हरियाणा का गुड़गाँव
जिस शहर में एक
साथ तकनीक, ज्ञान-विज्ञान
एवं देशी परंपरा एवं विरासत के दर्शन होते हैं वह शहर भारत का गुड़गांव यानि
गुरूग्राम है। साइबर सिटी के रूप में ख्यात गुरूग्राम प्रति व्यक्ति आय के आधार पर
भारत के दूसरे सबसे धनी राज्य हरियाणा प्रदेश की आर्थिक राजधानी भी माना जाता है।
यह शहर गुरूग्राम जिले का मुख्यालय होने के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक
महत्वपूर्ण अंग है। जहां गूगल से लेकर अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों के मुख्यालय
स्थित हैं। जिसमें भारत सरकार के अग्रणी बैंकों में शामिल ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स
का कॉरपोरेट कार्यालय भी शामिल है।
ओरियन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स भारत का एकमात्र सरकारी बैंक है जिसका कॉरपोरेट
कार्यालय हरियाणा प्रदेश में स्थित हैं।
गुड़गाँव दिल्ली से राष्ट्रीय
राजमार्ग और दिल्ली मेट्रो के माध्यम से अपनी सीमा साझा करता है। यह भारत का
एकमात्र पहला ऐसा शहर है जिसके प्रत्येक घर में बिजली की आपूर्ति होती है। बिज़नेस
टुडे पत्रिका के द्वारा आवासीय रैंकिंग की दृष्टि से इस शहर को अखिल भारतीय स्तर
पर 11 वां स्थान प्राप्त हुआ है। विगत 25
वर्षों में इस शहर ने बहुत तेजी से प्रगति की है और विश्व मानचित्र पर अपने-आप को
स्थापित किया है। आँकड़ों के मुताबिक इस
शहर में 29 देशों के नागरिक निवास करते हैं।
प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में गुड़गांव का उल्लेख एक महत्वपूर्ण नगर के
रूप में मिलता है। यह दिल्ली के चार प्रमुख उपनगरों में से एक है इसलिए इसे भारत
के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का एक हिस्सा माना जाता है। गुड़गाँव को राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र का एक अभिजात्य क्षेत्र भी एक माना जाता है।
गुड़गाँव की स्थापना 15 अगस्त
1979 ई. को की गई थी। पौराणिक आख्यानों के मुताबिक गुरूग्राम शहर
महाभारतकाल से ही आबाद रहा है तथा इसकी स्थापना कौरवों एवं पांडवों के गुरू द्रौणाचार्य
द्वारा की गई थी। महाभारत काल
में राजा युधिष्ठिर ने गुड़गाँव को अपने धर्मगुरु द्रोणाचार्य को उपहार स्वरूप
दिया था और आज भी उनके नाम पर एक तालाब के भग्नावशेष तथा एक मंदिर प्रतीक के तौर
पर विद्यमान हैं। इस कारण इसका नाम गुरुगाँव पड़ा था। समय के साथ इसका नाम
गुड़गाँव हो गया। बाद
में भी यह शहर आबाद रहा तथा मुगल शासक अकबर के शासनकाल में यह गुरुग्राम,
दिल्ली और आगरा के क्षेत्रो में गिना जाने लगा। वर्ष 1803 में यह
शहर सिंधिया के साथ सुरजी अरजंगांव की संधि के माध्यम से ब्रिटिश शासन के अधीन आ
गया। 1857 के विद्रोह के बाद, इसे
उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों से पंजाब प्रांत में स्थानांतरित किया गया। 1861 में, जिला, जिसमें से
गुरुग्राम का हिस्सा था, का पुनर्गठन पांच तहसीलों में किया
गया: गुड़गांव, फिरोजपुर झिरका, नूह,
पलवल और रेवारी और आधुनिक शहर गुड़गांव तहसील के नियंत्रण में आया। 1947
में, गुड़गांव स्वतंत्र भारत का हिस्सा बन गया
और पंजाब के भारतीय पंजाब में 1966 में, हरियाणा राज्य के निर्माण के साथ, यह हरियाणा में
