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Showing posts from February, 2024

आवाज के जादूगर -अमीन सयानी

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अमीन सयानी नहीं रहे।  आवाज की दुनिया के दोस्त बिना उनकी आवाज़ के अधूरे हैं।  शायद ही कोई रेडियो, सिनेमा प्रेमी  ऐसा होगा जो इस नाम से परिचित ना हों। उनकी कभी न भूलने वाली आवाज के बिना भारत का रेडियो जगत अधूरा है। कभी बिनाका, सीबाका का हर श्रोता ठीक आठ बजे रेडियो सिलोन में कान लगा कर सिर्फ गीतमाला नहीं सुनता था, साथ में उनकी अपनेपन से भरी आवाज को भी सुनता था। जब वे कहते, भाइयों और बहनों, तो ऐसा लगता था जैसे वे सीधे हमें संबोधित कर रहे हैं। उस एक कार्यक्रम ने रेडियो को जन-जन की आवाज़ बना दिया।  एक घंटे में सप्ताह के दस लोकप्रिय गीत मनोरंजन की सबसे बड़ी खुराक थी।  आवाज़ के जादूगर ने ९१ साल की भरपूर आयु जी, जिसमें से 42 साल तक सुपरहिट शो गीतमाला को होस्ट किया।  जब वे कहते "नमस्कार भाइयो और बहनो, मैं आपका दोस्त अमीन सयानी बोल रहा हूं।" तो श्रोता मंत्र-मुग्ध हो जाते।  अमीन सयानी ने 1952 से 1994 तक रेडियो शो गीतमाला को होस्ट किया। अमीन सयानी की वजह से इस रेडियो शो को देशभर में लोकप्रियता मिली।अमीन सयानी ने अपने करियर की शुरुआत आकाशवाणी सेवा से की थी। 21 दिसंब...

अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

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म ‘हज़ार मीलों का सफर एक कदम से आरंभ होता है।’  आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामना! स्वभाषा हो सर्वोपरि!  इस अवसर पर आज ( 21.02.2024 ) के अमृत विचार के सभी संस्करणों में प्रकाशित आलेख “राष्ट्र निर्माण में मातृभाषा की भूमिका” #मातृभाषा #राष्ट्रभाषा #साकेत_विचार

ओरियंटल बैंक ऑफ़ कॉमर्स(ओबीसी) स्थापना दिवस

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 सुनहरी यादें ❤️ ओरियन्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स  स्थापना दिवस के अवसर पर सुनहरी यादों की हार्दिक बधाई! संगठन भले समय के साथ समाहित हो जाए परंतु उसके द्वारा निर्मित संस्कार एवं संस्कृति सदैव आपके भीतर जीवंत बने रहेंगे। 🙏🌺 एक बार फिर से वहीं पोस्ट जिसे वर्ष २०२० में मैंने लिखा था, आशा है यह पोस्ट आप सभी को पुन: यादों के संजाल में ले जाएगा।  ‘ओरियन्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स’ (१९४३-२०२०) आज बैंक का एक और स्थापना दिवस है।भले ही यह संगठन अब इतिहास हो गया । पर इसके द्वारा निर्मित संस्कार अभी भी जिंदा है । कुछ चीजें हमारे-आपके वश में कभी नहीं रहती। नियति ही सब कुछ तय करती है। पर एक मानवीय स्वभाव है -लगाव होना।  यहीं लगाव हमें प्रकृति से, अपनों से जोड़ती है। प्रकृति से जुड़ाव ही  संसार को सशक्त बनाता है, जिससे व्यक्ति, समाज व संगठन का निर्माण होता है।  संगठन भी तो परिवार की ही भांति होते हैं, जिससे बिछुड़ने की टीस हम सभी में ताउम्र बनी रहती है। यहीं कारण है कि हम सब चाहकर भी ओबीसी के हरे बोर्ड और इसकी  प्यारी धुन ‘where every individual committed ‘ से मोह नहीं हटा पाते। य...

शहीद बुधु भगत

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  आज प्रसिद्ध क्रांतिकारी शहीद बुधु(बुदु) भगत जी की जयंती है ।  आप अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुए । आपका जन्म वर्तमान राँची, झारखण्ड में हुआ था।  आमतौर पर 1857 को ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम आंदोलन माना जाता है। लेकिन इससे पहले  ही वीर बुधु भगत ने न सिर्फ़ क्रान्ति का शंखनाद किया, बल्कि अपने अदम्य साहस व नेतृत्व क्षमता से 1832 ई. में "लरका विद्रोह" नामक ऐतिहासिक आन्दोलन का सूत्रपात्र भी किया।छोटानागपुर में अंग्रेज़ हुकूमत के दौरान बर्बरता चरम पर थी। बुधु भगत बचपन से ही जमींदारों और अंग्रेज़ी सेना की क्रूरता को देखते आये थे। किस प्रकार से उनके तैयार फ़सल ज़मींदार जबरदस्ती उठा ले जाते थे। ग़रीब गांव वालों के घर में कई-कई दिनों तक चूल्हा नहीं जल पाता था। बालक बुधु भगत सिलागाई की कोयल नदी के किनारे घंटों बैठकर अंग्रेज़ों और जमींदारों को भगाने के बारे में सोचते रहते थे। बुधु भगत ने अपने दस्ते को गुरिल्ला युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। उन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेज़ सरकार ने एक हज़ार रुपये इनाम की घोषणा की थी। 13 फ़रवरी, सन 1832 ई. को बुधु और उनके साथियों को कैप्ट...