पेंशनर दिवस


आज पेंशनर्स डे है।  17 दिसंबर, 1982 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने श्री डी एस नकारा के पेंशन मामले में एक ऐतिहासिक  निर्णय दिया था । इस फैसले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह फैसला सुनाया था कि “पेंशन न तो कोई उपहार है और न ही इनाम।  बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अधिकार है  जिसने लंबे समय तक देश की सेवा की।  सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि कर्मचारी एक सम्मानित जीवन जी सके।” इस फैसले के बाद पेंशन में वेतन की भांति संशोधन किये जाने लगे।  हालाँकि इसी कड़ी में सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों के पेंशन अपडेशन  का मामला  भारत सरकार के पास दीर्घ समय से लम्बित है। इस तारीख़ की उपयोगिता उन सभी लोगों के लिए न्यायपरक पेंशन व्यवस्था लागू करने के रूप में भी है। 

परंतु, 01 अप्रैल,  2005 के बाद हुई नियुक्तियों के नौकरीपेशा लोगों के लिए तो सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना लागू की है। जिसकी स्थिति अस्पष्ट है और बाज़ार पर आधारित है। सेवानिवृत्त बैंक कर्मियों का भी पेंशन लंबे समय से अपडेशन के अभाव में असम्मानजनक है।  साथ ही निजी क्षेत्रों में भी पेंशन की स्थिति दयनीय या न के बराबर है ।

अत: सरकारी कर्मियों के साथ ही सभी पात्र लोगों के लिए भी सभी राज्य एवं केंद्र सरकारों को एक स्पष्ट पेंशन नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है । साथ ही सभी सरकारी कर्मियों के लिए भी पुराने पेंशन पर पुनर्विचार करने की नितांत आवश्यकता है ।  सभी पात्र लोगों के लिए पेंशन सुरक्षा लागू हो इस दिवस की सार्थकता यही है। 

#पेंशन #साकेत_विचार

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