#फूटी_कौड़ी_से_डिजिटल_रुपया_तक


एक ज़माने में फूटी कौड़ी मुद्रा(करेंसी) की भाँति कार्य करती थी जिसकी क़ीमत सबसे कम होती थी।  उस समय तीन फूटी कौड़ियों से एक कौड़ी बनती थी और दस कौड़ियों से एक दमड़ी। 

आज कल की बोलचाल में फूटी कौड़ी को मुहावरे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है ।   कई और भी मुहावरे आप सभी को याद होंगे, यथा, 

1. धेले भर की अक्ल नहीं है

2. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए

3. पाई-पाई का हिसाब चुकाना होगा

4. कौड़ियों के भाव बेच दिया

5. इसे बेचकर तो फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी

इन वाक्यों एवं मुहावरों को पढ़कर, सुनकर हम सभी के दैनिक जीवन में मुद्राओं की अहमियत भी पता चलता है। समय के साथ इन वाक्यों और मुहावरों के अर्थ हमें समझ आने लगे। यही मुद्राएं जीवन को अलंकृत भी करतीं हैं । आइए इन मुद्राओं का अर्थ समझते हैं -

मुद्रा (करेंसी ) का मूल्य  इस प्रकार था-

3 फूटी कौड़ी- 1 कौड़ी

10 कौड़ी - 1 दमड़ी

02 दमड़ी - 1.5 पाई

1.5 पाई - 1 धैला

2 धैला - 1 पैसा

3 पैसे - 1 टका

2 टका - 1 आना

2 आने- दोअन्नी

4 आने - चवन्नी

8 आने - अठन्नी

16 आने - 1 रुपया

आइए डिजिटल  रुपया के दौर में इस पुराने दौर को याद कर गौरवान्वित हों😊

#साकेत_विचार

#मुद्रा

#रुपया

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