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Showing posts from July, 2024

बैंकों में साइबर जोखिम एवं बचाव प्रबंधन

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इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस (आईआईबीएफ), मुंबई की पत्रिका ‘बैंक क्वेस्ट’ के नवीनतम संस्करण में प्रकाशित 'बैंकों में साइबर जोखिम एवं बचाव प्रबंधन' पर अपना लेख आप सभी से साझा कर रहा हूं। Sharing my article on  'बैंकों में साइबर जोखिम एवं बचाव प्रबंधन’ published in the latest edition of Bank Quest, the journal of Indian Institute of Banking and finance (IIBF), Mumbai. #वित्तीय_साक्षरता #साइबर #साकेत_विचार इसे आप सभी मेरे ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं।

कलाम साहब को सश्रद्ध नमन

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आज मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध अबुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि है।  रामेश्वरम, तमिलनाडु में जन्मे कलाम साहब भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं।  भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम की जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं ।  चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का समग्र व्यक्तित्व भारतीय अध्यात्म को समर्पित रहा।  सभी के प्रिय कलाम जी का विज्ञान की दुनिया से चलकर दुनिया के सबसे बड़े एवं प्राचीन लोकतंत्र की भूमि के प्रथम नागरिक के पद पर आसीन होना, किसी भी आम भारतीय का सर गर्व से ऊंचा कर देता है। आपको शत-शत नमन!🙏🌺 #कलाम #राष्ट्रपति #साकेत_विचार

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : कला और भाव के सशक्त हस्ताक्षर

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सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : कला और भाव के सशक्त हस्ताक्षर इसी शीर्षक से मेरा आलेख बिहार सरकार, राजभाषा विभाग की  भाषा-साहित्य-संस्कृति की हिंदी त्रैमासिकी  'राजभाषा' के अंक : ४, वर्ष: ३७ जनवरी-मार्च, २०२४ में प्रकाशित हुआ है। आप सभी पढ़कर विचार देंगे।   महान साहित्यकार निराला जी को समर्पित इस संग्रहणीय अंक को प्रकाशित करने हेतु राजभाषा विभाग, बिहार सरकार का आभार।   विस्तार से आप इसे मेरे ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं - #साकेत_विचार

हिन्दी राष्ट्रभाषा

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अक्सर सुनते है हिंदी फ़ारसी भाषा का शब्द है। पर यह भाषा आर्यभाषा, अपभ्रंश, लौकिक संस्कृत के रूप में उत्तर वैदिक काल से ही अस्तित्व में रही। इस प्रकार से हिंदी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा अवश्य मिलना चाहिए। वैसे भी  फ़ारसी भाषा में हिंदी का अर्थ होता है हिंद देश के निवासी। अर्थात् हिंदी सदियों से इस देश की जनभाषा, लोकभाषा, तीर्थभाषा, संपर्क भाषा आदि उपनामों से अलंकृत होकर ब्रिटिश पराधीनता से मुक्ति की वाहक भाषा बनकर उभरी। स्वाधीनता आन्दोलन का नेतृत्व जिन नेताओं के हाथों में था, उन्होंने यह पहचान लिया था कि विगत १००० वर्षों से हिन्दी सम्पूर्ण भारत को जोड़ने की भाषा रही है; यह साधु-संतों, फकीरों, व्यापारियों, तीर्थ यात्रियों, सैनिकों आदि के माध्यम से देश के एक भाग से दूसरे भाग तक प्रयुक्त होती रही है।यही कारण है कि स्वाधीनता प्राप्ति के बाद राष्ट्रभाषा से राजभाषा के पद पर आसीन हुईं।  इन सभी के बावजूद कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि हमने हिंदी की सेवा की। कुछ लेखकों/पत्रकारों को तो यह भी लगता है कि हिंदी का वजूद ही उनकी वजह से हैं । मगर वे यह भूल जाते हैं कि हिंदी या मातृभाषाओं की वजह से ही हम

आयकर दिवस-२४ जुलाई

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 दिन विशेष- आयकर दिवस आज आयकर दिवस है ।  इस दिवस को आयकर विभाग द्वारा मनाया जाता है ।  यह दिन भारत में आयकर विभाग की स्थापना का प्रतीक है।  अवगत हो कि आयकर (इनकम टैक्स) को पहली बार ब्रिटिश सरकार के लिए राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से  24 जुलाई, 1860 को भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री सर जेम्स विल्सन द्वारा प्रस्तुत किया गया था।  2010 में, आयकर विभाग ने पहली बार टैक्स लगाने के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इस दिन को मनाने का निर्णय लिया था ।  यह दिवस आयकर के महत्व को समझाना और जनता में कर भुगतान के प्रति जागरूकता  बढ़ाने को समर्पित है।  #साकेत_विचार #दिन_विशेष #आयकर_दिवस

झंडा दिवस

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22 जुलाई का दिन भारत के इतिहास में अजर-अमर है।  22 जुलाई सभी भारतवासियों के लिए बेहद खास है । यह दिन भारत के राष्ट्रीय ध्वाज से जुड़ा है ।  आज ही के दिन संविधान सभा ने तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अंगीकार किया था।  इस अवसर पर प्रस्तुत है -  प्रसिद्ध कविता –   ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (झंडा गीत)—श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’       विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। सदा शक्ति बरसाने वाला, प्रेम सुधा सरसाने वाला, वीरों को हरषाने वाला, मातृभूमि का तन-मन सारा।। झंडा...। स्वतंत्रता के भीषण रण में, लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में, कांपे शत्रु देखकर मन में, मिट जाए भय संकट सारा।। झंडा...। इस झंडे के नीचे निर्भय, लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय, बोलें भारत माता की जय, स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।। झंडा...। आओ! प्यारे वीरो, आओ। देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ, एक साथ सब मिलकर गाओ, प्यारा भारत देश हमारा।। झंडा...। इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए, विश्व-विजय करके दिखलाएं, तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।। झंडा...। विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। रचनाकाल : 1924 रचनाकार –श्री