शामिल हो गया। 12 अप्रैल 2016 को, हरियाणा मंत्रिमंडल एवं केंद्र सरकार के अनुमोदन
के अधीन आधिकारिक तौर पर शहर गुरुग्राम के रूप में प्रभावी हुआ।
गुरूग्राम की आर्थिक समृद्धि में
कृषि तथा उद्योग दोनों का सम्मिलित योगदान है।
इस क्षेत्र में एक साथ वृहत, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योग यहाँ की आर्थिक
व्यवस्था को मजबूती प्रदान करते है। साथ
ही कृषि में भी यह जिला अव्वल रहा है।
यहाँ की महत्वपूर्ण फसलों में गेहूँ, तिलहन, बाजरा, ज्वार और दलहन आदि प्रमुख हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार गुरुग्राम की
जनसंख्या 876,824 है। शहर की आर्थिक विकास
की कहानी 1970 के दशक में अग्रणी भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता मारुति सुजुकी इंडिया
लिमिटेड की स्थापना से प्रारंभ होती है।
आज यह सफर मारूति से शुरू होकर 250 से अधिक फॉर्च्यून 500 कंपनियों की
स्थापना के रूप में परिवर्तित हो चुका है एवं निरंतर प्रगतिमान हैं।
आमतौर पर गुरूग्राम को एक
औद्योगिक एवं साइबर शहर माना जाता है।
जहाँ मारूति से लेकर होंडा तक की
फैक्टरियां मौजूद है। पर यह शहर पर्यटन के
मामले में भी अव्वल हैं। यहाँ पर कई
धार्मिक एवं मनोरम स्थल है। जिसमें महत्वपूर्ण हैं –
ü शीतला माता मंदिर
माता शक्तिपीठ के रूप में ख्यात शीतला माता
का मन्दिर बहुत प्रसिद्ध है। इस मंदिर में देश-विदेश से पर्यटक माता का दर्शन करने
आते हैं। देश के 9 शक्तिपीठों में से एक माता शीतला देवी का मंदिर माना जाता है।
तालाब के किनारें स्थित इस धार्मिक मंदिर में पुरे वर्ष विशेषकर दीपावली के पास
नवरात्रों में लोगों की भारी भीड़ पूजा-अर्चना के लिए आती है। इस मंदिर में
प्रत्येक वर्ष दो बार चैत्र मास व आषाढ़ मास में मेला लगता है। इन मेलों के दौरान
यहां कुम्भ जैसी स्थिति बन जाती है। मान्यता है कि इस आदि शाक्तिपीठ के दर्शन व
पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
ü एकलव्य
मंदिर
यह भारत में महान धनुर्धर एकलव्य का
एकमात्र मंदिर है। यह मंदिर गुरुग्राम शहर के खांडसा गांव में स्थित हैं। लोककथाओं के अनुसार, यह एक ऐसी जगह है जहां एकलव्य ने अपने अंगूठा काटकर गुरु द्रोण को दक्षिणा
के रूप में दिया था। इस क्षेत्र को गुरू द्रोण एवं एकलव्य के सम्मान में एक पर्यटन
सर्किट के रूप में विकसित किया जाना है।
ü भीम
का तालाब
भीम कुंड (भीम का तालाब)
गुरूग्राम के भीम नगर इलाके में गुरु द्रोण द्वारा विकसित किया गया था, यह वह जगह है जहां गुरु द्रोणाचार्य तीर्थकथा के अध्यापन के बाद स्नान
करते थे, इस क्षेत्र में द्रोणाचार्य को समर्पित मंदिर भी है,
जो भगवान का मंदिर है।
ü सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी विहार
गुरूग्राम
जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर गुड़गांव-फरूखनगर राजमार्ग पर प्राकृतिक एवं
मनोरम पर्यटन स्थल सुल्तानपुर राष्ट्रीय पक्षी विहार स्थित है। इस पक्षी विहार की
खोज का श्रेय पीटर जैक्सन नामक एक पक्षी प्रेमी को जाता है। इस पक्षी विहार
क्षेत्र में एक प्राकृतिक झील भी स्थित है। लगभग 265 एकड भूमि में फैली इस विशाल प्राकृतिक झील में प्रत्येक वर्ष
लगभग एक-सौ से भी ज्यादा प्रजातियों के पक्षी यूरोप एवं साइबेरियाई देशों से
प्रजनन के लिए आते हैं। इस दौरान यहां
