सुभाषचंद्र बोस और हिंदी

जय हिंद! सच में इतिहास जनता लिखती है न कि इतिहासकार। नेताजी का भारत की जनता में स्वीकृति और स्मरण इसका स्पष्ट उदाहरण हैं । नेताजी भारत के जीवंत यौद्धा है। भले ही षडयंत्रकारी परिस्थितियों में उनका अवसान करार दिया गया, पर उनका पूरा जीवन त्याग, बलिदान, बुद्धिमता और शौर्य से भरपूर रहा। उनके लिए 'देश पहले' सर्वोच्च प्राथमिकता में सदैव शामिल रहा। उनके लिए पद, पैसा, रसूख से पहले देश रहा; पर देश उनके साथ पर्याप्त न्याय करने में असफल रहा। गुलामी के प्रतीक जॉर्ज पंचम की मूर्ति के स्थान पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति स्थापित हुई, इस हेतु सरकार का अभिनन्दन! सुभाष बोस स्वदेश प्रेम, दृढ़ता, त्याग, आत्मबल के साक्षात् प्रतिमूर्ति हैं । नेताजी भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपना नारा भी जय हिंद के रूप में अपनाया। आजाद हिंद फौज के सेनानियों को वे हिंदी में संबोधित करते थे। उनकी जयंती के अवसर पर उनके हिंदी प्रेम की बानगी प्रस्तुत करता उनका एक संबोधन जो कलकत्ता से प्रकाशित ‘विशाल-भारत’ के जनवरी 1929 अंक में प्रकाशित हुआ था। इसे...