ट्रकों पर संदेश
आमतौर पर हम और आप ट्रक ड्राईवरों को अलग से नजरिए से देखते है। कुछ इन्हें असभ्य, रैश ड्राईविंग तथा एड्स का पोषक मानते है, तो कुछ इन्हें राष्ट्रीय एकता व विकास की धुरी भी मानते है।
लेकिन, क्या आपने कभी ट्रकों को एक नए नज़रिए-से देखने की कोशिश की है। जी, हाँ ! हम बात कर रहे है ट्रकों के पीछे लिखे संदेशों एवं उनके छुपे हुए अर्थो की। साथ ही, ट्रक ड्राईवर हिन्दी के विकास में भी पर्याप्त योगदान देते है। पूरे देश का भ्रमण करने वाले ट्रक ड्राईवर अपने काम-काज में हिन्दी का ही व्यवहार करते है चाहे बिहार का ट्रक ड्राईवर तमिलनाडु जाए या केरल या आंध्र प्रदेश का ट्रक ड्राईवर बंगाल जाए सभी हिन्दी का ही प्रयोग करते है। इस प्रकार ये राष्ट्रभाषा के प्रचार-प्रसार में भी अपना पर्याप्त योगदान देते है।
" बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला ।"
" हम दो ! हमारे दो !! "
" हम सब एक है ।"
हम सब रोज ही ऐसे मुहावरे ट्रकों पर लिखे देखते है। बरबस ही, ये हमारा ध्यान भी अपनी-ओर खींचते है। ट्रक ड्राईवरों की माने तो ये संदेश उनकी भावनाओं, मस्ती एवं सोच को ब्यां करते है। इन मुहावरों के भावों की व्याख्या करें तो पायेंगें कि ये बिल्कुल सच कह रहे है। ट्रक ड्राईवर देश की अधिकांश समस्यायों पर अपनी राय इन मुहावरों के द्वारा ही जाहिर करते है। चाहे वह सामाजिक व्यवस्था में ' कोढ़ में खाज़ ' का काम करने वाली दहेज प्रथा को लें या तलाक-प्रथा का। इन सभी का विरोध कुछ इस प्रकार से ये दर्ज कराते है। जैसे- ' दहेज लेना या देना जूर्म है।' तो कुछ गुस्से भरे होते है। ' कुत्तो दहेज मत मांगो । 'बीबी से प्यार करो; तलाक मत दो।' यदि ऐसे स्लोगन समाज में बढ़ रही इन बुराईयों को थोड़ा भी थामने में मदद कर रहे है तो हम इसे ट्रक ड्राईवरों का सामाजिक योगदान तो मान ही सकते है।
ट्रकों पर लिखे कुछ मुहावरे बढ़ती आबादी की समस्या की ओर भी इशारा करते है। " हम दो ! हमारे दो !! इस प्रकार परिवार नियोजन कार्यक्रम में भी ये भागीदारिता करते है। राष्ट्रप्रेम को बढ़ावा देने में इनका कोई सानी नहीं है। जैसे- " हम सब एक है।" " हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में है भाई-भाई ।" तो वहीं कुछ अंधविश्वासी भी होते है। इसका उदाहरण हम ट्रकों पर लिखे 'बुरी नज़र वाले तेरा मुँह काला ।' जैसे संदेशों में देख सकते है या ट्रकों के पीछे टोने-टोटको से सजे जूतों में टँगे देख सकते है। ट्रक राष्ट्रीय एकता को तो प्रत्यक्षत: परिवहन के द्वारा बढ़ाते ही है। अप्रत्यक्षत: ट्रकों के पीछे संदेश लिख कर भी राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते है। 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है।' ' स्वदेशी वस्तुओं को खरीदों। ' इस प्रकार ये स्वदेशी आंदोलन को भी बढ़ाते है। राष्ट्रीय परमिट वाले ट्रक भाषायी एकता को भी बढ़ावा देते है। ' प्रणाम शहीदा नु, जय जवान, जय किसान।' इस संदेश मे एक साथ शहीद, जवान और किसान तीनों को नमन किया गया है। अगर हम इस संदेश के भाव को देखे तो पायेंगे कि इसका भाव कितना व्यापक है। इसमें एक साथ राष्ट्र के तीन आधारों को नमन किया गया है।
ड्राईवर समुदाय ईश्वर में व्यापक आस्था रखता है। लेकिन ये संप्रदायवाद एवं दिखावटीपने का विरोध करते है। कई ट्रकों में हम एक साथ सिख गुरुओं, मुस्लिम संतों एवं हिन्दू देवी-देवताओं के फोटो देखते है जो धार्मिक सौहार्द की ही पहचान है।
ट्रकों के पीछे हम और भी कई तरह के संदेश लिखे देखते है जो उनकी मस्ती को ब्यां करते है। ' मिलेगा मुकद्दर ', ' चल मेरी रानी ', ' तेरा रब रक्खा ', ' माँ का आशीर्वाद ', आदि। सोनु-मोनु दी गड्डी, मित्तरां दी मोटर, गड्डी जट्ट दी, चल हट पीछे, आदि उनके प्रेम व हास्य-रस की गहरी समझ की व्याख्या करते है।
कुछ संदेश स्वत: ही ट्रक चालकों व उनकी पीड़ा को अभिव्यक्ति प्रदान करते है। जैसे- ' जल्दी चल गड्डिए! मैंनु यार नाल मिलना है !!' इस संदेश द्वारा हम ट्रक चालकों की विरह वेदना एवं पिया से मिलने की बेसब्री को समझ सकते है।
उपरोक्त उद्दरणों से हम समझ सकते है ट्रक ड्राईवरों की भूमिका कितनी निराली है। ये समाज के प्रति सब कुछ करके भी अपने को सबसे कम समझते है। जैसे भगवान शिव सबका विषपान करके भी औघड़ कहलाए।
Comments
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mithilak gap...maithili me
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Manpasand Gaane
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प्रिय मित्र,
जश्ने-आजादी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. आज़ादी मुबारक हो.
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उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये.
आभार.
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उल्टा तीर
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अमित के सागर
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी