#अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस





 #अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

#InternationalWomen'sDay


महिला और पुरूष  दोनों ही सृष्टि की आत्मा है।  एक के बिना दूसरे का अस्तित्व शून्य है। आइए महिला दिवस पर इस समभाव को स्वीकारें । 

भारतीय संस्कृति में पुरुष को नाथ और स्त्री को देवी  के रुप में सर्वोच्च मानने की परंपरा स्थापित रही हैं। भारतीय संस्कृति में औपनिवेशिक प्रभाव ने इस परंपरा को विकृत किया है। हम और आप अपने सात्विक  इतिहास से कोसों दूर हैं । जहाँ तक समानता की बात है तो स्त्री और पुरूष को  उनकी प्रकृति के अनुरूप उच्चतम शिक्षा,श्रेष्ठ संस्कार दें तथा समाज दोनों के गुण एवं अवगुण का आकलन कर उच्चतम सामाजिक मानदंड स्थापित करने की मंशा रखते हुए उनसे व्यवहार करें। स्त्री में करुणा,दया,प्रेम,रचनात्मकता ,सृजनात्मकता जैसे  दिव्य गुण ईश्वर द्वारा नैसर्गिक रूप से प्रदत्त रहते  हैं। पुरुष को परमात्मा ने अलग जिम्मेदारी दी है। पश्चिम प्रेरित समाज आजकल महिला सशक्तिकरण की आड़ में पुरुष को महिला बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं महिला को पुरुष जिससे सामाजिक ढांचे में व्यापक परिवर्तन उत्पन्न हुए हैं । इस वजह से कई दुष्परिणाम देखने को आ रहे हैं। जबकि जरूरत है महिला एवं पुरूष को उनके गुणों का पूरा सम्मान मिले और समाज दोनों के समवेत संस्कार से परिष्कृत हो। 

सादर

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामना.....

समस्त मातृ शक्ति को नमन!

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