काफी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक भी आते है।
यहाँ दिसंबर से फरवरी माह तक घूमने के लिए जाया जा सकता है।
ü दमदमा झील
गुरूग्राम जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर
दमदमा झील सोहना रोड पर अवस्थित है। अरावली
पहाड़ियों की गोद में स्थित यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।
यहाँ हरियाणा पर्यटन निगम ने एक पर्यटक निवास केंद्र बनाया है। यहाँ पर्यटकों के लिए जैवविविधता पार्क, बोटिंग, ट्रैकिंग एवं
ऊँट की सवारी जैसी सुविधाएँ मौजूद है।
ü किंग्डम ऑफ ड्रीम्स
देश में अपनी तरह का पहला लाईव मनोरंजन का
केन्द्र किंग्डम ऑफ ड्रीम्स गुडगाँव के सेक्टर-29 में स्थित है। किंग्डम ऑफ ड्रीम्स नामक ओपेरा थियेटर यहां के
लोगों की मनोरंजन की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है। यह अपने-आप में एक अनूठा
सांस्कृतिक केन्द्र है।
समय के साथ गुरूग्राम शहर में बहुत-सारे
परिवर्तन हुए है। इतना कि यदि गुरूग्राम
को परिवर्तनगामी शहर का नाम दिया जाए तो कम होगा।
देश के सबसे ज्यादा विकसित शहरों में शुमार गुरूग्राम स्मार्ट शहरों की
सूची में भी शामिल है पर फिर भी यह शहर अपने भीतर सौंधी ग्रामीण विरासत को समेटे
हुए है। इस परिवर्तनगामी शहर पर एक
प्रवासी नेपाली के शब्दों में एक कविता – हरियाणा का गुड़गांव
हरियाणा का गुड़गांव
- जय छांछा
सुगंध है शहर में / रौनक है शहर में
चारों ओर चहल-पहल है शहर में
खरीदारों की बड़ी भीड़ है / बेचने वालों का समूह है
दर्शकों की भी कमी नहीं है
बसें दौड रही हैं / कारें
भाग रही हैं
मोटरसाइकिलों में रवागनी है / साइकिलें रेंग रही हैं
कैसे विश्वास करूँ मैं इसे गाँव कह कर
ओ हाँ,
गाँव जैसा बिल्कुल नहीं लगा मुझे
हरियाणा का यह गुडगाँव ।
नीले आसमान के नीचे बैठ कर
चंद्रमा निहारता है हर रात / इस गुडगाँव को
आधुनिक द्रोणाचार्य आते हैं, और
प्रत्येक व्यापारी से वैट उगाहते हैं
एकलव्य यहाँ से जा चुके
क्रिस्टल सिटी के भव्य मॉल
और बैंकॉक की रात का रंगीन जीवन
यहाँ आकर बसने लगे हैं
तो फिर,
आप ही बता दीजिए
कैसे विश्वास करूँ, मैं इस स्थान को
विशुद्ध गाँव है कह कर।
हरियाणा के नीले आसमान के नीचे
रास्ते लगातर बढ़ रहे हैं
ख़ुद कहीं खो गया हूँ, बीच रास्ते में
रिक्शेवाले से पूछता हूँ / दुकानदारों से पूछता हूँ
विदेशी भूमि पर अपरिचितों से पूछता हूँ
सहारा मॉल,
सिटी सेंटर और मेट्रोपोलिटन के बारे में ।
अहा, महाभारत काल में तो
गुरु द्रोणाचार्य के बारे में पूछते होंगे सभी, लेकिन
आज किसे फ़ुर्सत है गुरु द्रोणाचार्य को याद
करने की ?
आदर्श गुरु द्रोणाचार्य और शिष्य एकलव्य
काल के इस आदर्श गाँव में
भौतिक उन्नति की ही बात होती है
नैतिकता तो कहीं और ही जाकर बस चुकी है
उत्तराधुनिकता के छींटों से
पूरी तरह भीग चुका है गुरु का यह गाँव
प्राचीन आदर्शों का वह गुड़गाँव
इतिहास के किसी पन्ने में छिप चुका है
फिर भी कुछ धुक-धुकी तो बची ही है
इसलिए गुरु गाँव से गुड़गाँव बन गया
अहाँ,
यह हरियाणा की गुडगाँव।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला
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-डॉ. साकेत सहाय
hindisewi@gmail.com
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