साहित्यकार नागार्जुन
प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार बाबा नागार्जुन को नमन! बिहार के मधुबनी जिले में जन्मे बैद्यनाथ मिश्र उर्फ‘बाबा नागार्जुन’ने अपनी मातृभाषा मैथिली में 'यात्री' उपनाम से लिखा। काशी प्रवास में उन्होंने ‘वैदेह’ उपनाम से भी रचनाएँ लिखी। पाली सीखने के लिए वे श्रीलंका के बौद्ध मठ पहुंचे और यहीं 'नागार्जुन' नाम ग्रहण किया। कबीर और निराला की श्रेणी के अक्खड़ लेखक नागार्जुन ने हिन्दी के अतिरिक्त मैथिली, संस्कृत एवं बांग्ला में मौलिक रचनाएँ एवं अनुवाद कार्य किया।आपने अपनी फकीरी व बेबाकी से अपनी अनोखी साहित्यिक पहचान बनाई। नागार्जुन की एक कविता सुबह-सुबह सुबह-सुबह तालाब के दो फेरे लगाए सुबह-सुबह रात्रि शेष की भीगी दूबों पर नंगे पाँव चहलकदमी की सुबह-सुबह हाथ-पैर ठिठुरे, सुन्न हुए माघ की कड़ी, सर्दी के मारे सुबह-सुबह अधसूखी पत्तियों का कौड़ा तापा आम के कच्चे पत्तों का जलता, कडुआ कसैला सौरभ लिया सुबह-सुबह गँवई अलाव के निकट घेरे में बैठने बतियाने का सुख लूटा सुबह-सुबह आंचलिक बोलियों का मिक्सचर कानों की इन कटोरियों में भरकर...