Sunday, November 19, 2023

अन्तराष्ट्रीय पुरुष दिवस

 



आज अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस है। संयोग से आज छठ पर्व के पहले अर्ध्य का भी दिन।  सूर्य इस धरती पर जीवधारा के प्रतीक हैं।  एक पिता की भाँति रक्षक।  बिना किसी उपेक्षा या अपेक्षा के।  पुरुष भी अपने परिवार के लिए सूर्य के समान होते हैं।  पर उत्तर आधुनिक समाज इस ‘सूर्य’ को मलिन देखना चाहता है। क्योंकि वह भारतीय परिवार व्यवस्था की सशक्त परंपरा को नष्ट करना चाहता है। कमियाँ बहुत है पर कमी हर जगह है। पर सुधार के नाम पर किसी को प्रताड़ित न करें। केवल अंध मार्ग या वर्चस्व की ख़ातिर पूरी व्यवस्था को पथभ्रष्ट न करें। यहीं कारण है कि आज कई पुरुष अवसाद के शिकार हो रहे हैं ।  आज क़ानून की आड़ में उत्पीड़न के मिथ्या आरोपों में पुरुषों को फँसाया जाता है। 

अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस मुख्य रूप से  समाज, समुदाय, परिवार, विवाह एवं बच्चों के देखभाल में उनकी भूमिका, लड़कों और पुरुषों के जीवन, उपलब्धियां और योगदान  के स्मरण का एकदिन है। इस दिवस का उद्देश्य पुरुषों के मुद्दों के प्रति बुनियादी जागरूकता को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही पुरुषों  की सामान्यतया नकारात्मक छवि और उन्हें बहुधा खलनायक के रूप में चित्रित करने के पीछे की वास्तविकता को प्रस्तुत करना भी है। इस दृष्टिकोण को ठीक करने की ज़िम्मेदारी पुरुषों की भी है। साथ ही स्त्रियों को भी पुरुषों के प्रति अपनी स्थापित धारणाओं को बदलना होगा । पूर्वाग्रह को छोड़ना होगा ।

आज अपनी अंध मुखरता के कारण पुरुष वर्ग बड़ी खामोशी से खुद को बदनाम महसूस कर रहा है।  इस दिवस पर मूक मजदूर वर्ग, इस तथाकथित अत्याचारी समाज से अपील है कि अपनी कमियों को पहचाने, अपनी खूबियों को जाने।  आप समाज के महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप निर्माता नहीं, पर निर्माण के स्तंभ जरूर हैं । समाज आपके बिना चल नहीं सकता। क्योंकि वर्तमान में समाज के बड़े हिस्से की अंधभक्ति में हम भावी पीढ़ी के लड़कों का हश्र वहीं न कर दें  जो आज से तीन सदी पूर्व लड़कियों के साथ होता था।  आज  का यथार्थ यह है कि  लडकें भी शोषण का शिकार हो रहे हैं।  समाज का मूल स्वभाव है  'सख्तर भक्तों, निर्ममों यमराज'। 


आज अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस पर स्वरचित कविता ‘ पिता’ की याद आई।  यह अकाट्य सत्य है कि हम सब माता के ममत्व और पिता की संवेदना पर आधारित हैं ।  बच्चे माता के गर्भ से जन्म लेते हैं और पिता की आत्मा से, इसलिए पुत्र-पुत्री को आत्मज-आत्मजा कहा जाता है । पूज्य बाबूजी को स्मरण करते हुए अपनी एक रचना साझा कर रहा हूँ जो पिता को समर्पित है। 🙏💐


पिता


यूँ तो दो अक्षरों का मेल

दोनों ही व्यंजन

शायद इसीलिए

भौतिकता के प्रतीक माने जाते

पर इनका त्याग अजर-अमर-अविनाशी


पर पिता होना इतना आसान भी तो नहीं

ईश्वरीय कृपा

पिता यानी पथ-प्रदर्शक, संरक्षक

जिंदगी की पगडंडियों पर संभालने वाले

जिनके बिना जिंदगी बंजर-सी, सूखी-सी

यूँ तो वह दूर से पत्थर, अबोला,

पर पास में ममता, स्नेह  की विशाल बरगद –सी छाया


पिता

जिसे हमने दूसरों की नजर से देखा,

कभी अपनी माँ की नजरों से

कभी अपनी स्वार्थ की नजरों से


पर 

पिता तो सबसे ऊपर है

क्योंकि वह नश्वर है।

(स्वरचित)

©डा. साकेत सहाय

#कविता #साकेत_विचार #InternationalMensDay

#पुरुष_दिवस


Monday, November 13, 2023

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक अव्यवस्था



विनम्र श्रद्धांजलि! 

महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह की आज पुण्यतिथि है। उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक आंइस्टीन के सिद्धांत को चुनौती दी थी।  स्वर्गीय वशिष्ठ नारायण सिंह इस देश व विशेष रूप से बिहार प्रदेश की दुर्व्यवस्था के शिकार होकर 40 वर्षों से अधिक मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रहे और असमय ही यह देश उनकी प्रतिभा, ज्ञान के उपयोग से वंचित रहा। इसे किसका दुर्भाग्य माना जाए? अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक। अति पिछड़ा या महादलित। कांग्रेस या राजद बीजेपी या जेडीयू। इस हमाम में सभी नंगे खड़े नज़र आयेंगे। 


उनकी अकाल मृत्यु इस देश की व्यवस्था में व्याप्त अनैतिकता एवं असमानता पर बहस एवं विरोध की मांग करती है। शिक्षा में इलीट समझे जाने वाले लोग किस प्रकार से कमजोर व दलित (कृपया इसे किसी जाति समूह से न जोड़े)  लोगों का शोषण करते है  उनकी ' मृत्यु गाथा" 🥲 इस ओर इशारा करती है।   वक्त की मांग है कि शिक्षा में राजनीतिक हस्तक्षेप एवं वर्गभेद समाप्त हो। सभी को समान अवसर मिले। साथ ही देशी भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने हेतु हम सभी अपने अपने स्तर पर कार्य करें । प्रदेश की सरकार केवल विभाजनकारी राजनीति न करें। अब तो विद्यालय भी जातिगत आधार पर बिहार सरकार द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं। 


हिंदी एवं भारतीय  भाषाओं में किताबें लिखी जाएं । इस देश की लचर शिक्षा व्यवस्था जो वर्षों से भगवान भरोसे  है। उच्च शिक्षा व्यवस्था जुगाड़ एवं जुगाली के भरोसे चल रही है। दिल्ली एवं तमाम विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों के खेल में व्याप्त खेल से हम सब दशकों से वाकिफ है।  महान गणितज्ञ को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि अब कोई और वशिष्ठ नारायण शोषित न हो। 

क्षमा सहित आपको नमन🙏

सादर, 

डाॅ साकेत सहाय 

hindisewi@gmail.com

#साकेत_विचार

सुब्रह्मण्यम भारती जयंती-भारतीय भाषा दिवस

आज महान कवि सुब्रमण्यम भारती जी की जयंती है।  आज 'भारतीय भाषा दिवस'  भी है। सुब्रमण्यम भारती प्रसिद्ध हिंदी-तमिल कवि थे, जिन्हें महा...