भाषा अभिमान और भाषा दुराग्रह "

 "भाषा अभिमान और भाषा दुराग्रह "


भाषा अभिमान और भाषा दूराग्रह दो अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। भाषा अभिमान का अर्थ है अपनी भाषा पर गर्व करना और उसे अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ मानना। भाषा दुराग्रह का अर्थ है अपनी भाषा के प्रति पक्षपाती होना और अन्य भाषाओं के प्रति पूर्वाग्रह रखना।


संत ज्ञानेश्वर जी ने "ज्ञानेश्वरी" लिखी जो गीता ज्ञान का प्राकृत मराठी अनुवाद था। तत्कालीन पंडितों ने इसका विरोध किया क्योंकि संस्कृत में कैद ज्ञान प्राकृत में प्रकट हुआ था। यह भाषा दुराग्रह का एक उदाहरण है।


आधुनिक समय में भी हम भाषा दुराग्रह से ग्रसित हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कई लोग अंग्रेजी को अन्य भाषाओं से श्रेष्ठ मानते हैं। वे अंग्रेजी में बात करने वाले लोगों को अधिक शिक्षित और सभ्य मानते हैं। यह भाषा दुराग्रह का एक उदाहरण है।


भाषा अभिमान और भाषा दुराग्रह दोनों ही हानिकारक हैं। भाषा अभिमान से भाषाई विविधता का नुकसान होता है। भाषा दुराग्रह से सामाजिक विभाजन और तनाव बढ़ता है।


अनुवाद भाषा अभिमान और भाषा दुराग्रह को दूर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। अनुवाद के माध्यम से हम विभिन्न भाषाओं के ज्ञान और संस्कृतियों से परिचित हो सकते हैं। यह हमें अपनी भाषा के प्रति अधिक विनम्र और सहिष्णु बनाता है।


संत महिपति कृत "भक्त विजय" ग्रंथ का अनुवाद अंग्रेजी के साथ दक्षिण भारत के सभी भाषाओं में उपलब्ध हुआ है। यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे अनुवाद भाषा अभिमान और भाषा दुराग्रह को दूर कर सकता है।


मीराबाई की कविता "माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल"  एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। मीराबाई कहती हैं कि उन्होंने गोविंद को अपना पति चुना है, चाहे कोई उन्हें किसी भी तरह से आंकें। इसी भजन का सुंदर रूपांतर मराठी कवि,गीतकार ग  दि माडगूळकर जी ने मराठी फिल्म  " जगाच्या पाठीवर" में "बाई मी विकत घेतला श्याम" गीत लिखकर अजरामर किया है।

  

भाषा अभिमान और अस्मिता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। भाषा एक समुदाय की पहचान और संस्कृति का प्रतीक होती है। जब कोई व्यक्ति अपनी भाषा के प्रति अभिमान रखता है, तो वह अपनी संस्कृति और पहचान के प्रति भी अभिमान रखता है।


भाषा अभिमान का अर्थ है अपनी भाषा के प्रति गौरव और सम्मान की भावना रखना। यह भावना किसी व्यक्ति को अपनी भाषा का उपयोग करने और उसका प्रचार करने के लिए प्रेरित करती है। भाषा अभिमान किसी व्यक्ति की आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है।


भाषा अस्मिता का अर्थ है अपनी भाषा के साथ अपनी पहचान का बोध करना। यह भावना किसी व्यक्ति को अपनी भाषा को अन्य भाषाओं से अलग समझने और उसका सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है। भाषा अस्मिता किसी व्यक्ति को अपनी भाषा के लिए लड़ने और उसका संरक्षण करने के लिए प्रेरित करती है।


भाषा अभिमान और अस्मिता के कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:


* **भाषा की रक्षा और संरक्षण:** भाषा अभिमान और अस्मिता लोगों को अपनी भाषा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती है। यह भाषा की विविधता को बनाए रखने में भी मदद करता है।

* **सांस्कृतिक पहचान:** भाषा अभिमान और अस्मिता लोगों को अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद करती है। यह लोगों को अपने अतीत और परंपराओं से जुड़े रहने में मदद करता है।

