योगेश्वर कृष्ण : एक विराट व्यक्तित्व

योगेश्वर कृष्ण - डॉ साकेत सहाय भगवान श्रीकृष्ण के मानवीय रूप में उनका बहुआयामी व्यक्तित्व दिखाई पड़ता है। बाल सुलभ चंचलता, प्रेम-स्नेह त्याग से भरा व्यक्तित्व, भाईचारा, पिता-माता से समान प्रेम, भातृत्व, मित्रता, समाजोपयोगी नेतृत्व, प्रेरक योद्धा, जीवनोपयोगी प्रेम सभी कुछ से भरा हुआ उनका भाव, विचार और कर्म । इसी लिए वे योगेश्वर कहलाए। उन्होंने शौर्य और धैर्य का प्रयोग लोक-कल्याण में किया। वे एक कुशल कूटनीतिज्ञ एवं रणनीतिकार थे। उनका स्त्री प्रेम मानवीय मूल्यों पर आधारित रहा। वे काम-वासना से परे स्त्री से सखा भाव से प्रेम करते थे। श्रीकृष्णृ में प्रेम व ज्ञान का अद्भुत समन्वय था। श्रीकृष्ण विश्व के पहले प्रबंधन गुरु माने जाते हैं । वे अपने हर रूप में दर्शनीय हैं, अनुकरणीय हैं, श्रद्धेय हैं । कर्मयोगी कृष्ण निष्काम कर्म की बात कहते हैं । मनुष्य का अधिकार मात्र उसके कर्म के ऊपर है। पर वे यह भी कहते है कि मन से किया गया कार्य सफलता जरूर देता है । वे धैर्य के साथ कर्मशीलता को प्रोत्साहित करते...