आवाज के जादूगर -अमीन सयानी

अमीन सयानी नहीं रहे। 



आवाज की दुनिया के दोस्त बिना उनकी आवाज़ के अधूरे हैं।  शायद ही कोई रेडियो, सिनेमा प्रेमी  ऐसा होगा जो इस नाम से परिचित ना हों। उनकी कभी न भूलने वाली आवाज के बिना भारत का रेडियो जगत अधूरा है। कभी बिनाका, सीबाका का हर श्रोता ठीक आठ बजे रेडियो सिलोन में कान लगा कर सिर्फ गीतमाला नहीं सुनता था, साथ में उनकी अपनेपन से भरी आवाज को भी सुनता था। जब वे कहते, भाइयों और बहनों, तो ऐसा लगता था जैसे वे सीधे हमें संबोधित कर रहे हैं। उस एक कार्यक्रम ने रेडियो को जन-जन की आवाज़ बना दिया।  एक घंटे में सप्ताह के दस लोकप्रिय गीत मनोरंजन की सबसे बड़ी खुराक थी।  आवाज़ के जादूगर ने ९१ साल की भरपूर आयु जी, जिसमें से 42 साल तक सुपरहिट शो गीतमाला को होस्ट किया।  जब वे कहते "नमस्कार भाइयो और बहनो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं।" तो श्रोता मंत्र-मुग्ध हो जाते।  अमीन सयानी ने 1952 से 1994 तक रेडियो शो गीतमाला को होस्ट किया। अमीन सयानी की वजह से इस रेडियो शो को देशभर में लोकप्रियता मिली।अमीन सयानी ने अपने करियर की शुरुआत आकाशवाणी सेवा से की थी। 21 दिसंबर 1932 को मुंबई में जन्मे अमीन एक बहुभाषी परिवार से संबद्ध रखते थे।  उन्होंने रेडियो प्रस्तुतकर्ता के रूप में  अपने करियर की शुरुआत की। 10 साल तक वे अंग्रेज़ी कार्यक्रम  का हिस्सा रहे। आजादी के बाद उन्होंने हिंदी की ओर रुख किया। सयानी को असली पहचान दिसंबर 1952 में शुरू हुए रेडियो शो गीतमाला से मिली। इस 30 मिनट के रेडियो शो के तीन नाम बदले गए, सब के सब लोकप्रिय रहे।  सयानी का शो बिनाका गीतमाला पहले रेडियो श्रीलंका पर प्रसारित होता था। आधे घंटे का यह कार्यक्रम बेहद चर्चित हुआ।   पहले बिनाका गीतमाला, फिर सिबाका गीतमाला हुआ और हिट परेड नाम से भी प्रसारित हुआ, लेकिन कभी भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं हुई। इसके बाद गीतमाला कार्यक्रम आकाशवाणी और विविध भारती पर भी प्रसारित हुआ।

अमीन सयानी के अंदाज का हर कोई दीवाना था। गीतमाला शो रेडियो पर बुधवार रात 8 बजे प्रसारित होता था। परंतु आलम यह था कि हर कोई इस शो का इंतजार करता था। घर, दुकान, बाजार हर जगह लोग सयानी को सुनने के लिए आतुर  रहते थे। फिर गूंजती थी एक आवाज- बहनो और भाइयो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं। और अब इस बरस बिनाका गीतमाला की वार्षिक हिट परेड का सरताज गीत।  इसके बाद बिगुल की आवाज गूंजती और फिर अमीन सयानी कहते, ‘फिल्म नाम का गाना है ये बहनो और भाइयो। इसे गाया है पंकज उधास ने।’

हिन्दी की लोकप्रियता का असर देखिये कि यह गीतमाला पूरे दक्षिण एशिया में लोकप्रिय हुई। इस अपूर्व सफलता के कारण गीतमाला शो 42 साल तक चला। बाद में, 2000-2001 और 2001-2003 में इसके नाम में मामूली बदलाव के साथ इसे फिर से शुरू किया गया।हिंदी इनसे भी लोकप्रिय हुई या यूँ कहें कि इन लोगों ने हिंदी की शक्ति को जाना-पहचाना।  

अब इस दुनिया से वह जोश भरी आवाज चली गई।  पर उनकी जादुई आवाज सदा गुंजेगी। 

डा. साकेत सहाय

भाषा-संचार विशेषज्ञ

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानितलेखक

hindisewi@gmail.com 

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