* **आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास:** भाषा अभिमान और अस्मिता लोगों के आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को बढ़ाता है। यह लोगों को अपनी भाषा का उपयोग करने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए अधिक आत्मविश्वास महसूस कराता है।


भाषा अभिमान और अस्मिता का निर्माण करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:


* **भाषा शिक्षा:** भाषा शिक्षा के माध्यम से लोगों को अपनी भाषा के बारे में जागरूक किया जा सकता है। यह उन्हें अपनी भाषा के इतिहास, संस्कृति और महत्व के बारे में जानने में मदद करता है।

* **भाषा प्रचार:** भाषा प्रचार के माध्यम से लोगों को अपनी भाषा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। यह उन्हें अपनी भाषा के बारे में बात करने, लिखने और पढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

* **भाषा साहित्य:** भाषा साहित्य के माध्यम से लोगों को अपनी भाषा की समृद्धि और विविधता से परिचित कराया जा सकता है। यह उन्हें अपनी भाषा के साहित्य को पढ़ने और उसका आनंद लेने के लिए प्रेरित करता है।


भाषा अभिमान और अस्मिता किसी भी देश या समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये भावनाएँ लोगों को अपनी संस्कृति और पहचान को बनाए रखने और बढ़ावा देने में मदद करती हैं।


**भाषा दुराग्रह** और **भाषा विद्वेष** दो ऐसी अवधारणाएँ हैं जो अक्सर एक-दूसरे के साथ जोड़कर देखी जाती हैं। हालांकि, दोनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं।


**भाषा दुराग्रह** का अर्थ है भाषा का उपयोग किसी विशेष समूह के लोगों के प्रति पक्षपातपूर्ण या भेदभावपूर्ण तरीके से करना। यह पक्षपात सचेत या अनजाने में हो सकता है। भाषा दुराग्रह के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:


* किसी विशेष समूह के लोगों के बारे में नकारात्मक या अपमानजनक शब्दों का उपयोग करना

* किसी विशेष समूह के लोगों के बारे में सामान्यीकरण करना

* किसी विशेष समूह के लोगों को नकारात्मक या भेदभावपूर्ण तरीके से चित्रित करना


**भाषा विद्वेष** का अर्थ है भाषा का उपयोग किसी विशेष समूह के लोगों के प्रति घृणा या हिंसा को बढ़ावा देने के लिए करना। भाषा विद्वेष अक्सर भाषा दुराग्रह से अधिक गंभीर होता है, क्योंकि यह न केवल पूर्वाग्रह को व्यक्त करता है, बल्कि हिंसा या अन्य हानिकारक व्यवहार को प्रोत्साहित भी करता है। भाषा विद्वेष के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:


* किसी विशेष समूह के लोगों के खिलाफ हिंसा या भेदभाव के लिए भड़काना

* किसी विशेष समूह के लोगों के खिलाफ घृणा या नफरत को फैलाना

* किसी विशेष समूह के लोगों को बदनाम करना या उनका अपमान करना


भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष दोनों ही समाज में नुकसान पहुंचा सकते हैं। भाषा दुराग्रह पूर्वाग्रह और अलगाव को बढ़ावा दे सकता है, जबकि भाषा विद्वेष हिंसा और अन्य हानिकारक व्यवहार को जन्म दे सकता है।


भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष को कम करने के लिए कई चीजें की जा सकती हैं। इनमें शामिल हैं:


* लोगों को भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष के बारे में शिक्षित करना

* भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष को बढ़ावा देने वाली सामग्री के खिलाफ आवाज उठाना

* भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष को कम करने के लिए कानून और नीतियों को लागू करना


भाषा दुराग्रह और भाषा विद्वेष को रोकने के लिए सभी लोगों की भागीदारी की आवश्यकता है। हम सभी को भाषा के प्रभाव के बारे में जागरूक होना चाहिए और भाषा का उपयोग जिम्मेदारी से करना चाहिए।


हमें अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए, लेकिन हमें अन्य भाषाओं और संस्कृतियों का भी सम्मान करना चाहिए।

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