रूस -यूक्रेन युद्ध, भारत की भूमिका के बहाने अमेरिकी कुचक्र और सोवियत रूस का सहयोग
युद्ध किसी भी राष्ट्र, समाज, संस्कृति के लिए पाश्विकता का ही प्रसार करता है। युद्ध मानवता के विरुद्ध सबसे बड़ा अभिशाप है। यह अहं, सत्ता और तानाशाही का भी सबसे बड़ा हथियार है । भारत तो मानवता के लिए सबसे बड़े खलनायक 'युद्ध' का सबसे बड़ा शिकार रहा है। कभी प्रत्यक्ष, कभी अप्रत्यक्ष । आज भले ही रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत सरकार को सभी सीख दे रहे हैं, पर सच्चाई यही है कि यह युद्ध रूस और यूक्रेन की महत्वाकांक्षा का ही परिणाम है। थोड़ा कम या अधिक। सभी देश भारत नहीं होते, जो अमेरिका, चीन और इंग्लैंड द्वारा पोसे गए सांप रूपी पाकिस्तान का सामना पूरी हिम्मत और ईमानदारी के साथ कर रहा है। वो तो भला हो चार युद्ध और 'सर्जिकल स्ट्राइक' का जिसने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई है। पर रूस भारत नहीं है, उसने एक महत्वपूर्ण सबक यूक्रेन और पूरी दुनिया को दे दिया है यह कि कभी किसी पर भरोसा न करो । हां, यह अलग बात है कि इस युद्ध में यूक्रेन की भोली और निरीह जनता शिकार हो रही है। जैसे बलूचिस्तान की निरीह जनता चीनी दमन का। जो लोग यूक्रेन के मुद्दे पर सरकार को सीख दे रहे है उन्हे...