब्रह्म विद्या हो अधिक प्यारी हमें,
ब्रह्म निष्ठा प्राप्त कर के सर्व हितकारी बनें,
हे प्रभु आनंद-दाता ज्ञान हमको दीजिये...

हे प्रभु आनंद दाता’ जैसी भावपूर्ण प्रार्थना गीत लिखकर करोड़ों भारतीयों को जागृत करने वाले कवि रामनरेश त्रिपाठी की आज जयंती है। आपने कविता के साथ ही उपन्यास, नाटक, आलोचना, हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास तथा बालोपयोगी पुस्तकें भी लिखीं हैं। आपकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं- 'मिलन, 'पथिक, 'स्वप्न तथा 'मानसी। '
#रामनरेश_त्रिपाठी
आपको नमन🙏
#साकेत_विचार

होली की शुभकामना!

 



राग, अनुराग स्नेह, प्रेम, लगाव प्रकृति के जीवंत रंग हैं। 

रंग हम सभी की जिंदगी के अनेक भावों को दर्शाते हैं। जीवन के विशाल रंगमंच पर रंगों की दुनिया के ये खूबसूरत रंगीन पल आप सभी के लिए हमेशा यादगार बना रहें।  कामना है -

होली के रंगों से आपके जीवन में हो ! 

उमंगों की बरसात !

पिचकारी में हो प्यार की पुचकार !!

गुलाल करे आपका जीवन उम्मीदों भरा !

और अबीर भरे आपके जीवन में बहार !!  

जीवन के सातों  रंगों से आप  सभी का जीवन सराबोर रहे, इन्हीं रंग भरे शुभकामनाओं के 

आप सभी को सपरिवार रंग-बिरंगी होली की सपरिवार हार्दिक शुभकामना!

🌺🙏🌺

सादर, 

साकेत सहाय

#साकेत_विचार

#होली_2023

#अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस





 #अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

#InternationalWomen'sDay


महिला और पुरूष  दोनों ही सृष्टि की आत्मा है।  एक के बिना दूसरे का अस्तित्व शून्य है। आइए महिला दिवस पर इस समभाव को स्वीकारें । 

भारतीय संस्कृति में पुरुष को नाथ और स्त्री को देवी  के रुप में सर्वोच्च मानने की परंपरा स्थापित रही हैं। भारतीय संस्कृति में औपनिवेशिक प्रभाव ने इस परंपरा को विकृत किया है। हम और आप अपने सात्विक  इतिहास से कोसों दूर हैं । जहाँ तक समानता की बात है तो स्त्री और पुरूष को  उनकी प्रकृति के अनुरूप उच्चतम शिक्षा,श्रेष्ठ संस्कार दें तथा समाज दोनों के गुण एवं अवगुण का आकलन कर उच्चतम सामाजिक मानदंड स्थापित करने की मंशा रखते हुए उनसे व्यवहार करें। स्त्री में करुणा,दया,प्रेम,रचनात्मकता ,सृजनात्मकता जैसे  दिव्य गुण ईश्वर द्वारा नैसर्गिक रूप से प्रदत्त रहते  हैं। पुरुष को परमात्मा ने अलग जिम्मेदारी दी है। पश्चिम प्रेरित समाज आजकल महिला सशक्तिकरण की आड़ में पुरुष को महिला बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं महिला को पुरुष जिससे सामाजिक ढांचे में व्यापक परिवर्तन उत्पन्न हुए हैं । इस वजह से कई दुष्परिणाम देखने को आ रहे हैं। जबकि जरूरत है महिला एवं पुरूष को उनके गुणों का पूरा सम्मान मिले और समाज दोनों के समवेत संस्कार से परिष्कृत हो। 

सादर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामना.....

समस्त मातृ शक्ति को नमन!

हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक’







 दिल्ली से प्रकाशित हिन्दुस्तान समाचार समूह की प्रतिष्ठित पत्रिका " युगवार्ता " के नवीनतम अंक  में ‘हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक’ जो १२वें विश्व हिंदी सम्मेलन का केंद्रीय विषय था, पर केंद्रित मेरा आलेख आप सभी के अवलोकनार्थ। समूह संपादक प्रख्यात पत्रकार श्री  रामबहादुर राय जी और पत्रिका के संपादक श्री संजीव कुमार भाई का आभार ।

#साकेत_विचार

#हिंदी

मेरी पुस्तक वित्त, बैंकिंग एवं भाषा: विविध आयाम




आप सभी को सादर सूचित कर रहा हूँ कि बिहार सरकार के मंत्रिमण्डल सचिवालय, राजभाषा विभाग द्वारा मेरी पाण्डुलिपि 'वित्त, बैंकिंग एवं भाषा : विविध आयाम' का चयन किया गया है। इसमें वित्त, बैंकिंग एवं भाषा के संबंधों पर आधारित मेरी प्रविष्टि को मंत्रिमंडल सचिवालय, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ पाण्डुलिपि के रुप में चयनित किया गया  है।  बिहार  सरकार का बहुत-बहुत आभार जो मेरी पुस्तक "वित्त, बैंकिंग एवं भाषा को प्रकाशन हेतु अनुदान की स्वीकृति प्रदान की। आप सभी की शुभकामना, बधाई तो बनती है !  शीघ्र ही यह प्रविष्टि संपूर्ण पुस्तक के रुप में आप सभी के लिए सुलभ होगी। 

अब यह पुस्तक रूप में आप सभी के बीच



#वित्त, #बैंकिग एवं #भाषा: विविध आयाम- डा. साकेत सहाय

पुस्तक में वित्त, बैंकिग एवं भाषा की विविध प्रयोजनपरक विधाओं को आम जन की सहज भाषा में आलेखित किया गया है । मुझे विश्वास है कि यह संग्रह  विद्यार्थियों, #वित्त, #बैंकिंग एवं #वाणिज्य क्षेत्र से जुड़े व सामान्य जन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा । पुस्तक हेतु आप सब प्रकाशक: संस्कार साहित्य माला ( हिन्दी पुस्तकों के प्रकाशक व वितरक), WhatsApp- 09969977079, 09820946062, 09869002378, email- ssmhindibooks@gmail.com से संपर्क कर सकते हैं।  आशा है आप सभी सहयोग करेंगे। 

#साकेत_विचार


🙏सादर,

साहित्य अकादेमी में नव नियुक्ति, हिंदी और हम





व कौशिक को साहित्‍य अकादेमी का अध्यक्ष और डा. कुमुद शर्मा को उपाध्यक्ष बनने हेतु हार्दिक बधाई!  यह भी सुखद प्रसन्नता का विषय है कि अकादेमी के इतिहास में पहली बार कोई लेखिका उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुई हैं । साथ ही अब अकादेमी के दोनों पद हिंदी सेवियों, हिंदी जीवियों के पास। आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है अकादेमी आप दोनों के नेतृत्व में हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के प्रगामी प्रयोग एवं समृद्धि के लिए कार्य करेगी।  हिंदी के हित में संविधान के अनुच्छेद-३५१ की मूल भावना का भी अनुपालन होगा। साथ ही सबसे महत्वपूर्ण साहित्य की मूल भावना के साथ न्याय होगा। 

आप दोनों को एक शानदार पारी के लिए बहुत बहुत बधाई! शुभकामना💐 

संस्थान की प्रगति हेतु शुभकामना!

#साकेत_विचार

मॉरीशस वासियों को स्वाधीनता दिवस की बधाई!










 #माॅरीशसवासियों को #स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

#एक रमणीय विकसित देश के रूप में माॅरीशस की पहचान स्थापित करने के लिए सभी माॅरीशसवासियों को हार्दिक बधाई । माॅरीशसवासियों की सबसे बड़ी जीवतंता यह है कि उन्होंने अपने पुरखों की परंपरा, विरासत, संस्कार एवं संस्कृति को मजबूती एवं सह्रदयता के साथ संभाल कर रखा है । हम भारतीयों को यह सीखने की आवश्यकता है।


माॅरीशस के मजबूती में भोजपुरी के भी खूब जोगदान बाटे!

आपन बोली आपन मान!

सुब्रह्मण्यम भारती जयंती-भारतीय भाषा दिवस

आज महान कवि सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती है।  आज 'भारतीय भाषा दिवस'  भी है। सुब्रमण्यम भारती प्रसिद्ध हिंदी-तमिल कवि थे, जिन्हें महा...